भोपाल

‘वस्त्रभरणा 2025’ में बाग प्रिंट की अनूठी पहचान, आरिफ खत्री पर सबकी नज़रें

3 से 7 सितम्बर तक बेंगलुरु में बाग प्रिंट का रंग, आरिफ खत्री ने बढ़ाया प्रदेश का मान

भोपाल। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 3 से 7 सितम्बर तक आयोजित हो रही ‘वस्त्रभरणा प्रदर्शनी 2025’ में मध्यप्रदेश की प्राचीन बाग प्रिंट कला ने अपनी विशेष छाप छोड़ी है। कर्नाटक शिल्प परिषद द्वारा आयोजित यह प्रदर्शनी राज्य की सबसे बड़ी शिल्प प्रदर्शनी है, जिसमें देशभर के चुनिंदा कारीगर अपनी कृतियों का प्रदर्शन करते हैं। इस वर्ष मध्यप्रदेश के ख्यातिप्राप्त शिल्पकार मोहम्मद आरिफ खत्री और उनके भाई मोहम्मद अली खत्री ने बाग प्रिंट उत्पादों की प्रदर्शनी लगाकर सबका ध्यान आकर्षित किया। यूनेस्को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त आरिफ खत्री ने अपनी कला की बारीकियों और परंपरा को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया।

विशेष सम्मान: आरिफ खत्री ने किया ‘वस्त्रभरणा प्रदर्शनी’ का उद्घाटन
इस प्रदर्शनी का शुभारंभ स्वयं यूनेस्को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पकार मोहम्मद आरिफ खत्री के हाथों हुआ। यह अवसर उनके लिए ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश की शिल्प परंपरा के लिए भी गौरव का क्षण रहा। उद्घाटन समारोह में क्राफ्ट्स कॉन्सिल ऑफ कर्नाटक के पदाधिकारी एवं विशिष्ट अतिथि भी मौजूद रहे, जिन्होंने खत्री का स्वागत करते हुए उनकी कला की सराहना की। आयोजन समिति ने कहा कि “वस्त्रभरणा जैसी भव्य और कर्नाटक की सबसे बड़ी शिल्प प्रदर्शनी का उद्घाटन ऐसे शिल्पकार से कराना, जो परंपरा और नवाचार दोनों में समान रूप से योगदान दे रहे है और जो स्वयं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित है, इस प्रदर्शनी की गरिमा को और बढ़ाता है।

माता-पिता से मिली प्रेरणा-
आरिफ खत्री ने अपने बचपन से ही बाग प्रिंट की शिक्षा अपने माता-पिता से पाई। उनके माता-पिता स्वयं राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित शिल्पकार हैं। उनके पिता को राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार तथा यूनेस्को एवं वर्ल्ड क्राफ्ट्स काउंसिल का अवॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस प्राप्त हो चुका है। इसी परंपरा और प्रशिक्षण ने आरिफ को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।

प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र बने आरिफ खत्री-
आरिफ खत्री द्वारा प्रस्तुत बाग प्रिंट उत्पादों ने दर्शकों और डिज़ाइनर्स को गहराई से प्रभावित किया। पारंपरिक लाल और काले रंगों में प्राकृतिक रंगाई और नक्काशीदार लकड़ी के ब्लॉक्स से बनी उनकी कृतियों को खूब सराहना मिली। प्रदर्शनी में आए कई खरीदारों ने बाग प्रिंट को फैशन और वस्त्र उद्योग में और अधिक शामिल करने की संभावनाओं पर चर्चा की।

आरिफ खत्री ने कहा कि “बाग प्रिंट केवल एक कला नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। मुझे गर्व है कि मेरे माता-पिता ने यह परंपरा मुझे सौंपी। ‘वस्त्रभरणा’ जैसे मंच हमें अवसर देते हैं कि हम अपनी कला को नई पीढ़ी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँचा सकें।”

बाग प्रिंट की अंतरराष्ट्रीय पहचान-
धार ज़िले का छोटा सा बाग कस्बा आज वैश्विक स्तर पर अपनी कला के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की बाग प्रिंट पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक रंगों और हाथ की नक्काशीदार ब्लॉक्स से की जाने वाली प्रिंटिंग के लिए जानी जाती है। यह कला अपनी सादगी और गहराई के कारण दुनिया भर में लोकप्रिय हो चुकी है।

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