आध्यात्मिक

शिविर से प्राप्त ऊर्जा का सदुपयोग अब हम लोगों को इस तरह से करना होगा ,जिससे समाज में गुरुदेव जी की विचारधारा का जमकर प्रचार प्रसार हो सके: शिव बहादुर सिंह

डेस्क न्यूज। प्रयागराज में सम्पन्न हुये महाशक्ति शंखनाद शिविर में लाखों लोगों ने गुरुदेव जी की चेतना तरंगों का लाभ प्राप्त किया। यहां पर गुरुदेव जी ने प्रचण्ड ऊर्जा की बारिश की। अब इस ऊर्जा का हम लोग सदुपयोग किस प्रकार से करें की समाज में चारों तरफ माँ का गुणगान होने लगे। इसके लिये सर्व प्रथम अपने आपका शोधन करना होगा। हम लोग पहले स्वयं माँ गुरुवर की साधना नियमित करें ,उसके बाद दूसरों को भी साधना शुरू करायें। जब तक हम लोग प्रतिदिन साधना नहीं करेंगे तब तक हमारा जीवन व्यवस्थित नहीं हो पाएगा। साधना द्वारा हमें विवेक की प्राप्ति होती है। तभी हमें सत्य और असत्य का ज्ञान हो पाएगा। जब हम लोग नियमित साधना करते हैं तो हम लोग गलत कार्योँ से दूर रहते हैं।

गुरुदेव जी के शिष्य होने के नाते हम सभी का प्रथम कर्तव्य ये है की भटके हुये लोगों को सत्य के मार्ग का बोध कराएं और उनके कल्याण का मार्ग बताएं। ज्यादातर लोग अपने स्वार्थ की पूर्ति में ही अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं।छल प्रपंच से आज तक कोई कुछ भी प्राप्त ना कर पाया ,आगे भी कुछ भी हासिल नहीं होगा। लोगों की आँखों पर बंधी पट्टी को खोलने का कार्य हमें करना होगा।उन्हें जगाना होगा। उन्हें भक्ति मार्ग से अवगत कराना होगा। उसके पश्चात हमें गुरुदेव जी द्वारा निर्देशित माँ दुर्गा जी की दिव्य आरती और दुर्गा चालीसा पाठ के क्रमों में अपनी सहभागिता बढ़ाना चाहिये।

अधिकाँश लोग आरती और पाठ के क्रमों में अपनी रुचि नहीं दिखाते हैं।देखिये प्रचण्ड ऊर्जा का स्वरूप आश्रम में दिन रात अनवरत चल रहा है। हमें इस स्वरूप को बारीकी से समझना होगा। गुरुदेव जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि आपको एक भी दुर्गा चालीसा पाठ करने का लाभ अवश्य मिलता है तो आप अपने आस पास हो रहे पाठ और आरती के क्रमों में जायेंगे तो आप कितना अधिक लाभ के भागीदार होंगे। उसके उपरान्त हम लोग महा आरती के क्रमों में नये व्यक्तियों को ले जाने में कम रुचि लेते हैं। ये सभी क्रम ऊर्जा से भरपूर हैं।

अतः महा आरती में प्रयास कीजिये कि आपके साथ नये लोग जायें। देखिये जीवन का मूल मंत्र है कि अगर आप इन क्रमों के माध्यम से दूसरों को लाभ पहुंचाएंगे तो माँ गुरुवर आपको सदैव लाभ जरूर देंगे। हम लोग नये लोगों को शिविर में ले जाने में ज्यादा रुचि नहीं लेते हैं जबकि नये व्यक्तियों को शिविर में ले जाने का अत्यधिक लाभ मिलता है। आगामी शिविर के लिये अगर हम अभी से प्रयास करेंगे तो काफी लोग हमारे साथ जा सकते हैं। मैं उपरोक्त सभी क्रमों का पालन सदैव करता हूँ तभी इस लेख को लिख पा रहा हूँ और इन क्रमों द्वारा भरपूर लाभ भी प्राप्त कर रहा हूँ। प्रयागराज शिविर में गुरुदेव जी ने समस्त प्राणियों के उद्धार के लिये माँ की साधना का मार्ग प्रदान किया है।

गुरुदेव जी की इस यात्रा में अपने दिमाग का दुरुपयोग बिल्कुल भी नहीं करना है बल्कि गुरुदेव जी के दिशा निर्देशों का अक्षरशः पालन करना है। जीवन को खुशहाल बनाने का इतना सरल और सुगम मार्ग सम्पूर्ण जगत में कहीँ भी उपलब्ध नहीं है। आज के समय में तमाम भ्रष्ट धर्म गुरु सिर्फ पैसे लूटने के व्यापार में व्यस्त हैं। समाज के अबोध लोगों को इन भ्रष्ट गुरुओं से हमको आपको बचाना होगा। करोड़ों लोग इनका प्रतिदिन शिकार हो रहे हैं। हमें जन जागरण के माध्यम से इन्हें बचाना होगा। बहुत सारे लोग स्वयं के लाभ के लिये लालायित रहते हैं परन्तु हमारा उद्देश्य यह होना चाहिये कि ज्यादा से ज्यादा लोग गुरुदेव जी की विचारधारा से जुड़ें। जिससे समस्त मानवता का कल्याण हो सके। हम लोग रह रह कर शिथिल हो जाते हैं। जब हम नियमित माँ गुरुवर की साधना में रत होंगे तो आलस्य हमसे कोसों दूर भाग जाएगा।

जै माता की जै गुरुवर की

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