टिप्पणी: कहीं कलम की मर्यादाओ कों तो नहीं तोड़ रहे कलमकार?

डेस्क न्यूज। आज कल सोशल मीडिया का दौर जमकर छाया हुआ हैं और इस सोशल मीडिया के दौर में कौन कब क्या लिख रहा हैं उसे ही यह नहीं मालूम होता हैं जिसका कारण हैं पत्रकारिता के मापदंड तय ना होना जिससे ऐसा महसूस होने लगता हैं की कहीं कलम की मर्यादाओ कों तो नहीं तोड़ रहे कलमकार?।

आज कल छतरपुर जिले के कलमकार जिला जनसम्पर्क अधिकारी के का तबादला होने के बाद कुछ वीवीआईपी लोगों के दौरे उपरांत पत्रकारों के सत्यकार एवं उनके भ्रमण कों लेकर खूब जमकर अपनी लेखनी से लिख रहे हैं। लेकिन वह कलमकार अगर अगर ऐसा कुछ हुआ था तो उस मामले कों पहले उठाते तो लगता की हमारे कलमकारो ने कुछ दमदार किया हैं किसी अधिकारी के तबादले के बाद वह भी कलमकारो का संरक्षक हो उसके खिलाफ तबादले के बाद लिखना यह मेरे नजरिये से शायद उचित नहीं हैं। पहले भी कई अधिकारी आये और उन्होंने भी पत्रकारों के नाम के लाखों रुपये अपने कार्यकाल ने खर्च किए होंगे लेकिन किसी पत्रकार ने तब सबाल क्यों नहीं किया यह भी सोचना चाहिए। अगर वर्तमान जिला जनसम्पर्क अधिकारी द्वारा के द्वारा ऐसा किया गया हैं तो कलमकारों कों उन पत्रकारों की लिस्ट जिला जनसम्पर्क अधिकारी कार्यालय से प्राप्त कर प्रकाशित किया जाना चाहिए जिनके नाम उक्त राशि बंदरबाट करने के लिए बर्तमान जनसम्पर्क अधिकारी के नाम खबरें चल रही हैं उन पत्रकारों कों भी तो यह मालूम हो वह जनसम्पर्क अधिकारी के बुलाबे पर गए या नहीं तभी हमारी पत्रकारिता सही मायने में असली कलम की लेखनी होंगी।
मैंने जब 2003 में अपनी पत्रकारिता की शुरुआत एक साप्ताहिक समाचार पत्र से करते हुए कई दौर देखे और 2003 से 2020 के बीच का वह दौर भी देखा की जब जिले के आला अधिकारी सबसे पहले जिले में आते ही पत्रकारों के सम्मान कों कायम रखते हुए उनसे पहले मुलाकात करते थे। और हमेशा अपना सबसे बड़ा सूचना तंत्र जिला जनसम्पर्क अधिकारी और पत्रकारों कों मानते थे लेकिन तब पत्रकार भी अधिकारी के सामने सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की भावना कों लेकर बात करते थे और अधिकारी भी खबर और पत्रकार की बात का जब आकलन कराते रहे तो सम्बंधित कलमकार की बात सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की होती थी और अधिकारी उसपर कार्यवाही करने कों विवश हो जाते थे। और छतरपुर के कलमकारो की विस्वसनीयता जिले में प्रदेश और देश में होती थी।
लेकिन 2020 के बाद सोसल मीडिया के इस दौर ने पत्रकारिता के मापदंडो कों दरकिनार कर पत्रकारिता के एक नए युग की नई लकीर खींच दी और वरिष्ठ कलमकारो की कलम भी शायद उनके सामने फीकी सी पड़ने लगी जिससे सोसल मीडिया के कलमकार कलम की मर्यादाओ कों तोड़ कर लिखने लगे।











