जीएसटी प्रणाली अधिक संतुलित, न्यायसंगत और करदाता-हितैषी बनाना जरूरी

मध्य प्रदेश टैक्स लाॅ बार एसोसिएशन ने टेक्स प्रणाली अधिक टेक्सपेयर-फ्रेडली बनाने उठाई बात
भोपाल@रवि गुप्ता। यदि एक उचित थ्रेशहोल्ड सीमा तय कर दी जाए, तो अनुपालन प्रणाली अधिक करदाता-हितैषी (टेक्सपेयर-फ्रेडली) बन जाएगी। व्यापारी छोटी गलतियों के लिए “धोखेबाज” की तरह नहीं देखे जाएंगे, जबकि गंभीर धोखाधड़ी के मामलों पर कार्रवाई जारी रहेगी। इससे विभाग को मामलों के प्रबंधन में सुविधा होगी और करदाताओं के बीच विश्वास भी बढ़ेगा।

व्यवहारिक तस्वीर पर सुधार आवश्यक
जीएसटी कानून के तहत जब व्यापारियों के वार्षिक खातों की समीक्षा की जाती है, तो टैक्स अधिकारी अक्सर कुछ त्रुटियाँ या विसंगतियाँ पहचानते हैं। ऐसी स्थिति में करदाता को नोटिस जारी किया जाता है। ये नोटिस दो श्रेणियों सेक्शन 73 और सेक्शन 74 के होते हैं। सेक्शन 73 उन मामलों पर लागू होता है जहाँ गलती अनजाने में हुई हो यानी करदाता से बिना किसी गलत इरादे के भूल हो गई हो। वहीं, सेक्शन 74 का संबंध उन मामलों से है जहाँ करदाता ने जानबूझकर और इरादतन धोखाधड़ी की हो। सरल शब्दों में कहा जाए तो सेक्शन 73 “गलती” के लिए है, जबकि सेक्शन 74 “धोखाधड़ी” के लिए है। लेकिन व्यवहार में तस्वीर कुछ और दिख रही है।
अनावश्यक बोझ कम करना जरूरी
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मध्य प्रदेश सहित पूरे भारत में हजारों नोटिस सेक्शन 74 के तहत जारी किए गए हैं, और हैरानी की बात यह है कि इनमें से कई नोटिसों में मांग की राशि 01 लाख से भी कम है। इतनी छोटी राशि के मामलों में “फ्राड” का प्रावधान लागू करना न केवल करदाताओं बल्कि टैक्स पेशेवरों पर भी अनावश्यक बोझ डालता है। क्योंकि जैसे ही सेक्शन 74 लगाया जाता है, करदाता को ब्याज के साथ-साथ 100 फीसदी पेनल्टी भी चुकानी पड़ती है। इस प्रकार एक छोटी-सी टाइपिंग या लेखा पुस्तकों में हुई गलती को भी धोखाधड़ी मान लिया जाता है, जो न्याय की दृष्टि से उचित नहीं है।
न्यायसंगत प्रणाली जरूरी
व्यावहारिक समाधान यह होगा कि सेक्शन 74 लागू करने के लिए एक थ्रेशहोल्ड सीमा तय की जाए। उदाहरण के लिए, केवल वे मामले जहाँ कर की मांग 10 लाख रूपए या 15 लाख रूपए से अधिक हो, उन्हें ही सेक्शन 74 के तहत लाया जाए। इससे छोटे मामलों को सेक्शन 73 के तहत निपटाया जा सकेगा। यदि ऐसा प्रावधान किया जाए, तो अनावश्यक मुकदमेबाजी कम होगी, विभाग और करदाताओं दोनों का समय और पैसा बचेगा, और एक अधिक न्यायसंगत प्रणाली बनेगी।
इन्होंने बताया
एक छोटी गलती को कभी भी धोखाधड़ी के बराबर नहीं माना जाना चाहिए। सेक्शन 74 का उपयोग केवल उन्हीं मामलों में होना चाहिए जहाँ बड़ी कर मांग या स्पष्ट धोखाधड़ी का इरादा हो। एक थ्रेशहोल्ड सीमा निर्धारित करने से जीएसटी प्रणाली अधिक संतुलित, न्यायसंगत और करदाता-हितैषी बनेगी।
–एड संतोष गुप्ता
ज्वाइंट सेक्रेटरी
एमपी टैक्स लाॅ बार एसोसिएशन मध्य प्रदेश











