भागवत कथा के सातवे दिन सुनाया रुक्मणि मंगल का प्रसंग, 17 मई को होंगी महाकाली माता की प्राण प्रतिष्ठा

गढ़ाकोटा। ग्राम रतनपूरा में सुनवैया परिवार द्वारा कराई जा चल रही श्री मद भागवत कथा के सातवे दिवस कथा वाचक हेमंत उपाध्याय श्री धाम वृन्दावन ने रुक्मणि विवाह पर कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया।
अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं। कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं। उन सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का भाव तो जागा, लेकिन यह पूरी तरह वासना रहित था।
इसके बाद भगवान ने रास आरंभ किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुऐ कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया।
इसी बीच श्री श्री 1008 श्रीराम बोहरे जी गुरुदेव विश्व प्रसिद्ध सवामन सालिग्राम मंदिर श्री धाम वृन्दावन का सानिध्य भी श्रोताओं के लिए प्राप्त हुआ जहाँ धार्मिक मंच से जीवन में समस्त प्रकार की समस्याओं से निकलने के लिए गुरुमंत्र बताया।
(रिपोर्टर- पुरुषोत्तम लाल पटेल गढ़ाकोटा सागर)