महावीर जन्म कल्याण के अवसर पर अहिंसा परमोधर्मः के उदघोष से गुंजायमान हुआ छतरपुर

छतरपुर। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्मकल्याणक के अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज छतरपुर द्वारा निकाली गई भव्य शोभायात्रा जैन समाज के अंचल जैन ने बताया कि संपूर्ण विश्व को सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और करुणा का मार्ग दिखाने वाले भगवान महावीर जी की शिक्षाएं समूची मानवता के लिए पाथेय हैं।
आज जब देश और दुनियाभर में हिंसक सोच को बढ़ावा देनेवाले नकारात्मक तत्व सक्रिय हैं, ऐसे में भगवान महावीर स्वामी जी का ‘जियो और जीने दो’ का सिद्धांत सबके लिए संजीवनी बन सकता है। यह सह-अस्तित्व, सहनशीलता, सौहार्द और शांति को जन्म देनेवाला सिद्धांत है। इसमें विद्वेष और वैमनस्य के उन्मूलन की असीम शक्ति विद्यमान है। अहिंसा मानवता की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जिसके मूल में समस्त प्राणि जगत के लिए करूणा का कल्याणकारी भाव है, जो अंततः मानव से लेकर पशु-पादप जगत और सम्पूर्ण पारिस्थितिकी के संरक्षण, संतुलन और सतत विकास का ही सिद्धांत है।
सभी से निवेदन किया कि आइए ‘जियो और जीने दो’ और ‘अहिंसा’ को अपने जीवन में एक मानवीय आचार-संहिता की तरह अपनाएं, सम्पूर्ण मानवता को गले लगाएं और जीवन में और भी अधिक सकारात्मकता लाएं, और भी सकारात्मक हो जाएं।











