धर्म और अध्यात्म से विकास बनता है वरदान: उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल
कुशाभाऊ ठाकरे फाउंडेशन द्वारा आयोजित "भोपाल मंथन - 2025" में देशभर के प्रसिद्ध वक्ताओं ने विभिन्न विषयों पर व्यक्त किए विचार, उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने किया उद्घाटन

भोपाल। उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन हॉल में आयोजित मंथन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी एक निष्काम कर्मयोगी थे, जिनका मिशन भारत को विश्वगुरु बनाने का था। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने असंभव माने जाने वाले कार्यों को पूरा कर दिखाया है। राम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद 370 का समाधान और आतंकवाद के खिलाफ सशक्त कार्रवाई ने भारत की छवि को मजबूत किया है।
मंथन से निकलेगा अमृत, भारत बनेगा विश्वगुरु –
उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि वैचारिक मंथन से संस्कारित समाज का निर्माण किया जा सकता है। धर्म और अध्यात्म को मजबूत कर हम विकास को वरदान में बदल सकते हैं। उन्होंने आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं और विश्वास जताया कि यह सत्र देश को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर भारत-
उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 11वें स्थान से 5वें स्थान पर आ गई है। अब सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी आगे हैं। आने वाले 2-3 वर्षों में भारत जापान और जर्मनी को भी पीछे छोड़ देगा और 2047 तक भारत आर्थिक महाशक्ति बनकर दुनिया का नेतृत्व करेगा।
आध्यात्मिक और धार्मिक शक्ति का उत्थान-
उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि आर्थिक विकास के साथ-साथ धर्म और अध्यात्म भी हमारी ताकत हैं। अयोध्या में राम मंदिर, महाकाल लोक और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसे आस्था केंद्रों का विकास लोगों की आस्था को और मजबूत कर रहा है। सनातन संस्कृति की इस लहर से समाज संस्कारित होगा और सहयोग की भावना बढ़ेगी। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि कोविड काल में भारत ने न केवल आत्मनिर्भरता दिखाई साथ ही दुनिया वैक्सीन देकर वैश्विक नागरिकों की जान भी बचाई। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि देश अब आत्मनिर्भर हो रहा है। हमारे सैनिकों का हौसला बुलंद है और देश का नेतृत्व इतना सक्षम है कि जरूरत पड़ने पर आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करने का आदेश तुरंत मिलता है।
कुशाभाऊ ठाकरे फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक दिवसीय वैचारिक महाकुंभ में विभिन्न विचारकों और विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। इस कार्यक्रम में देशभर से 20 से अधिक प्रमुख वक्ताओं ने पांच सत्रों में अहम विषयों पर विचार प्रस्तुत किए, जिससे यह कार्यक्रम राष्ट्रवाद, सनातन धर्म, और समृद्ध भारत की दिशा में महत्त्वपूर्ण संवाद का केंद्र बन गया। उद्घाटन सत्र से लेकर अन्य सत्रों तक, यह कार्यक्रम राष्ट्रवाद, सनातन धर्म, और समृद्ध भारत की दिशा में महत्त्वपूर्ण संवाद का केंद्र बन गया।
व्यक्तित्व निर्माण देश को विकसित बनाने में अहम: मंत्री श्री सारंग-
सहकारिता और खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री विश्वास सारंग ने कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत का इतिहास समृद्ध रहा है, लेकिन गुलामी की मानसिकता स्वतंत्रता के बाद भी बनी रही। स्वतंत्रता के पश्चात हमने सड़कों, पुलों और उद्योगों पर ध्यान दिया, लेकिन “व्यक्तित्व निर्माण” की ओर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि देश को विकसित बनाने के लिए एक आदर्श नागरिक का निर्माण आवश्यक है। उद्घाटन सत्र में चार विभूतियों को कुशाभाऊ ठाकरे राष्ट्ररत्न सम्मान दिया गया। इनमें कारगिल युद्ध में अपने हाथ और दोनों पैर गंवाने वाले लांस नायक दीपचंद, रामलला के वस्त्रों के डिजाइनर मनीष त्रिपाठी, दृष्टिहीन होकर 52 वाद्य यंत्र बजाने का रिकॉर्ड बनाने वाली योगिता तांबे और दिव्यांग अधिकार समर्थक एवं तकनीकी सलाहकार अनंत वैश्य शामिल हैं।
