आध्यात्मिक

जीवन का अलौकिक ज्ञान प्राप्त करना हो तो स्वयं के साथ रहना सीखिये: शिव बहादुर सिंह

डेस्क न्यूज। हमारा पूरा जीवन इसी सोच में व्यतीत हो जाता है कि जब जरूरत होती थी तो कोई भी हमारे साथ नही होता है। जरूरत पड़ने पर सगे सम्बन्धी भी मुँह फेर लेते हैँ। ये दुनियाँ का चलन हो गया है कि मौज मस्ती करनी होगी तो सब साथ में होंगे पर जब आप मुसीबत में होंगे तो धीरे-धीरे लोग आपसे कन्नी काटने लगते हैँ।

हमने आज तक औरों के ऊपर बहुत सारा समय जाया किया। कभी अपने ऊपर समय लगाने के बारे में विचार किया ही नही। सर्व प्रथम आप अपने आपको जानने का प्रयास कीजिये। आपके अन्दर जो भी खूबियाँ हैँ ,उन खूबियों को चिन्हित कीजिये। धीरे-धीरे उनकी गुणवत्ता को आगे की तरफ बढ़ाइये। आपको अपनी अच्छी आदतों का भान ही नही रहता है। उदाहरण स्वरूप आपको दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है तो आप मदद करने के अवसर का लाभ लीजिये।

अगर हम थोड़ा सा प्रयास करें तो बहुत लोगों की मदद कर सकते हैँ। किसी की बीमारी में मदद कर दीजिये ,किसी गरीब का बिजली का बिल भर दीजिये ,किसी गरीब बच्चे की स्कूल की फीस दे दीजिये ,किसी को पढ़ने की किताबों का प्रबन्ध कर दीजिये ,किसी गरीब को मिठाई खिला दीजिये ,सर्दियों में किसी गरीब को कंबल या रजाई दे दीजिये ,किसी को खाना खिला दीजिए।बहुत सारे माध्यमों से हम किसी जरूरतमंद की सहायता कर सकते हैँ। अगर आप ये सोचते रहेंगे कि मैं सक्षम नही हूँ तो आप जीवन भर सक्षम नही हो पाएँगे।

आप अपने आपसे सदैव ये बोलिये कि मैं बहुत लोगों की मदद कर सकता हूँ, फिर आप आराम से ऐसे अच्छे कार्योँ को सम्पन्न कर सकते हैँ। इन सारे बातों का निष्कर्ष है कि आप अपने आपको जानने का प्रयास शुरू कीजिये ,आप जीवन के अलौकिक आनन्द की प्राप्ति करने लग जायेंगे। ये तभी सम्भव हो पाएगा जब आप गुरुदेव श्री शक्ति पुत्र जी महाराज जी के द्वारा निर्देशित साधना क्रमों का पालन पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करना प्रारम्भ कर देंगे। जैसे आपकी दैनिक साधना गति लेने लगेगी ,आप अपने आपको जानने लग जायेंगे और आप शान्त रहने लगेंगे और आन्तरिक रूप से प्रसन्न रहने लगेंगे। जीवन का सारा आनन्द आपके भीतर ही है ,बस आपको माँ गुरुवर की साधना द्वारा उसे जागृत करने की देर है। अभी हम लोग सोये हुये हैँ ,साधना द्वारा हमारा जागरण होगा तभी हम सच्चे इन्सान बन पाएंगे।

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