ये तो बंधुआ मजदूरी है… किस बात पर भड़के CJI चंद्रचूड़? तुरंत मांगा जवाब

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) डॉक्टरों की एक याचिका देख बेहद नाराज हो गए और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को कड़ी फटकार लगाई. फौरन जवाब मांगा है. दरअसल, एमबीबीएस प्रशिक्षुओं ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिसमें आरोप है कि आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (Army College of Medical Sciences) में एक साल की अनिवार्य इंटर्नशिप के दौरान उन्हें उचित भत्ता (Stipend) नहीं मिला.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. इसी दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि देश के लगभग 70 फीसदी मेडिकल कॉलेज, एमबीबीएस प्रशिक्षुओं को देय अनिवार्य भत्ते का भुगतान नहीं करते. इस पर सीजेआई काफी नाराज हो गए.
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- ‘राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग क्या कर रहा है? इन नौजवान डॉक्टरों 20-20 घंटे तक काम कराया जा रहा है…यह तो बंधुआ मजदूरी जैसी है…’ सीजेआई ने आगे राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा- ‘ठोस जवाब के साथ आइये…’
भारी डोनेशन लेते हैं लेकिन…
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को भी फटकार लगाई. बेंच ने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेज एडमिशन के समय भारी-भरकम डोनेशन या कैपिटेशन शुल्क लेते हैं, लेकिन एमबीबीएस प्रशिक्षुओं को अनिवार्य भत्ते का भुगतान तक नहीं कर रहे हैं. बेंच ने कहा कि जब हालात ऐसे हैं तो इस स्थिति में आखिर एनएमसी एक रेगुलेटरी बॉडी (नियामक) के रूप में क्या कर रहा है?’
सीजेआई की नाराजगी के बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की तरफ से पेश वकील ने मामले पर और जानकारी जुटाने और पीठ को संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कुछ समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.
दिल्ली सरकार को नोटिस
सुनवाई के दौरान आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसीएमएस) ने दलील दी कि ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में शुल्क नियामक प्राधिकरण की स्थापना तक नहीं की गई है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
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FIRST PUBLISHED : October 17, 2023, 09:13 IST