सफलता की कहानी: एनआरसी में भर्ती होने के 14 दिनों में रितिक हुआ कुपोषण मुक्त

छतरपुर ज.सं। जिले के राजनगर ब्लॉक के ग्राम धौगुंवा में एक आदिवासी परिवार निवास करता है परिवार का बड़ा बेटा जीविकोर्पाजन के लिए खजुराहो में रहता है। परिवार में कमाई का साधन दिहाडी मजदूरी है।
ये सफलता की कहानी है नन्हें रितिक की जिसने कुपोषण को मात दी है और आज स्वस्थ होकर हंस खेल रहा है। रितिक की माँ चन्दा ने बताया कि रितिक का वजन जन्म से ही कम था और वह हमेश अस्वस्थ रहता था। इसी बीच जब आशा आंगनबाडी कार्यकर्ता ने रितिक की खराब हालत देखी तब उसे एनआरसी में भर्ती करवाने की सलाह दी। किंतु रितिक की दादी ने उसे एनआरसी नहीं लाने दिया दादी और मां चंदा को आशा आंगनबाडी कार्यकर्ताओं पर विश्वास नही था वो पूजा पाठ द्वारा जिसको मान्यता कहा जाता है उसी में लगी रहीं।
रितिक की तबीयत में सुधार नहीं दिखने पर एक बार फिर आशा आंगनबाडी कार्यकर्ता ने घर आकर रितिक को एनआरसी में भर्ती कराने की सलाह दी और गांव की ही जागरूक महिला हीराबाई का सहयोग लिया जिसके बाद दादी भी रितिक को एनआरसी में भर्ती कराने के लिए मान गई।
22 अगस्त 2024 को एनआरसी में भर्ती होने के बाद रितिक दस्त बुखार से पीडित था और उसका वनज 6.45 कि.ग्रा था। एम.ओ. द्वारा स्वास्थ्य जांच करके प्राथमिक उपचार दिया गया, एफ.डी. द्वारा वजन लंबाई आदि एन्थ्रोपोमेट्रिक मापन करके आहार निर्धारित किया गया। जिसे सपोर्ट स्टॉफ द्वारा समय-समय पर निगरानीपूर्वक रात में दिया गया।
दूसरे दिन एएनएम द्वारा एनआरसी में होने वाली सभी आवश्यक जांचें जैसे एचबी, एमपी, एचआईवी, एक्सरे, मानटोस करवाई गई। एफडी द्वारा प्रतिदिन लिये जाने वाले वजन, दवाईयों के महत्व को माता को समझाया गया कि कौन सी जांच किस बीमारी के लिए जरूरी है और किस दवा से बुखार दस्त में फायदा होगा। एनआरसी स्टॉफ द्वारा किये गये बच्चे के प्रति सतर्कता पूर्वक देखभाल से 6-7 दिन में रितिक के स्वास्थ्य में सुधार को देखकर माता-पिता के चेहरे खुशी से खिल उठे। एमओ डॉ चतुर्वेदी, एफडी आराधना चौरसिया, एएनएम सोनू यादव के संयुक्त प्रयास से रितिक कुपोषण को हराकर सुपोषित हुआ। रितिक के स्वस्थ होने पर उसको एनआरसी से 06 सितम्बर 2024 को डिस्चार्ज किया गया और इस समय रितिक का वनज 7.18 कि.ग्रा हो चुका था।