मध्यप्रदेशग्वालियर संभाग

ब्यापम भर्ती घोटाला: पुलिस कांस्टेबल भर्ती के दो मामलों में कोर्ट ने पांच आरोपियों को सुनाई 4- 4 वर्ष की सजा, जुर्माना भी लगाया

मध्यप्रदेश। ग्वालियर में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में धांधली मामले में सीबीआई कोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों में पांच और आरोपियों को कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई। इनमें से चार को चार चार वर्ष और एक को पांच वर्ष के कारावास की सजा मुकर्रर की है। इस मामले में एक आरोपी कोर्ट में उपस्थित नहीं था, इसलिए अदालत ने उसके खिलाफ गैर जमानती स्थाई वारंट जारी कर दिया।

सीबीआई के लोक अभियोजक चंद्रपाल ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला साल 2012 का है। सितंबर 2012 में मुरैना में आयोजित की गई आरक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान मुरैना निवासी दधिबल के स्थान पर धौलपुर निवासी सुनील कुमार को मौके से ही फर्जी तौर पर परीक्षा देते हुए पकड़ा था। जांच के दौरान इसमें और परतें खुलीं। पूछताछ में पता चला कि दधिबल ने अपनी जगह आगरा निवासी करतार से संपर्क साधा था। करतार ने उसे फिरोजाबाद निवासी विजय तामरे से मिलवाया। विजय ने सॉल्वर के रूप में परीक्षा में बैठने के लिए सुनील कुमार का प्रबंध करवाया। जांच में पता चला कि परीक्षा वाले दिन ही विजय के माध्यम से सुनील कुमार को एडवांस में पैसे भी भुगतान किए गए। क्रॉस एग्जामिन में इस पूरे घटनाक्रम की पुष्टि दलाल करतार सिंह के द्वारा भी की गई थी।

पहले आरोपी अब बना सरकारी गवाह, फिर किया चालान पेश-
पुलिस ने इस मामले में आरोपी करतार सिंह को सरकारी गवाह बनाया और फिर आरोपी सुनील कुमार, दधिबल और विजय के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने और मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत चालान पेश किया। इसमें विशेष न्यायाधीश अजय कुमार ने तीनों आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में दोष सिद्ध पाते हुए चार-चार साल के कारावास और 14100-14100 रुपयों के जुर्माने की सजा का एलान किया। सजा का एलान करते वक्त नोटिस जारी होने के बावजूद तीन में से एक आरोपी दधिबल गैरहाजिर रहा। इसलिए सजा मुकर्रर करने के बाद न्यायालय ने उसके खिलाफ गैर जमानती स्थाई वारंट जारी किया।

यह हैं दूसरा मामला-
मध्यप्रदेश के ग्वालियर की विशेष सीबीआई अदालत ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2013 परीक्षा से जुड़े एक अन्य मामले में एप्लिकेंट सतेंद्र सिंह यादव और उंसके स्थान पर बैठे जितेंद्र कुमार को चार-चार साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। उन पर 14,100 रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। इस परीक्षा को व्यापम ने आयोजित कराया था। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के पालन में 18 अगस्त 2015 को यह मामला दर्ज किया था।

अभियोजन के अनुसार, 15 सितंबर 2013 को आयोजित व्यापम की एमपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2013 (द्वितीय) में गलत पहचान के संदेह में मधुराज सिंह के खिलाफ 11 फरवरी 2014 को पुलिस स्टेशन कम्पू ग्वालियर में दर्ज किये गए केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। इसमें यह भी चार्ज लगाया गया कि आरोप अभ्यर्थी मधुराज सिंह एक फरवरी 2014 को 14वीं बटालियन, एसएएफ ग्राउंड (ग्वालियर) में आयोजित एमपी पीसीआरटी-2013 (द्वितीय) की शारीरिक दक्षता परीक्षा में हाजिर था। लेकिन, फोटो मिलान नहीं होने के कारण अधिकारियों द्वारा उसे रोक दिया गया था।

वहीं जांच के बाद कम्पू थाना पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई जांच के दौरान पता चला कि मधुराज सिंह लिखित परीक्षा में शामिल नहीं हुआ था। सीबीआई ने 26 अप्रैल 2016 को आरोपियों के खिलाफ पहली सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी। इससे पहले मामले में सीबीआई के स्पेशल जज ने 24 दिसंबर, 2018 को अपने फैसले में मधुराज सिंह को जुर्माने के साथ पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।

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