आध्यात्मिक

जो अपने आप को साध ले, सच्चे मायनों में वहीं साधक हैं: अजय अवस्थी जी

राजनेता स्वच्छता की बात तो करते हैं, अरे जब इनका ह्रदय ही स्वच्छ नहीं हैं तो बाहर की स्वच्छता किस काम की?

डेस्क न्यूज। भगवती मानव कल्याण संगठन के केंद्रीय महासचिव सिद्धाश्रम रत्न अजय अवस्थी जी ने कहा की जो अपने आप को साध ले, सच्चे मायनों में वहीं साधक हैं उक्त चिंतन श्री अवस्थी जी ने इंदौर के एक कार्यक्रम में दिए।

श्री अवस्थी जी ने कहा की राजसत्ताए, तथाकथित राजनेता देश को नशे जैसी महामारी की ओर लगातार ढकेल रहें हैं। आप लोगों को मांग करनी चाहिए कि देश को प्रदेश को पूर्णरूपेण नशामुक्त घोषित किया जाए, नशे का करोबार बंद किया जाए। यें राजनेता स्वच्छता की बात तो करते हैं, अरे जब इनका ह्रदय ही स्वच्छ नहीं हैं तो बाहर की स्वच्छता किस काम की? पहले अपने अंदर के मैल को, अपने ह्रदय को साफ करें, फिर स्वच्छता अभियान चलाने की बात करें तो अच्छा होता।

श्री अवस्थी जी ने आगे कहा आप सभी लोग नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान व चेतनावान जीवन जीने के साथ पुरुषार्थ और परोपकारमय जीवन को अंगीकार करें। इसी में सच्चा सुख निहित हैं। सभी के अंदर संयम होना चाहिए। केवल पूजा-पाठ कर लेने से कुछ नहीं होता। साधना कौन हैं? जो अपने आप को साध ले, काम-क्रोध-लोभ-मोह को साध ले और जिसने स्वयं को साध लिया, वहीं सच्चे मायने में साधक हैं।

(विचारक-श्री अजय अवस्थी जी सिद्धाश्रम रत्न एवं केंद्रीय महासचिव भगवती मानव कल्याण संगठन भारत)

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