आध्यात्मिक

समाज में आज सबसे ज्यादा विकृति नशे और मांसभक्षण के जरिये फैल रही है: शिवबहादुर सिंह 

नशा करने वाले व्यक्ति का विवेक मर जाता है ,उसे सत्य असत्य का ज्ञान नही रहता है: शिव बहादुर सिंह

डेस्क न्यूज। नशा नाश का कारण है। जिस भी परिवार में नशे और माँस का सेवन किया जाता है ,वो परिवार कभी भी अध्यात्म की उच्चता को प्राप्त नही कर पाता है। हमें बड़ी सरल भाषा में इसे समझना होगा। हमारे शरीर में एक आत्मा विराजमान है ,जो हमारे आपके शरीर को संचालित करती है। ये आत्मा माँ जगत जननी दुर्गा ज़ी का अंश है। जब हम लोग बार-बार इस आत्मा के ऊपर नशा ,माँस और चरित्र हीनता डालेंगे तो क्या हमें जीवन में कभी भी अनुकूलता प्राप्त हो पाएगी और क्या हमारे जीवन में परिणाम कभी भी अच्छे मिलेंगे । हमारी नजरों में कदापि ऐसा नही होगा। अभी तक हम लोग सिर्फ ये समझते हैं कि इन सब विकारों से हमारा धन और स्वास्थ्य ही नष्ट होता है। ये एक भ्रांति है। सबसे बड़ा नुकसान हमारे जीवन पर पड़ता है। आप अगर ध्यान से देखियेगा तो आपको समझ में आ जाएगा कि नशा करने वाला व्यक्ति धीरे-धीरे विवेक शून्य हो जाता है।कहा भी गया है कि ” जब नाश मनुज का आता है तो पहले विवेक मर जाता है”।

उसे इस बात का ज्ञान होता ही नही कि सत्य क्या है और असत्य क्या है। जब व्यक्ति विवेक हीन हो जाएगा तो उसके द्वारा गलत कार्य होने लगेगा। माँस खाना सिर्फ एक लालच है। आपके छोटे से बच्चे को जब छोटा सा खरोंच लग जाता है तो आपका गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ जाता है ,और जब कोई आपके बच्चे को मार देता है तब आप उस व्यक्ति को जान से मारने पर उतारू हो जाते हो। आप जरा सोचिये कि जो माँस आप बाजार से कटवा कर लाते हैं ,वो भी किसी जीव का बच्चा ही तो होगा। उस पाप कर्म का भागीदार कौन होगा ? गुरुदेव श्री शक्ति पुत्र ज़ी महाराज ने सदैव नशामुक्त और मांसाहार मुक्त समाज की परिकल्पना की है। गुरुदेव ज़ी के लाखों करोड़ों शिष्य नशा मुक्त ,मांसाहार मुक्त होकर लोगों को गुरुदेव ज़ी की विचारधारा से अवगत करा रहे हैं। नशा एक किस्म का धीमा जहर है जो मनुष्य को धीरे-धीरे खोखला करता रहता है। नशेड़ी व्यक्ति का कोई महत्व नही होता है। एक छोटा सा बच्चा भी उसे बहुत कुछ बोल कर चला जाता है। बहुत सारे अभिभावक बच्चों को मना करने से डरते हैं। यहीं पर हम गलती करते हैं। शुरुआत से ही आप उसका विरोध कीजिये।

जिससे इस बुरी लत की शुरुआत ही ना हो।पाश्चात्य संस्कृति में आप देखिये परिवारों की कितनी बुरी स्थिति है। छोटी-छोटी बच्चियाँ शादी से पूर्व ही गर्भ धारण कर लेती हैं। आप जरा गम्भीरता से इस बात को लेकर सोचिये कि ऐसे समाज का भविष्य क्या होगा ? अगर यही स्थिति विद्यमान रही तो समाज में सांस लेना भी दूभर हो जाएगा। गुरुदेव ज़ी प्रत्येक शिविरों में लाखों लोगों के जीवन को खुशहाल बना रहे हैं। उनके परिवारों को खुशियों से ओत प्रोत कर देते हैं। जो व्यक्ति गुरुदेव ज़ी द्वारा निर्देशित क्रमों का पालन करते हुये नशा मुक्त ,मांसाहार मुक्त और चरित्र वान जीवन जीयेगा। उसके जीवन में अनुकूलता जरूर रहेगी। हम अपने बुरे कर्मों के कारण ही विषमता भरा जीवन जीने के लिये मजबूर हैं।

अगर हमारे साथ रहने वाला व्यक्ति बुरे कार्योँ में लिप्त है तो हमें तत्काल ऐसे व्यक्ति से दूरी बना लेना चाहिये क्यूँकि ऐसा व्यक्ति किसी भी समय हमें भी नुकसान पहुँचा सकता है। चरित्रहीन व्यक्ति को अपने परिवार में प्रवेश नही देना चाहिये। इससे परिवार की शांति भंग होती है। अगर ऐसे व्यक्ति का आपके घर में आना जाना होगा तो उसके द्वारा बहुत सारी नकारात्मक ऊर्जा का आपके घर में प्रवेश हो रही है । अतः ऐसे व्यक्ति से किसी भी प्रकार का रिश्ता मत रखिये।हमेशा अपने घर के वातावरण को पवित्र बनाए रखिये ,जिसके कारण आपके घर में सदैव सकारात्मक ऊर्जा बरकरार रहे। अपने मित्रों ,परिचितों और रिश्तेदारों को भी गुरुदेव ज़ी की विचारधारा से सदैव अवगत कराते रहिये ,जिससे उनका भी कल्याण होता रहे।

जै माता की जै गुरुवर की

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