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निराला का व्यक्तित्व आजकल के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है: सुमन

छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी अध्ययन शाला एवं शोध केंद्र में हिंदी साहित्य के ओजस्वी साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की जयंती समारोह पूर्वक मनायी गई। जिसमें बुंदेली एवं हिंदी के प्रमुख साहित्यकार श्री सुरेंद्र शर्मा ‘सुमन’ मुख्य अतिथि रहे तथा चित्रकला विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एस के छारी सर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कला संकायाध्यक्ष एवं हिंदी की विभागाध्यक्ष डाॅ पुष्पा दुबे जी द्वारा की गई ।

कार्यक्रम का संयोजन प्रो. बहादुर सिंह परमार द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अंग्रेजी विभाग की प्राध्यापक डॉ. गायत्री की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के पूजन के साथ हुआ। तत्पश्चात पुष्पमालाओं से अतिथियों का स्वागत किया गया। इस अवसर पर हिंदी विभाग के छात्र-छात्राओं एवं शोधार्थियों द्वारा निराला के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रस्तुतियां एवं कविता पाठ किया गया।

इसके पश्चात कार्यक्रम के संयोजक प्रो बहादुर सिंह परमार ने निराला के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि निराला हमारे पुरखा कवि हैं। उन्होंने छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद के साथ नई कविता में महत्वपूर्ण रचनाएं लिखी हैं। उन्होंने कुल्ली भाट, बिल्लेसुर बकरियां जैसे उपन्यास, लिली जैसी कहानियां लिखीं। उन्होंने जूही की कली, संध्या सुंदरी, राम की शक्ति पूजा जैसी महत्वपूर्ण कविताएं लिखीं।

इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ एस के छारी एवं मुख्य अतिथि श्री सुरेंद्र शर्मा ‘सुमन’ जी द्वारा निराला जी के जीवन से जुड़े प्रेरणास्पद व्याख्यान दिए। मुख्य अतिथि श्री सुरेन्द्र शर्मा ‘सुमन’ ने कहा कि आज की पीढ़ी को महाप्राण निराला से प्रेरणा लेना चाहिए। वे सच्चे मायनों में भारतीयता के गायक थे। उनकी ओजस्वी वाणी अपने आप में विशिष्ट है। डॉ गायत्री द्वारा भी निराला के जीवन पर प्रकाश डाला गया तथा स्वरचित कविता सुनाई। अंत में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ पुष्पा दुबे ने कहा कि निराला हर मामले में निराले कवि हैं। वे एक ओर कुकरमुत्ता जैसी कविताएं रचते हैं वहीं जागो फिर एक बार लिखते हैं। हिंदी विभाग के डॉ जसरथ प्रसाद अहिरवार ने आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन श्री दिव्यांश खरे ने किया। कार्यक्रम में कल्याण, प्रगति पांडेय, विनय सिंह , रेखा शुक्ला,पायल, दीपा आदि छात्र-छात्राएं एवं श्री कल्लू , आशीष, सरोज सहित अनेक शोधार्थियों का सहयोग एवं उपस्थिति रही।

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