छतरपुर पुलिस ने शॉर्ट फिल्म के माध्यम के दी गई नए कानून की जानकारी

छतरपुर। आज 01 जुलाई 2024 से नवीन आपराधिक कानून लागू हैं। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम तीनों नये कानून को लाने का उद्देश्य जाँच और न्याय प्रणाली को पारदर्शी, सहज और सुलभ बनाना है।
सोमवार को पुलिस कॉन्फ्रेंस हॉल पुलिस लाइन छतरपुर में पुलिस उप महानिरीक्षक ललित शाक्यवार, पुलिस अधीक्षक अगम जैन, न्यायालय अधिवक्ता संघ, अभियोजन अधिकारी, जनप्रतिनिधियों, इलेक्ट्रॉनिक प्रिंट मीडिया की उपस्थिति में नए कानून के संबंध में जानकारी देने जनजागरूक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में पुलिस अधिकारियों द्वारा कार्य प्रणाली व भूमिका को बताया गया। न्यायालय, अभियोजन अधिकारी व अधिवक्ता संघ द्वारा नए कानून के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई।
पुलिस अधीक्षक जैन द्वारा नए कानून से संबंधित शार्ट फिल्म, प्रेजेंटेशन, इमेज प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रस्तुत किए गए। नए कानून संबंधी चित्र व तुलनात्मक धाराओं के पंपलेट वितरित किए गए। नए कानून में इलेक्ट्रानिक साक्ष्य और दस्तावेजी साक्ष्य को सामान रूप से महत्व दिया जाएगा। इलेक्ट्रानिक यंत्र के माध्यम से कथन लेख किए जायेंगे, समन की तामीली होगी। साक्षी के कथन लेख किए जाने है, अगर वह कहीं बाहर है, तो उसके कथन आडियो-वीडियो के माध्यम से लिये जा सकते है। इसी प्रकार बलात्कार के प्रकरण की पीड़ित महिला के कथन भी लिए जा सकते है।
भारतीय न्याय संहिता में 33 धाराओं में सजा एवं 83 धाराओं में जुर्माना बढ़ाया गया है, 12 नयें अपराध जोड़े गये है। 10 साल से अधिक दण्ड वाले अपराधी को फरार होने पर उदघोषित करने का प्रावधान है। मोबाईल एवं इलेक्ट्रानिक यंत्र से लिए गए साक्ष्य मान्य होंगे एवं घटना स्थल की वीडियोग्राफी होगी। संज्ञेय अपराध के घटित होने पर कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करा सकता है। किसी बालक को भाड़े पर अपराध करने के लिए लेगा वह 10 वर्ष तक के कारावास एवं जुर्माने से दण्डित होगा।
भीड़-भाड़ द्वारा अपराध किए जाने पर नया अपराध माँब लिंचिंग के नाम से जाना जाएगा। भारतीय न्याय संहिता में बालिका के साथ बलात्कार करने पर आरोपी को मृत्युदण्ड की सजा का प्रावधान किया गया है। झपटमारी (चैन स्नेचिंग) को नए कानून में अपराध के रूप में चिन्हित किया गया। ऐसा उदघोषित आरोपी फरार हो जाता है या विदेश चला जाता है, तो भी प्रकरण का विचारण न्यायालय में लगातार होगा, जिससे फरियादी को शीघ्र न्याय प्राप्त होगा। वर्तमान में सामुदायिक सेवा को भी दण्ड के रूप में जोड़ा गया।
न्याय के लिये सरकार आडिग ब्रिटिश कानून में आतंकवाद के खिलाफ कोई प्रावधान नही था, नये कानून में सजा का प्रावधान किया गया। जिसमें मृत्युदण्ड तक सजा का प्रावधान किया गया है। राजद्रोह की जगह अब देशद्रोह को नये कानून में आपराधिक रूप में बताया गया। देशद्रोह का अपराध भारत की सम्पूर्ण एकता अखण्डता को खतरे में डालने वाले कार्यों पर केंद्रित है। सशक्त जांच के लिए गंभीर आपराधिक मामलों में सुबूत जुटाने के लिए क्राइम सीन पर फारेंसिक विशेषज्ञों का जाना अनिवार्य। अपराध के शिकार महिला और बच्चों को सभी अस्पतालों में फर्स्ट एड या इलाज नि:शुल्क मिलने की गारंटी होगी। गवाहों की सुरक्षा व सहयोग के लिए सभी राज्य सरकारें विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम लागू करेंगी।
नए कानून में मामूली अपराधों के लिए दंडस्वरूप सामुदायिक सेवा की विधा शुरू। समाज के लिए सकारात्मक योगदान देकर दोषी अपनी गलतियों को सुधारने का काम करेगा। सुनवाई में देरी से बचने और न्याय की त्वरित बहाली के लिए कोई अदालत किसी मामले को अधिकतम दो बार ही स्थगित कर सकेगी। सभी कानूनी कार्यवाही इलेक्ट्रानिक माध्यमों से हो सकेगी। पीड़ित महिला की अदालती सुनवाई महिला मजिस्ट्रेट ही करेगी। अन्यथा संवेदनशील मामले में किसी महिला की उपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज होगा। 15 साल से कम आयु, साठ साल से अधिक और दिव्यांगो व गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को पुलिस स्टेशन में पेश होने से छूट होगी। उन्हें पुलिस की मदद अपने निवास स्थान पर ही मिलेगी।