ABVP से राजनीती की शुरुआत करने वाले रेवंत रेड्डी बने तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री, TDP छोड़कर कांग्रेस में आए और मिली सीएम की कुर्सी

नई दिल्ली। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले पार्टी की राज्य के इकाई के अध्यक्ष अनुमूला रेवंत रेड्डी राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस आलाकमान ने रंवत रेड्डी को मंगलवार को विधायक दल का नेता बनाने के फैसले पर सर्वसम्मति से मुहर लगाई। बताया गया कि शपथ ग्रहण समारोह सात दिसंबर को होगा। सियासी घटनाक्रम के बीच रेवंत रेड्डी मंगलवार रात दिल्ली पहुंचे। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले वह यहां पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे और नई सरकार के गठन पर विचार-विमर्श करेंगे।
तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री होंगे-
रेवंत रेड्डी तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री होंगे। करीब एक दशक पहले तेलंगाना के नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने से लेकर अब तक भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री थे। पार्टी नेतृत्व के फैसले के बाद रेवंत रेड्डी ने मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत सभी लोगों का आभार जताया।
उत्तम कुमार रेड्डी ने भी पेश की थी अपनी दावेदारी-
इससे पहले कांग्रेस की तेलंगाना इकाई के पूर्व अध्यक्ष और विधायक एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा था कि वह भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। हालांकि, जब कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने रेवंत रेड्डी के नाम की घोषणा की तो उनके साथ उत्तम कुमार रेड्डी भी मौजूद थे। वेणुगोपाल ने कहा कि विधायक दल के नेता का फैसला करने के लिए कल कांग्रेस विधायक दल की बैठक हैदराबाद में बैठक हुई थी। उस बैठक में पर्यवेक्षक मौजूद थे। विधायक दल ने एक प्रस्ताव पारित कर विधायक दल का नेता चुनने का जिम्मा कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपा था। इसके बाद आज प्रदेश प्रभारी माणिक राव ठाकरे और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और पर्यवेक्षक डीके शिवकुमार ने खरगे को रिपोर्ट सौंपी।
विवादों से भी रहा हैं रेवंत का नाता-
मई 2015 में रेवंत विवादों में आए गए थे, जब तेलंगाना की अपराध निरोधक शाखा (एसीबी) ने उन्हें रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। उनके खिलाफ मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को विधान परिषद चुनाव में टीडीपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान से जुड़े एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद यह कार्रवाई हुई थी। 30 जून को तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इस मामले में रेवंत को सशर्त जमानत दे दी। पिछले महीने ही तेलंगाना पुलिस ने रेवंत रेड्डी को गिरफ्तार किया था। हैदराबाद गन पार्क में चुनाव आचार संहिता के उललंघन के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इससे पहले उन्होंने सीएम को चुनौती भी दी थी।
कैसे थे चुनाव परिणाम-
इससे पहले तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए गए थे। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। पार्टी ने के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) हैट्रिक के सपने को चकनाचूर कर दिया था। कांग्रेस ने 64 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं बीआरएस 39 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी। आठ सीटों पर भाजपा और छह सीटों पर एआईएमआईएम ने जीत दर्ज की थी। एक सीट पर भाकपा ने जीत हासिल की थी। राज्य की 119 सीटों वाली विधानसभा के लिए 30 नवंबर को मतदान हुआ था।
कौन हैं तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी?-
वर्तमान में रेवंत रेड्डी तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष के पद पर हैं। उनका जन्म 8 नवंबर 1967 को अविभाजित आंध्र प्रदेश में नगरकुर्नूल के कोंडारेड्डी पल्ली नामक स्थान पर हुआ था। रेवंत के पिता का नाम अनुमुला नरसिम्हा रेड्डी और माता का नाम अनुमुला रामचंद्रम्मा है। उन्होंने हैदराबाद में ए.वी. कॉलेज (ओस्मानिया विश्विद्यालय) से फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। इसके बाद रेवंत ने एक प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की।
7 मई 1992 को रेवंत ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री जयपाल रेड्डी की भतीजी अनुमुला गीता से शादी कर ली। हालांकि, शुरुआत में करियर के चुनाव की वजह से परिवार वाले इस रिश्ते के खिलाफ हो गए थे। बाद में परिवार वाले माने और उन्होंने गीता के साथ वैवाहिक रिश्ते की शुरुआत की। उनकी एक बेटी है, जिसका नाम न्यामिषा है।
शादी के बाद कांग्रेस सांसद रेवंत के सियासी सफर का आगाज होता है, जिसकी कहानी भी दिलचस्प है। छात्र जीवन के दौरान वह आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए थे। उन्होंने 2006 में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ा और मिडजिल मंडल से जिला परिषद क्षेत्रीय समिति के सदस्य चुने गए।
इसके बाद 2007 में निर्दलीय ही आंध्र प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बन गए। इस कार्यकाल के दौरान उनकी मुलाकात तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू से हुई और आखिरकार वह पार्टी का हिस्सा बन गए। 2009 में रेवंत ने टीडीपी के टिकट पर अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और 6,989 वोटों से जीत दर्ज की। कोडंगल सीट से उतरे रेवंत कांग्रेस के पांच बार के विधायक गुरुनाथ रेड्डी को हराकर पहली बार विधायक बने थे।
तेलंगाना गठन से पहले 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में रेवंत एक बार फिर कोडंगल सीट से टीडीपी के उम्मीदवार बने। एक बार फिर उन्होंने गुरुनाथ रेड्डी को हराया, जो इस बार टीआरएस के उम्मीदवार थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में रेवंत 14,614 वोटों के अंतर से विजयी हुए थे। इसके बाद टीडीपी ने रेवंत को तेलंगाना विधानसभा में नेता सदन बनाया दिया। हालांकि, 25 अक्तूबर 2017 में टीडीपी ने रेवंत को इस पद से बर्खास्त कर दिया, जब पता चला कि वह कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं। अंततः 31 अक्तूबर 2017 को रेवंत कांग्रेस के सदस्य बन गए।
20 सितंबर 2018 को, उन्हें तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के तीन कार्यकारी अध्यक्षों में से एक नियुक्त किया गया। वहीं 2018 के तेलंगाना विधानसभा में रेवंत तीसरी बार कोडंगल सीट से चुनाव मैदान में उतरे। इस बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने वाले रेवंत को बीआरएस के पटनाम नरेंदर रेड्डी के हाथों पहली हार मिली।
विधानसभा की हार के बाद रेवंत ने 2019 लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई। रेवंत तेलंगाना में कांग्रेस के उन तीन लोकसभा सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने 2019 में चुनाव जीता था। मल्काजगिरि सीट से उतरे कांग्रेस उम्मीदवार ने टीआरएस के एम राजशेखर रेड्डी को करीबी मुकाबले में 10 हजार से ज्यादा मतों से हराया। जून 2021 में रेवंत को बड़ी जिम्मेदारी मिली, जब कांग्रेस ने उन्हें अपनी तेलंगना प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बना दिया। इस विधानसभा चुनाव में रेवंत तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के सामने चुनाव लड़े। यह मुकाबला कामारेड्डी विधानसभा सीट पर था। यहां रेवंत और केसीआर दोनों को भाजपा उम्मीदवार से हार झेलनी पड़ी। हालांकि, रेवंत ने दूसरी सीट कोडांगल से चुनाव जीत लिया।