बीजेपी का ओबीसी विरोधी चेहरा पूरी तरह बेनकाब, कांग्रेस लड़ेगी आरपार की लड़ाई: जीतू पटवारी, उमंग सिंघार

भोपाल। मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने ओबीसी समाज के साथ धोखाधड़ी, विश्वासघात और शर्मनाक अन्याय की सारी हदें लांघ दी हैं। म.प्र. सरकार ने ओ.बी.सी. वर्ग को अपना हक ना मिले इसके लिए संविधान के मूल ढ़ाचा से भी खिलवाड़ कर रहे है। संविधान में यह विदित है कि विधायिका के बनाए हुए कानून को अक्षर सह पालन कराने की जिम्मेदारी कार्यपालिका की होती है पंरतु कार्यपालिका अपने दायित्व को निभाही नहीं रही है माननीय उच्चतम न्यायालय के बार-बार के स्पष्ट और कड़े निर्देशों को पैरों तले रौंदते हुए, मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ओबीसी भाइयों-बहनों को उनके 27% आरक्षण के संवैधानिक हक से वंचित रख रही है। यह ओबीसी विरोधी मानसिकता का सबसे घिनौना और क्रूर चेहरा है, जो लोकतंत्र, संविधान और सामाजिक न्याय की हत्या कर रही है! बीजेपी की यह साजिश मध्य प्रदेश की 50% से अधिक आबादी को गुलाम बनाए रखने और उनके भविष्य को तबाह करने की है-यह अब बर्दाश्त नहीं होगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने 26 जून 2025 को मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर ओबीसी को 27 आरक्षण तत्काल लागू करने की मांग की थी। श्री पटवारी ने बीजेपी सरकार पर जोरदार प्रहार करते हुए कहा कि यह सरकार ओबीसी समाज के हक को कुचलने की साजिश में लिप्त है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को भी ठुकरा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने तत्काल कार्रवाई नहीं की, तो मध्य प्रदेश कांग्रेस ओबीसी समाज के साथ मिलकर पूरे प्रदेश में आग उगलते आंदोलन की शुरूआत करेगी, जो बीजेपी के लिए आफत बन जाएगी!
4 जुलाई की सुनवाई में कोर्ट की करारी फटकार:–
कल, 4 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई में मध्यप्रदेश सरकार को कोर्ट ने करारी फटकार लगाई है! कोर्ट ने सरकार की नाकामियों, निष्क्रियता और टालमटोल पर सख्त नाराजगी जताई। मुख्य सचिव से एक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया गया, जिसमें यह स्पष्ट करना होगा कि 13% पदों पर नियुक्तियों में कौन सी बाधाएँ आ रही हैं, जो अभी होल्ड पर हैं। कोर्ट ने तीखे लहजे में कहा कि यह पहली सरकार है जो कोर्ट में आरक्षण का विरोध करती है, और बाहर आकर ओबीसी हितैषी होने का नंगा ढोंग करती है! यह फटकार बीजेपी सरकार के दोहरे चरित्र, झूठे वादों और ओबीसी विरोधी नीति को पूरी तरह बेनकाब करती है!
मध्यप्रदेश सरकार उन याचिकाओं का बहाना बनाती है जो कि अध्यादेश के खिलाफ हुई थी जिनकी सुवाई सुप्रीमकोर्ट में विचाराधीन है। म.प्र. हाई कोर्ट जबलपुर द्वारा लगभग 70 बार सुनवाई हुई जब इन याचिकाओं का निस्तारण होने लगा तो म.प्र. सरकार ने माननीय सर्वोच्चय न्यायालय में स्थानांतरण याचिका लगाकर सारी याचिकाऐं सर्वोच्चय न्यायालय में स्थानांतरण कर ली इसमें भारत के बड़े-बड़े वरिष्ठ अधीवक्तओं की सेवाऐं ली गई। यहाँ यह बताना जरूरी है अध्यादेश की आयु हुई 6 माह की होती है। इसके बाद अध्यादेश स्वतह ही समाप्त हो जाता है परंतु म.प्र. सरकार के विद्वान अधीवक्ताओं द्वारा इन सब पर बहस न करके हमेशा तारीख लेने का कार्य किया। 4 जुलाई. 2025 को माननीय सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी उसमें भी सभी कार्य किया गया है। बच्चो की तरफ से अधीवक्ता वरूण ठाकुर के बार-बारआग्रह करने के बाद भी म.प्र. सरकार कोई एक तारीख को सहमत नहीं हुई। इससे यह इंगित होता है कि म.प्र. सरकार अपने ही बनाए कानून को लागू नहीं करना चाहती है। इसके लिए सरकार हर वह
प्रयास कर रही है कि मामला किसी न किसी कोर्ट में विचाराधीन रहे और उसका बहाना बनाती रहे। यहाँ यह बताना जरूरी है कि विधायिका के बनाई कानून पर किसी भी तरिके से कानूनी रोक रही है। ना ही म.प्र. माननीय हाईकोर्ट के द्वारा ना ही माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लगाई गई है। आज भी सारे विज्ञापनों में ओची.सी. वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावाधान होता है परंतु दुर्भाग्यवश म.प्र. सरकार 13 प्रतिशत चयनित अभयार्थियों को ज्वाईनिंग लेटर नहीं देती है। यह कृत्य संविधान के विरूद्व है। और माननीय सर्वोच्चय न्यायालय की प्रतिपादित सिद्धांतों की भी विरूद्ध है। ऐसे में उन अभयाथियों का और उनके परिवार के भविष्य अंधकार मय हो जाता है।
सच्चाई जो चीख-चीख कर बोल रही है:-
26 फरवरी 2025 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिना किसी संकोच के घोषणा की कि 27% ओबीसी आरक्षण पर कोई कानूनी रोक नहीं है। 7 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ की याचिका को खारिज करते हुए दोहराया कि इस कानून पर कोई अड़चन नहीं है बीजेपी का हर बहाना फेल!
