छतरपुरमध्यप्रदेशसागर संभाग

छतरपुर तहसीलदार का कारनामा: कलेक्टर के आदेश की गलत व्याख्या कर पट्टे की जमीन का तहसीलदार रंजना यादव ने कर दिया नामांतरण

छतरपुर। गरीबों को खेती के लिए दी गई पट्टे की जमीन को कलेक्टर के आदेश की गलत व्याख्या कर उसका नामांतरण कर देने का छतरपुर तहसीलदार रंजना यादव का एक कारनामा उजागर हुआ है। दस्तावेजी साक्ष्यों के अनुसार न्यायालय तहसीलदार नगर छतरपुर द्वारा 27 अक्टूबर को एक पट्टे की जमीन का नामांतरण आदेश पारित किया गया है जिसमें कलेक्टर के आदेश का गलत तरीके से हवाला दिया गया है।

छतरपुर तहसील के अमानगंज मौजे की भूमि खसरा नंबर 216/2 रकबा 1.104 हेक्टेयर ललौनी निवासी रामाधीन अहिरवार को पट्टे पर शासन से मिली थी। रामाधीन की मृत्यु हो जाने पर यह जमीन उसकी पत्नी तीजा और पुत्र कैलाश अहिरवार वगैरह के नाम दर्ज करने का आदेश दिया गया था। इस पट्टे की जमीन में से 0.653 हेक्टेयर भूमि ललौनी के देवीदीन कुशवाहा पुत्र कम्मोद कुशवाहा ने खरीद ली। उन्होंने इसी साल 9 अगस्त को इसकी बकायदा रजिस्ट्री भी करा ली। मामला नामांतरण के लिए तहसीलदार के पास पहुंचने पर उन्होंने न्यायालय कलेक्टर छतरपुर के प्रकरण क्रमांक/ 30/ बी/121/23-24 आदेश दिनांक 8 जून 2023 का गलत तरीके से हवाला देकर नामांतरण भी कर दिया।

न्यायालय कलेक्टर छतरपुर के प्रकरण क्रमांक/ 30/ बी/121/23-24 आदेश दिनांक 8 जून 2023 के मुताबिक एसडीएम छतरपुर के प्रकरण क्रमांक 186/ अपील /2019-20 में पारित आदेश दिनांक 29 जून 2020 में भूमि को शासकीय से निजी मद परिवर्तन का आदेश पारित कर परिवर्तन की रिक्वेस्ट भू अभिलेख पोर्टल के माध्यम से पटवारी और तहसीलदार द्वारा भेजी गई थी। जिसे पोर्टल पर स्वीकृत कर दिया गया।

ताज्जुब की बात ये है कि इस आदेश का हवाला देकर तहसीलदार ने नामांतरण ही स्वीकृत कर दिया। हालांकि उसमे सह खातेदार के रूप में नाम जोड़ने की मामूली शर्त लगा दी गई। कलेक्टर के आदेश की गलत व्याख्या कर नामांतरण की यह कार्यवाही तहसीलदार रंजना यादव ने की है। जबकि कलेक्टर या एसडीएम के आदेश में कहीं भी नामांतरण का कोई जिक्र ही नहीं किया गया। आदेश में भूमि को शासकीय से निजी यानि पट्टेदार के नाम दर्ज करने का उल्लेख है। बताते हैं कि छतरपुर शहर से सटे होने के कारण उक्त भूमि की कीमत वर्तमान में करोड़ों रुपए है। संभवतः इसीलिए यह सारी कारगुजारी की गई है।

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