आध्यात्मिक

नकारात्मक विचारों को शत्रु के समान मानो: परमहंस योगिराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज

डेस्क। जीवन में चाहे कितनी भी बड़ी परेशानी हो, उससे मुक्त होने के लिए एकान्त स्थान पर शांतिचित्त होकर माँ-ॐ का सस्वर क्रमिक उच्चारण करते हुए ध्यान में चले जाए, मन मस्तिष्क को शून्यवत स्थिति में ले जाने का प्रयास करें तथा इससे पहले दो बार गहरी स्वास ले और छोड़े। स्वाशों पर नियंत्रण से सतोगुण के आधीन रजोगुण व तमोगुण नियंत्रित करते हैं। नकारात्मक विचारों को शत्रु के समान मानो। बाहर के शत्रुओ से पहले अंदर के शत्रुओ को समाप्त करो। रात्रि में जब विश्राम करो, तो सभी परेशानियों को भुला दो और एक बार परमात्मा का ध्यान करके तनावमुक्त होकर सो जाओ, जिससे सुबह उठने के बाद पुनः कार्य करने की दोगुनी क्षमता प्राप्त हो सके।

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