लेखक- शिव बहादुर सिंह फरीदाबाद (हरियाणा)
डेस्क न्यूज। जिस प्रकार से हम सभी लोग़ दिन रात परिश्रम करके धन कमाकर अपने बैंको में उस धन क़ो जमा करने में लगे हुए हैं क्या हमने कभी ये विचार किया क़ी हमें स्वयं क़ी साधना का बैंक खोलना चाहिए। बैंको में रखे हुए पैसों का उपयोग प्रत्येक समस्याओं के लिए नही किया जा सकता है पर साधना के बैंक में संचित ऊर्जा आपकी समस्त समस्याओं का समाधान अवश्य करेगी। इन महत्व पूर्ण बिन्दुओं पर हम लोग़ कभी ध्यान ही नही देते हैं। हममें से अनेक लोग़ आज भी नियमित साधना कर रहे हैं औऱ जीवन क़ो सुचारू रूप से सँचालित भी कर रहे हैं,पर कुछ लोग़ ऐसे भी हैं जो लोग़ इधर ध्यान देते ही नही।।
जरा सोचिए जब हम नियमित रूप से माँ-गुरुवर क़ी साधना करेंगे,आरती चालीसा पाठ के क्रमों में जाएंगे, महाआरती के क्रमों में जाएंगे औऱ शिविरों में भी जाएंगे तो इन सभी क्रमों से प्राप्त ऊर्जा हमारे साधना के बैंक में जमा होता जायेगा औऱ जब भी हमें किसी प्रकार क़ी समस्या जैसे-बीमारी, आर्थिक परेशानी औऱ अन्य समस्याएं जो भी हमारे जीवन में आएंगी उन सभी का तत्काल समाधान इसी बैंक में जमा ऊर्जा के द्वारा हो जायेगा। गुरुवर जी द्वारा निर्देशित प्रत्येक क्रमों के करने से साधना के बैंक में अत्यधिक ऊर्जा संचित हो सकती है।
अब यहाँ पर एक बात औऱ महत्व पूर्ण है क़ी साधना के साथ-साथ हमें अपने कर्मों पर भी विशेष ध्यान रखना होगा, क्यूँकि कोई लाख पूजा पाठ कर ले पर जब तक उस व्यक्ति का आचार व्यवहार सही नही होगा तब तक उसे किसी भी पूजा पाठ (साधनाओं) का लाभ प्राप्त नही होगा। धीरे-धीरे अपने कार्यों क़ो अनुशासित ढंग से करना होगा। मन, वचन औऱ कर्म तीनों से गुरुवर क़ी विचारधारा का पालन करना होगा तभी हमें लाभ होगा अन्यथा सारा जीवन हम यूँ ही व्यर्थ गवाँ देंगे।
गुरुदेव जी ने स्पष्ट कहा है क़ी तलवार क़ी धार पर चलना आसान है पर साधना के मार्ग पर चलना इतना आसान नही है। हम जैसे जैसे छोटे-छोटे क्रमों क़ो अपने जीवन में उतारते जाएंगे हमें परिवर्तन नजर आने लगेगा।गुरू मंत्र (ॐ शक्ति पुत्राय गुरुभ्यो नमः)औऱ शक्ति चेतना मंत्र(ॐ जगदम्बिके दुर्गायै नमः) का जप अगर आप नियमित करेंगे तो आपको इस मन्त्र का विशेष लाभ प्राप्त होगा। नित्य साधना क्रमों के साथ-साथ इन मन्त्रो का जप भी अवश्य कीजिए। माँ दुर्गा जी क़ी कृपा प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ साधना है। हम कोई कार्य करना नही चाहते पर लाभ पूरा का पूरा चाहते हैं। ये कैसे सम्भव है। ये कलिकाल(कलयुग) का समय है।
इस काल में आत्मा क़ी अमरता औऱ कर्म क़ी प्रधानता का विशेष महत्व है।माँ गुरुवर क़ी निरन्तर साधना पूरी निष्ठा औऱ ईमानदारी से अगर हम करते जाएंगे तो हमें अपने जीवन में आनन्द क़ी अनुभूति अवश्य होगी।हमारे-आपके साथी औऱ आपके आस-पास के लोग़ किन कार्यों में लिप्त हैं ये महत्वपूर्ण नही है। महत्वूर्ण ये है क़ी हम-आप क्या कर रहे हैं। हम-आप सत्य का जीवन जीएं इसी में हमारा-आपका कल्याण समाहित है।धन संचय से ज्यादा जरूरी है क़ी माँ क़ी ऊर्जा क़ो संचित किया जाय। इससे हमारे कई जन्म सँवर जाएंगे।
जै माता क़ी जै गुरुवर क़ी
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