25 जून 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल दागाः जब कोई कानूनी बाधा नहीं है, तो 27% आरक्षण लागू क्यों नहीं किया जा रहा? फिर भी, बीजेपी सरकार अपनी ओबीसी विरोधी साजिश को अंजाम देने में लगी है। 2019 में कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में, तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी के नेतृत्व में ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का क्रांतिकारी फैसला लिया गया था। यह निर्णय विधानसभा और कैबिनेट से मंजूरी पाकर लागू हुआ था, जो ओबीसी समाज के उत्थान और समानता का प्रतीक था। लेकिन बीजेपी ने सत्ता हथियाने के बाद इस हक को छीनने का घिनौना षड्यंत्र रचा और मध्य प्रदेश की 50% से अधिक आबादी को ठगने का काला खेल खेला!
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की मांगें:-
श्री पटवारी ने मांग की है:
27% ओबीसी आरक्षण को बिना एक पल की देरी के तत्काल लाग किया जाए, जैसा कि कांग्रेस ने सुनिश्चित किया था। 87-13 फॉर्मूले के तहत रुकी हुई भर्तियों में चयनित ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्तियाँ तुरंत बहाल की जाएँ, जिनके सपने बीजेपी की साजिश से कुचल रहे हैं! ओबीसी समाज को राजनीतिक शिकार, वोट बैंक की भेंट और गुलामी की जंजीरों में जकड़ना बंद किया जाए-यह उनका हक है, न कि बीजेपी की जागीर !
ओबीसी समाज को क्रांति का बिगुलः-
श्री पटवारी ने ओबीसी समाज से अपील की है कि बीजेपी का असली चेहरा अब पूरी तरह सामने है। यह सरकार आपके हक को दबाने, आपके बच्चों का भविष्य छीनने, और आपको गुलाम बनाए रखने की साजिश रच रही है। बीजेपी के झूठे वादों, खोखले नारों, और जालसाजी के घिनौने झाँसे में न आएँ! अपने 27% आरक्षण के हक के लिए एकजुट होकर सड़कों पर उतरें, अधिकार है, कोई दान नहीं! न्याय और हक नहीं मिलता। आंदोलन की ज्वाला बनें-यह आपका यह जंग तब तक चलेगी, जब तक न्याय और हक नहीं मिलता।
बीजेपी को ध्वस्त करने का संकल्पः-
अगर बीजेपी सरकार ने इस मांग को अनसुना किया या फिर से कोर्ट का बहाना बनाया, तो मध्य प्रदेश कांग्रेस ओबीसी समाज के साथ मिलकर प्रदेशव्यापी आंदोलन की आंधी छेड़ेगी। हम हर जिले, हर तहसील, हर गाँव और हर चौराहे पर बीजेपी के इस ओबीसी विरोधी चेहरे को उजागर करेंगे। बीजेपी को इसका करारा जवाब देना होगा, और यह जवाब जनता की ताकत से आएगा! सावधान हो जाओ, बीजेपी-ओबीसी समाज अब चुप नहीं बैठेगा, और तुम्हारा यह ढोंग अब खत्म होगा।
आंदोलन की तैयारी:-
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने ऐलान किया है कि अगर मध्यप्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण तत्काल लागू नहीं हुआ, तो कांग्रेस ओबीसी समाज के हित में प्रदेशव्यापी धरना-प्रदर्शन, रैलियाँ, घेराव और जन-जागरण अभियान शुरू करेगी। यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक ओबीसी समाज को उनका हक नहीं मिल जाता चाहे इसके लिए हमें सत्ता के गलियारों को हिलाना पड़े!
उक्त पत्रकार वार्ता में पूर्व मंत्री सचिन यादव, मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ,अधिवक्ता वरुण ठाकुर, वरिष्ठ नेता जेपी धनोपिया, प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष विभा पटेल एवं सामाजिक संगठनों के अन्य वरिष्ठ जन भी उपस्थित रहे !