यह प्रभु राम, कृष्ण की धरती है, आततायियों का नहीं: साध्वी सरस्वती-
साध्वी सरस्वती देवी ने “सनातन धर्म: भारत की आत्मा और विश्व पर प्रभाव” विषय पर कहा कि भारत की संस्कृति और धर्म का वैश्विक प्रभाव निरंतर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के 33 हजार टूटे हुए मंदिरों की पुनः स्थापना और सरकारी नियंत्रण से मुक्त करके हिन्दू मंदिरों का स्वतंत्र संचालन आवश्यक है। उन्होंने हिंदुओं के एकत्रीकरण पर जोर दिया। वरिष्ठ लेखक शांतनु गुप्ता ने कहा कि कुंभ जैसे महा आयोजनों से सनातन एकता को बल मिलता है। फैशन डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने श्री रामलला के वस्त्र डिजाइन करने के अनुभव को जीवन का सबसे अविस्मरणीय क्षण बताया। स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि इस वैचारिक मंथन से निकले विचार पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक होंगे।
एक देश – एक चुनाव लागू करना उतना ही कठिन जितना धारा 370 हटाना: एड. अश्विनी उपाध्याय-
दूसरे सत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव” पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था नेहरू के समय में लागू थी और अब इसे फिर से लागू करने की आवश्यकता है। दुनिया के 48 देशों में यह प्रणाली सफलतापूर्वक लागू है, जिससे चुनावों में समय और संसाधनों की बचत होती है। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि जो पार्टी आज इसका विरोध कर रही है, वह कभी इसकी समर्थक थी। इस सत्र की अध्यक्षता पूर्व सैनिक दीपचंद जी ने की।
सोरोस की कथा और भारत के खिलाफ गहरी साजिश: प्रियंक कानूनगो-
तीसरे सत्र में प्रियंक कानूनगो ने “सोरोस की कथा और भारत के खिलाफ गहरी साजिश” पर चर्चा की। उन्होंने डीप स्टेट और उसके एजेंट्स के भारत में बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि डीप स्टेट एक ऐसा गुप्त नेटवर्क है जो राज्य के राजनीतिक नेतृत्व से स्वतंत्र होकर अपने एजेंडे को लागू करता है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे खबरों के पीछे की सच्चाई को समझें और राजनीतिक षड्यंत्रों से सावधान रहें। इस सत्र की अध्यक्षता दिव्यांग अधिकार समर्थक अनंत वैश्य ने की।
भारतीय सिनेमा में राष्ट्रवादी विषयों की जरूरत: भाषा सुम्बली और देवेंद्र मालवीय-
चौथे सत्र में अभिनेत्री भाषा सुम्बली और फिल्म निर्माता देवेंद्र मालवीय ने भारतीय सिनेमा में राष्ट्रवादी विषयों की महत्वपूर्णता पर चर्चा की। भाषा सुम्बली ने “द कश्मीर फाइल्स” में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को सामने लाना उनके लिए एक भावनात्मक यात्रा थी। देवेंद्र मालवीय ने सत्य पर आधारित फिल्मों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसी फिल्में राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाती हैं, जबकि प्रोपेगेंडा वाली फिल्में सत्य को दबाने का प्रयास करती हैं।
कार्यक्रम में पांच प्रमुख सत्रों में भारतीय राजनीति, धर्म, समाज और सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस आयोजन में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति विजय मनोहर तिवारी, विधायक भगवान दास सबनानी, वरिष्ठ भाजपा नेता ध्रुव नारायण सिंह और कार्यक्रम आयोजक अंशुल तिवारी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कुशाभाऊ ठाकरे फाउंडेशन का यह आयोजन देश को सही दिशा में ले जाने और राष्ट्रीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।