आपातकालीन स्थिति में चिकित्सा सेवाओं के लिए हुई मॉक ड्रिल

भोपाल। नागरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन में आकस्मिक चिकित्सा स्थितियों से निपटने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय भोपाल द्वारा जिला प्रशासन के निर्देशन में 7 मई को मॉक ड्रिल की गई। सरोजिनी नायडू गर्ल्स कॉलेज में आयोजित मॉक ड्रिल में 59 चिकित्सक एवं 50 से अधिक पैरामेडिकल एवं अन्य स्टाफ शामिल हुए। पहली मॉक ड्रिल शाम 4.00 बजे की गई। व्यवस्थाओं की पुख्ता तैयारियों के मद्देनजर शाम 7:00 बजे यहां पुनः मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस दौरान काल्पनिक एयर स्ट्राइक की स्थिति में घायल हुए मरीजों को यहां पर उपचार हेतु लाया गया। ब्लैकआउट के दौरान मरीजों को उपचार देने का अभ्यास भी किया गया।

कॉलेज परिसर में बनाए गए अस्थाई अस्पताल में आकस्मिक चिकित्सा इकाई, इनडोर पेशेंट इकाई, आकस्मिक चिकित्सा उपकरण, क्रैश कार्ट, ऑक्सीजन सिलेंडर, इमरजेंसी मेडिसिन, ट्रायएज, लेबोरेट्री जांच की व्यवस्था की गई। इस दौरान 108 एम्बुलेंस के न्यूनतम समय में मूवमेंट को भी देखा गया। मॉक ड्रिल के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ प्रभाकर तिवारी, अनुविभागीय अधिकारी श्रीमती अर्चना शर्मा, एडिशनल कमिश्नर ऑफ़ पुलिस श्री चंद्रकांत पांडेय सहित बड़ी संख्या में स्वास्थ्य विभाग एवं पुलिस के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
सरोजिनी नायडू कन्या महाविद्यालय में बनाए गए अस्थाई अस्पताल में जिले के विभिन्न स्थानों पर हुई मॉक ड्रिल के डमी मरीज रेफर होकर उपचार के लिए पहुंचे। कॉलेज परिसर में स्थापित अस्पताल में ग्रीन , येलो , रेड एवं ब्लैक ट्रायएज बनाए गए। ग्रीन ट्रायएज सामान्य आघात, येलो ट्रायएज में मध्यम गंभीर और रेड ट्रायएज में अति गंभीर मरीजों को शिफ्ट कर उपचार दिया गया। इस दौरान चिकित्सकीय प्रोटोकॉल के अनुरूप उपचार देने का अभ्यास किया गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि मॉक ड्रिल में आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों का मूल्यांकन किया गया । जिसके तहत स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी को मिनिमम रिस्पांस टाइम में सुनिश्चित किया गया है। एंबुलेंस, ऑक्सीजन की आपूर्ति, मानव संसाधन लॉजिस्टिक , उपकरणों की क्रियाशीलता की परख की गई।
विभाग 24 घंटे अलर्ट मोड पर है। आपातकालीन स्थिति होने पर जिले के अन्य स्थानों पर न्यूनतम समय में अस्थाई अस्पताल बनाए जा सकेंगे।