दिया तले अंधेरा क्यों?, सनातन पहले या मानव धर्म: श्रीमती मंजू द्विवेदी
श्रीमती मंजू द्विवेदी का सनातन की बात कर लोगों कों आपस में लड़ाने वालों कों कड़ा जबाव

मध्यप्रदेश। आज फिर एक बार भगवती मानव कल्याण संगठन की छतरपुर महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष श्रीमती मंजू द्विवेदी ने सनातन की बात कर लोगों कों आपस में लड़ाने वालों कों कड़ा जबाव देते हुए कहा हैं की जो सनातन की बात कर लोगों कों आपस में लड़ाकर आपसी भाईचारे और सौहार्द कों विगाड़ने का कार्य करते हैं वह पहले बताए की सनातन पहले या मानव धर्म। किसी मानव के जीवन में परिवर्तन लाना ही सनातन धर्म हैं।
मैं स्प्ष्ट करती हूँ कि सनातन के नाम पर धीरेंद्र शास्त्री कैसे लोगो को गुमराह कर रहे है। यह कि हमेशा मंच से हम हिन्दू है सनातनी है कहकर लोगो को अपनी और आकर्षित करना है जो लोग हिन्दू विचारधारा के है वह उनकी ओर उनकी बात के अनुसार आकर्षित हुये भीड़ बड़ी हिन्दू एक हो जाओ चिल्लाते है तब लोगो के मन मे हिन्दू मुस्लिम में भेदभाव की स्थिति पैदा होती है और स्वयं धीरेंद्र शास्त्री के मुस्लिम लोगो से संबंध है मंच से उनका स्वागत सम्मान करते है। ठीक है आप सम्मान करते है पर लोगो को क्यो लड़ना सिखाते है उनको भी भाई चारा सिखाइये मिलकर रहना सिखाइये। या फिर जो लोगो को पाठ पढ़ा रहे है वह खुद भी माने कट्टर हिंदू है मुस्लिम लोगो से कोई संबंध नही होना चाहिए। और बहुत सी बातें है जो मैं जानती हूँ।
दूसरी बात चमत्कार करते है किसी का भी भविष्य जानते है दूर से आये अनजान लोगों का भविष्य बताते है और अपने घर मे क्या हो रहा है या आगे क्या होगा यह नही जान पाए कि मेरा भाई अपराध की और बढ़ रहा है उसको चमत्कार से सुधारते विचारधारा बदल देते वह ऐसी हरकतें नही करता और नही मानता तो ऐसे भाई को त्याग देते संरक्षण क्यो दे रहे है और उसके साथ उसकी पूरी गैंग है और भी लड़के साथ होते है।
क्यो दिया तले अंधेरा है अपने भाई की चिंता नही है कि उसका जीवन बर्बाद हो रहा है उसका भविष्य क्या होगा यह तो हम साधारण लोग जानते है कि अपराधी का भविष्य जेल की सलाखें होता है। तो क्या वह इतना नही जान पा रहे है या अपनी पहचान या रुतबे के कारण भाई को जेल या सजा से बचाकर रखेंगे। पर जो हानि उनका भाई समाज को पहुँचा रहा है वह कितना गलत है किसी की बेटी की शादी में उत्पात मचाकर परेशानी देना उचित है क्या। सनातनी तो बहिन बेटियों के काम अच्छे से कराते है उनके रक्षक होते है। किसी को हानि नही पहुचाते।
और रही बात की भाई के कारण धीरेंद्र शास्त्री को टारगेट बनाया जा रहा है तो मैं कहती हूँ कि धीरेंद्र शास्त्री की गलती है अपने घर मे वह भी भाई अपराध कर रहा है और वह उसको न तो चमत्कार से गलत करने से रोक पाय न ही बड़े भाई होने के नाते समझाकर भी। और रही बात विभीषण और रावण की तो विभीषण भक्त था वह समझा सकता था तो समझाया था लेकिन धीरेंद्र शास्त्री तो अंतर्यामी चमत्कारी सब कुछ है सब कुछ कर सकते है। सबके लिये चमत्कार दिखाते है अपने के लिए क्यो नही।
और रही प्रारब्ध की बात तो यदि किसी व्यक्ति को किसी प्रकार का शारिरिक कष्ट या जीवन में किसी प्रकार की कोई परेशानी है वह प्रारब्ध या पूर्व जन्म के कर्म और संस्कार हो सकते है। परंतु, जानबूझकर दूसरों को कष्ट देना मारकाट करना लुटपाट जैसे गलत कार्य करना यह स्वयं की विचारधारा होती है। जो संगति और संरक्षण से बढ़ते जाते है इन पर अंकुश जरूरी होता है। कानून से ज्यादा अपनो का घर के लोगो का।
और किसी भाई को कोई सबाल करना हो तो कर सकते है रही बात मुझे बुरा लगने की तो मै ऐसे गुरूवर की शिष्या हूँ जो मान अपमान से परे होकर अपने सत्य धर्म के मार्ग पर भक्ति के मार्ग पर चलकर जनकल्याण समाज कल्याण के कार्य करते है लोगो के जीवन मे परिवर्तन डालते है हमारे द्वारा किसी एक का भी जीवन सुधर जाता है तो हम लोग अपने आपको भाग्यशाली समझते है। हमारे गुरूवर की विचारधारा धारा के विपरीत है। जहाँ लोग समाज को बातें देकर अपना सम्मान कराकर गुमराह करके पैसा कमाते है लोगों के जीवन मे क्या चल रहा है इससे मतलब नही होता है। वहीं हम लोग निःशुल्क निस्वार्थ भाव से अपना पैसा खर्च करके समाज के बीच जाकर लोगों को जागरूक करते है उनको भक्ति की ओर धर्म की ओर मोड़ते है इसके लिये मंदिर की तरह शरीर को शुद्ध पवित्र करने की प्रेरणा देते है जिसमे नशा मांसाहार मुक्त रहकर हम आत्मा से परमात्मा का रिश्ता जोड़ते है। क्योंकि शुद्ध पवित्र तन मन में ही शुद्ध और पवित्र विचार आते है और अच्छी विचारधारा से अच्छे कार्य होते है तब एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण होता है।
जय माता की