बारिश के बाद हवा कैसे हो जाती है साफ, ऐसा क्या हो जाता है इससे

हाइलाइट्स
बारिश की बूंदें वायुमंडल में मौजूद कणों को आकर्षित करती हैं, उनसे मिलकर जैल बनाती हैं
कई बार जब हवा में प्रदूषण ज्यादा होता है तो बारिश की बूंदें काली या पीली होने लगती हैं
दिल्ली और उत्तर भारत में बारिश के बाद मौसम धुला और साफ लग रहा है. ठंड थोड़ा महसूस हो रही है और हवा की क्वालिटी में सुधार हुआ है. दिल्ली और एनसीआर में स्मॉग का जो धुंआ सा आसमान में छाता सा लग रहा था, वो काफी हद तक छंट गया है.
आमतौर पर जब बारिश होती है तो हवा में मौजूद तमाम तरह के कण उसकी ओर आकर्षित होकर एक जैल बना लेते हैं. हवा में मौजूद इन कणों को एरोसोल कहते हैं. इन कणों में कालिख, सल्फेट्स और कई तरह के कार्बनिक कण होते हैं, जो प्रदूषण में खास भूमिका निभाते हैं.
एरोसोल बूंदों के साथ जुड़कर धरती पर आ जाते हैं
तो बारिश में ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसके जरिए बारिश की बूंदें और एरोसोल आपस में आकर्षित होते हैं और जुड़ जाते हैं और इसके बाद धरती पर आकर गिरते है, फिर वो पानी के साथ या तो बह जाते हैं या फिर धऱती द्वारा सोख लिये जाते हैं.
ये प्रक्रिया कैसे होती है
जैसे ही बारिश की बूंद वायुमंडल में गिरती है, जमीन से टकराने से पहले ये सैकड़ों छोटे एयरोसोल कणों को अपनी सतह पर आकर्षित कर सकती है. हालांकि शोध में पाया गया कि बारिश की बूंदें जितनी छोटी होंगी, वो हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों को उतना ही आकर्षित करेंगी. कई बार ये बादल की ऊंचाई और बारिश की तीव्रता पर भी निर्भर करती है.
क्या इसका कारण बूंदों और वायुमंडल कणों का आवेश
शोध में ये भी कहा गया है कि हर बारिश की बूंद आवेशित भी होती है, लिहाजा वो वायुमंडल में पहले से मौजूद तमाम तरह के आवेशित कणों के साथ मिलकर जैल बनाते हैं.
बारिश वायु प्रदूषण को कम करती है
तो इसका मतलब ये हुआ कि बारिश एयर पॉल्यूशन को नीचे ले जाती है. हवा में कई ऐसे खतरनाक कण होते हैं जो तैरते रहते हैं, यही हवा में जहर घोलते हैं और कई जाड़े के शुरू होने के साथ स्मॉग जैसी जहरीली हवा को फैलाने लगते हैं. इसके हवा में घुलने मिलने से ना केवल हवा की दृश्यता कम हो जाती है बल्कि आसमान में धुआं-धुआं सा दिखने लगता है. ये स्वास्थ्य के लिए कई तरह से नुकसानदायक होता है.
जब तक बारिश नहीं होती तब तक ये कण हल्के होकर हवा में मौजूद या उड़ते रहते हैं जब बारिश के संपर्क में आकर जैल बनाते हैं तो फिर ये जैल भारी होने के कारण धरती पर आकर गिरने लगता है.
शुद्ध हवा में कैसे कण होते हैं
बारिश के बाद आमतौर पर हवा साफ हो जाती है, तब इसमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, हीलियम, ओज़ोन, निऑन, जेनान, धूल के कण, जलवाष्प के कण होते हैं.
शुद्ध हवा में किसी भी तरह के प्रदूषक नहीं होते. इसमें दुर्गंध और धूल के कण भी नहीं होते. इसमें किसी भी तरह की हानिकारक गैसें नहीं होतीं. शुद्ध हवा में वायु के संगठन अवयवों का अनुपात एकदम उचित होता है और ये सांस के लिए बिल्कुल सही होती हैं.
हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कितनी होती है
हवा में ऑक्सीजन की मात्रा सौ फीसदी नहीं होती यहां तक 50 फीसदी भी नहीं बल्कि ये करीब 21फीसदी होती है. इसके बाद वायुमंडल में दूसरी सबसे प्रचुर मात्रा में जो गैस होती है, वो नाइट्रोजन होती है,ये वायुमंडल का करीब 78फीसदी हिस्सा बनाती है. वायुमंडल में मौजूद बाकी गैसें 1प्रतिशत से कम मात्रा में होती हैं.
ऑक्सीजन कहां सबसे ज्यादा होती है
ऑक्सीजन, पृथ्वी की पपड़ी में सबसे ज्यादा होती है. ये पृथ्वी की पपड़ी का लगभग 46.6 फीसदी हिस्सा होती है. समुद्री जल में ऑक्सीजन का अनुपात भार की दृष्टि से 89 फीसदी होता है.
ऑक्सीजन कैसी होती है
ऑक्सीजन, एक रंगहीन और गंधहीन डायटोमिक गैस है. यह एक ज्वलनशील गैस है. लकड़ी या कोई भी दहनशील वस्तु हवा की तुलना में शुद्ध ऑक्सीजन की उपस्थिति में अधिक तेजी से जलती है.
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FIRST PUBLISHED : October 17, 2023, 11:08 IST