माँ गुरुवर जी ने सभी मनुष्यों को समान रूप से स्थूल शरीर प्रदान किया है, उसी शरीर में दिमाग भी है, बहुत सारे लोग अपने दिमाग का सदुपयोग करके सुख और शांति का जीवन जी रहे हैं, कुछ लोग इसी दिमाग का दुरुपयोग करके अपने वर्तमान और भविष्य दोनों को नष्ट करने पर आमादा हैं: शिव बहादुर सिंह

डेस्क न्यूज। जिस मानव योनि को पाने के लिये देवता भी लालायित रहते हैं ,उस दिव्य जीवन को प्राप्त करके भी हम लोग अनाप-शनाप कार्योँ में लिप्त हैं। माँ गुरुवर ने हमें ये मानव जीवन सकारात्मक कार्योँ के लिये प्रदान किया है।
उदाहरण स्वरूप हम गरीबों की सेवा करें ,लोगों के काम आ सकें ,तमाम परेशान लोगों को गुरुदेव जी की विचारधारा से अवगत करायें ,जितना भी सम्भव हो उतना लोगों का कल्याण करें ,घर-घर जाकर लोगों के घरों में माँ दुर्गा जी की आरती और चालीसा पाठ करें। महाआरती और शिविर में नये लोगों को लेकर जायें। इन सभी के अलावा प्रतिदिन नियमित रूप से माँ गुरुवर की साधना करें। इसके अतिरिक्त और भी ऐसे जनकल्याणकारी कार्य हैं ,जिनके माध्यम से हम लोगों की सहायता कर सकते हैं। देखिये एक बात तो तय है कि आप चाहे कुछ भी कर लें आपको आपके अच्छे और बुरे कार्योँ दोनों का फल आपको हमको भुगतना होता है तो क्यूँ ना हम जानबूझ कर अच्छे कार्य ही करें। ईश्वर ने हमें दिमाग इसलिये नही दिया की हम इसका दुरुपयोग ही करते रहें। दिमाग का सदुपयोग कीजिये और जीवन को खुशहाल बनाइये।
आप अपने मित्रों और रिश्तेदारों के ऊपर एक नजर डालिये और देखिये कि जिन्होंने अपने दिमाग का दुरुपयोग किया ,वो आज किस हाल में जी रहें हैं। इसके विपरीत जो लोग अच्छी सोच रखते हैं और सदैव अपने दिमाग का सदुपयोग करते हैं ,उनके जीवन को बारीकी से देखिये ,कितने शानदार तरीके से जीवन जी रहें हैं।जीवन में शांति और सुकून चाहिये तो तत्काल प्रभाव से दिमाग के दुरुपयोग पर रोक लगा देना होगा। ऐसे लोग दुःखी होंगे ,परेशान भी होंगे ,आर्थिक तंगी भी झेल रहे होंगे ,फिर भी अपनी आदत से बाज नही आयेंगे। आइये इससे किस तरह छुटकारा पाया जाय ,इसकी चर्चा कर लेते हैं। सर्व प्रथम आप अपने साथ बुरा करने वाले के साथ भी बुरा मत सोचिये और बुरा मत कीजिये।
माँ गुरुवर के चरणों पर समर्पित करके बोलिये कि माँ गुरुवर आपको जो उचित लगे आप ही देखिये ,मुझे इसमें नही पड़ना। उसके बाद आप नियमित माँ गुरुवर जी की साधना कीजिये और संगठन द्वारा निर्देशित जन जागरण के क्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लीजिये धीरे धीरे आपको परिवर्तन नजर आने लगेगा। आप अपनी बेशक़ीमती ऊर्जा को रचनात्मक कार्योँ में खर्च कीजिये। लोग अपने द्वारा किये हुये बुरे कार्योँ से स्वतः ही दुःखी हैं। प्रकृति सत्ता हमें छोटे छोटे दण्ड देकर हमको बार बार आगाह करती रहती है ,पर हम कुछ समय में भूलकर फिर से अनर्गल कार्योँ को अंजाम देने लगते हैं। आपको एक बड़ी हास्यासपद बात बताता हूँ कि कुछ लोग अपने जीवन को इसलिये नष्ट कर रहें हैं कि उन्हें सामने वाला इसलिये पसन्द नही आ रहा है कि वो उसको पसन्द नही करते हैं। अरे !आपके पसन्द और नापसंद से कोई जीवन थोड़े ही जियेगा। सबका अपना-अपना जीवन है। लोगों को अपनी तरह से जीवन जीने का अधिकार है।
अगर अगला व्यक्ति सही कार्य कर रहा है तो आप नाहक ही उसका विरोध करके पाप कर्म के भागीदार बन रहे हैं। हो सकता है हमें वो व्यक्ति पसन्द ना हो तो उसे उसके हाल पर छोड़ दीजिये। हर पल ,हर क्षण सचेत रहिये। जिस दिन हम अपनी कमियों को धीरे-धीरे सुधारने लग जायेंगे ,उसी दिन से हमारा जीवन खुशहाल होता जाएगा। अतः माँ गुरुवर द्वारा प्रदत्त इस दिमाग को सदैव सही कार्योँ के लिये उपयोग कीजिये। कालिदास बनने से अपना ही नुकसान होगा। हमारी बड़ी भूल है कि जीवन बहुत लंबा है ,बल्कि जीवन बहुत ही छोटा है। इसी छोटे समय में कुछ अच्छा करके चले जायें ,जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु के बाद भी लोग हमारे कार्योँ को याद करें।
जै माता की जै गुरुवर की