भोपाल

शिक्षक दिवस पर विशेष: उमर फ़ारूक़ अली शिक्षा के दीपस्तंभ- लेखक पत्रकार सैयद आसिम अली

भोपाल। भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन महान दार्शनिक, शिक्षक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षा केवल जीवन यापन का साधन नहीं बल्कि चरित्र निर्माण और समाज सुधार का सबसे बड़ा मार्ग है। इसी अवसर पर आज हम बात कर रहे हैं उन शिक्षक की, जिन्होंने शिक्षा को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रखकर जीवन जीने की कला बना दिया—मेरे मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत उमर फ़ारूक़ अली सर ।

शिक्षा का दीपस्तंभ-
भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित बाल भवन स्कूल के संचालक उमर फ़ारूक़ अली शिक्षा जगत का वह नाम हैं, जिन्होंने शिक्षा को जीवन मूल्यों, संस्कारों और अनुशासन से जोड़कर एक नई पहचान दी।
जैसे समुद्र में भटके हुए जहाज़ को दीपस्तंभ रास्ता दिखाता है, वैसे ही उमर फ़ारूक़ अली सर विद्यार्थियों और समाज को सही दिशा दिखाने वाले मार्गदर्शक हैं।उनके प्रयासों ने बाल भवन स्कूल को केवल पढ़ाई की जगह नहीं, बल्कि संस्कार और समग्र व्यक्तित्व विकास का केंद्र बना दिया।उनके नेतृत्व में बच्चों को यह सीख दी जाती है कि पढ़ाई के साथ-साथ समाज के प्रति जिम्मेदारी, कठिनाइयों से लड़ने का साहस और सकारात्मक सोच ही असली शिक्षा है।

(फोटो- जनाब उमर फ़ारूक़ अली शिक्षा के दीपस्तंभ)

शिक्षा में नवाचार-
उमर फ़ारूक़ अली सर ने शिक्षा पद्धति को समय के साथ आधुनिक बनाया और नए प्रयोग किए—
स्मार्ट क्लासरूम – किताबों से परे व्यावहारिक ज्ञान।
प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग – अनुसंधान और खोज की भावना।
खेल एवं गतिविधियों से शिक्षा – “खेल जीवन का सबसे बड़ा शिक्षक है।”

पर्यावरण शिक्षा – वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता अभियान से जुड़ाव।
इन नवाचारों ने विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, रचनात्मकता और सामाजिक संवेदनशीलता का विकास किया।

विद्यार्थियों के प्रति आत्मीयता-
उमर सर अपने छात्रों को केवल विद्यार्थी नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा मानते हैं।
पढ़ाई में कठिनाई हो तो व्यक्तिगत मार्गदर्शन।
आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई कभी न रुके, इसकी चिंता।
बच्चों की निजी समस्याओं को सुनकर समाधान की राह दिखाना।
यही कारण है कि विद्यार्थी उन्हें सिर्फ़ शिक्षक नहीं, बल्कि पिता समान मानते हैं।

समाज के लिए योगदान-
उनका योगदान केवल स्कूल तक सीमित नहीं है।
शिक्षा जागरूकता अभियान।
सामुदायिक सेवा कार्यक्रमों के जरिए बच्चों में सामाजिक सरोकार की भावना। इन प्रयासों से अनेक ऐसे बच्चों का भविष्य संवर पाया, जो अन्यथा पढ़ाई से वंचित रह जाते।

विद्यार्थियों की गवाही-
कई छात्र बताते हैं कि जब वे निराश हुए तो सर ने उनका उत्साह बढ़ाया।
“जब मैं पढ़ाई में पिछड़ रहा था, तब सर ने मुझे अतिरिक्त समय दिया और आज मैं इंजीनियरिंग कर रहा हूँ।”

“सर ने सिखाया कि सफलता का रास्ता ईमानदारी और मेहनत से होकर जाता है। यही सीख मेरी सबसे बड़ी पूँजी है।”

शिक्षक दिवस पर संदेश
उमर फ़ारूक़ अली सर का मानना है –

“शिक्षक केवल ज्ञान देने वाला नहीं होता, बल्कि वह जीवन का मार्गदर्शक होता है। आज की दुनिया को केवल अच्छे अंक लाने वाले नहीं, बल्कि अच्छे इंसानों की ज़रूरत है।”

निष्कर्ष-
शिक्षक दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारी नींव हमारे शिक्षक रखते हैं। मेरे शिक्षक उमर फ़ारूक़ अली सर उसी नींव के शिल्पकार हैं। उन्होंने हमें सिर्फ़ किताबों का ज्ञान नहीं दिया, बल्कि जीवन की राह दिखाने वाला दीपक भी जलाया।आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो महसूस करता हूँ कि अगर सर जैसे शिक्षक न होते, तो शायद मैं जीवन के कई संघर्षों में हार मान लेता। लेकिन उन्होंने हमें हार न मानना सिखाया।

“आज मैं पूरे समर्पण और सम्मान के साथ अपने शिक्षक के प्रति आभार प्रकट करना चाहता हूँ, जिनका योगदान मेरे जीवन में अमूल्य है।”

इस विशेष अवसर पर मैं अपने शिक्षक उमर फ़ारूक़ अली सर के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। आपने न केवल मुझे शिक्षा दी, बल्कि जीवन के मूल्यों को भी समझाया। मैं आपको हृदय से शुभकामनाएँ देता हूँ कि आपका जीवन सदैव उज्ज्वल रहे और आप निरंतर भावी पीढ़ियों को प्रेरित करते रहें। धन्यवाद सर! आप जैसे गुरु ही हमारे जीवन के सच्चे नायक हैं।

(लेखक पत्रकार सय्यद असीम अली है )

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