साक्षात लक्ष्मी माता हैं रुक्मणी: कृष्णदास पांडे

कटनी। विजयराघवगढ़ श्री संकट मोचन जगन्नाथ धाम में लगातार श्रीमद् भागवत कथा के व्यास जी महाराज आचार्य पं कृष्णदास पांडेय ने श्री मद्भागवत कथामृत का रसपान कराते हुए रासपंचाध्यायी का वर्णन करते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुर जी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है। वह भव से पार हो जाता है।उन्हें वृन्दावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है।
श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाते हुए बताया कि रुक्मणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी है।वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती हैं। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्री कृष्ण के रुप सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो बहुत प्रभावित हुई और मन ही मन श्री कृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया।रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्री कृष्ण से शत्रुता रखता था। अपनी बहन रुक्मणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। लेकिन रुक्मणी को श्री कृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की झांकी ने श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
साप्ताहिक धार्मिक आयोजन मे लगातार रस पान करने वाले श्रोताओं मे प्रमुख रुप से पं प्रमोद मिश्रा, विमलेन्दु पयासी,श्रीमती वंदना सुरेन्द्र त्रिपाठी,हरीश दुबे,पार्षद,डॉ अनिल मिश्रा,मदनलाल ग्रोवर,अनिल शर्मा गुडडू ,पं रामावतार त्रिपाठी,सुरेन्द्र मिश्रा,वेदाचार्य पं राकेश उरमलिया,अजीत पांडेय, रामजीवनदास,विपिन सोनी, पद्मा ताम्रकार,अरुण मिश्रा,रामकिशोर गुप्ता, कुंजीलाल लाल गुप्ता,सरमन गुप्ता,राजकुमार शर्मा,बालचंद गुप्ता, रजनीश गुप्ता,संदीप गुप्ता हरिप्रपन्न पांडेय,श्रीमती माधवी त्रिपाठी, अंकित मिश्रा,श्यामू,अशोक गुप्ता आयोजक श्रीमती चंदा गुप्ता,रंजीत गुप्ता,बलराम गुप्ता सहित अन्य भगवद भक्त उपस्थित रहे।
(शेरा मिश्रा पत्रकार विजयराघवगढ़ कटनी)