डेस्क न्यूज। आज संसार में अधिकाँश लोगों को उनके जीवन का उद्देश्य पता ही नहीं है। उन्हें सत्य और असत्य का भान ही नहीं है। उन्हें क्या करना चाहिये ,क्या नहीं करना चाहिये ,इस बात का ज्ञान है ही नही।
सत्य से दूर-दूर का वास्ता नही है। ज्यादातर लोग भटकाव का जीवन जी रहे है। आत्मा और परमात्मा के सम्बन्धों के बारे में कुछ पता ही नही है। गुरुदेव जी ने समाज के लोगों को जीवन के उद्देश्य का ज्ञान कराया है। मनुष्य़ के जन्म का उद्देश्य यही है कि जन्म के बाद से ही वो व्यक्ति आदि शक्ति माँ जगत जननी दुर्गा जी की साधना आराधना करें।माँ की साधना इसलिये करना चाहिये कि माँ दुर्गा जी ही केवल सभी देवी देवताओं में जन्म और मरण की प्रक्रिया से परे हैं।माँ अजन्मा हैं। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये गुरुदेव जी ने समाज को तीन संकल्प भी प्रदान किये हैं।
सबसे पहला संकल्प है कि आप पूर्ण रूप से नशा मुक्त हो जाइये और समाज के लोगों को भी नशा मुक्त कराने के लिये सदैव प्रयत्नशील रहिये क्यूँकि नशा नाश का कारण है और अधिकाँश परिवार आज नशे के कारण बड़ा दुखद जीवन जीने के लिये मजबूर हैं। जिस घर में नशा नही है उस घर में सुख और शान्ति बरकरार है। दूसरा संकल्प है कि आप अपने आपको और अपने परिवार को माँसाहार मुक्त कर दीजिये। जीव को जीव का भोजन कभी नही करना चाहिये।
लोग अज्ञानता वश मांस का सेवन कर रहे हैं।हमारे छोटे से बच्चे को कोई पीट देता है तो हम गुस्से से आग बबूला हो जाते हैं , किसी जीव की हत्या करके उसको अपने स्वाद के लिये उपयोग करना कहाँ तक उचित है। हम लोग अनजाने में बहुत सारे ऐसे कार्य करते हैं जिनसे आगे चलकर उसके विपरीत परिणाम हमें भुगतने पड़ते हैं। गुरुदेव जी ने समाज को तीसरा संकल्प ये प्रदान किया है कि सभी लोग चरित्र वान जीवन जीयें और दूसरों को भी चरित्र वान जीवन जीने के लिये प्रेरित करते रहें।
आज समाज में चरित्र हीनता अपने चरम पर है। लोगों में वासना की भूख बहुत बढ़ गयी है। ये पतन का सूचक है। चरित्रहीन मनुष्य पशु के समान है। गुरुदेव जी ने समाज को जीवन जीने की बड़ी सरल परिभाषा बतलाई है कि जब तक किसी की शादी ना हो तब तक वो पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें और शादी के बात एक पति व्रत और एक पत्नी व्रत धर्म का सख्ती से पालन करें। आज समाज में व्यभिचार का बोलबाला हो गया है ,हमें इसके खिलाफ मुहिम चलाना होगा। समाज में बहुरूपियों की कोई कमी नही है। इनके खाने के दांत कोई और हैं और दिखाने के दांत कोई और हैं।
इन बहुरूपियों का पर्दाफाश भी हमें और आपको मिलकर करना होगा नही तो ऐसे लोग जगह-जगह गन्दगी फैलाते रहेंगे। गुरुदेव जी ने समाज लोगों को सुख और शान्ति से जीवन यापन करने के लिये माँ की साधना का बड़ा ही सरल और सुगम मार्ग बतलाया है। प्रतिदिन दोनों समय माँ दुर्गा जी का चालीसा पाठ अवश्य कीजिये। गुरु मंत्र (ॐ शक्ति पुत्राय गुरुभ्यो नमः ) और शक्ति चेतना मंत्र(ॐ जगदम्बिके दुर्गायै नमः ) का जप कीजिये। माँ और ॐ मंत्र का रोज जप कीजिये।
जीवन में धीरे-धीरे व्यापक परिवर्तन प्रारम्भ हो जाएगा। अधिकाँश मनुष्य सारा समय उल्टे कार्यों में व्यतीत कर रहें हैं। माँ दुर्गा जी की उपासना गुरुदेव जी के अनुसार करने पर जीवन खुशहाल हो जाता है। आप कल्पना भी नही कर पाएंगे उससे से ज्यादा आपको लाभ मिलेगा। हमारी प्राथमिकताओं को पहले हम तय करें। उसके बाद हम गुरुदेव जी की विचारधारा को आत्मसात करके माँ की पूजा साधना करें। जीवन के उद्देश्य को जानना अत्यंत आवश्यक है।
हमारे शरीर में जो आत्मा विराजमान है वो परमात्मा (माँ दुर्गा जी )का ही अंश है। उस आत्मा पर हम् बार-बार नशा ,माँस और चरित्र हीनता डालेंगे तो हमें अपनी परमात्मा से कैसा परिणाम प्राप्त होगा ?आप शांत चित्त होकर गंभीरता से तनिक विचार कीजिये आपको सत्य का ज्ञान हो जाएगा। गुरुदेव जी के अनुसार माँ की साधना करने पर विवेक उत्पन्न होता है उसी विवेक के कारण सत्य और असत्य का ज्ञान हो पाता है। आज हम सभी को एक-एक कदम फूँक-फूँक कर चलने का समय आ गया है।थोड़ी सी असावधानी जीवन को अंधकारमय बना सकती है।
जै माता की जै गुरुवर की
लेखक- शिवबहादुर सिंह फरीदाबाद (हरियाणा)