आज का पंचांग: आचार्य जगदीश महराज के साथ

डेस्क न्यूज। आज का पंचांग में जाने आचार्य जगदीश महराज से राशिफल, राहुकाल, सहित आज का ब्रत एवं त्यौहार सहित स्वास्थ सहित आयुर्वेदिक उपाय।
दिनांक – 15 जनवरी 2024
मकरसंक्रांति के पावन पर्व पर आप सभी भगवान भक्तों को बहुत बहुत शूभकामनाये भगवान सूर्य देव आपको सुख शांति समृद्धि और खुशहाली प्रदान करे
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पंचमी मध्य रात्रि 02:16 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – शतभिषा सुबह 08:07 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
योग – वरियान् रात्रि 11 :11 तक तत्पश्चात परिघ
राहु काल – सुबह 0७:३०से ९:००तक
सूर्योदय – 07:23
सूर्यास्त – 06:15
दिशा शूल – पूर्व
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:38 से 06:30 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:23 से 01:15 तक
व्रत पर्व विवरण – मकर संक्रांति, पोंगल
विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
मकर संक्रांति – 15 जनवरी 2024
पुण्यकालः सूर्योदय से सूर्यास्त तक
मकर संक्रांति कैसे मनायें ?-
इस दिन स्नान, दान, जप, तप का प्रभाव ज्यादा होता है । उत्तरायण के एक दिन पूर्व रात को भोजन थोड़ा कम लेना।
मकर संक्रांति का स्नान रोग, पाप और निर्धनता को हर लेता है । जो उत्तरायण पर्व के दिन स्नान नहीं कर पाता वह ७ जन्म तक रोगी और दरिद्र रहता है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने से १०,००० गौदान करने का फल शास्त्र में लिखा है।
उत्तरायण के दिन पंचगव्य का पान पापनाशक एवं विशेष पुण्यदायी माना गया है । त्वचा से लेकर अस्थि तक की बीमारियों की जड़ें पंचगव्य उखाड़ के फेंक देता है ।
पंचगव्य आदि न बना सको तो कम-से-कम गाय का गोबर, गोझारण, थोड़े तिल, थोड़ी हल्दी और आँवले का चूर्ण इनका उबटन बनाकर उसे लगा के स्नान करो अथवा सप्तधान्य उबटन से स्नान करो (पिसे हुए गेहूँ, चावल, जौ, टिल, चना, मूँग और उड़द से बना मिश्रण)।
मकर संक्रांति या उत्तरायण दान-पुण्य का पर्व है । इस दिन किया गया दान-पुण्य, जप-तप अनंतगुना फल देता है।
ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नम:। इस मंत्र से सूर्यनारायण की वंदना कर लेना, उनका चिंतन करके प्रणाम कर लेना। इससे सूर्यनारायण प्रसन्न होंगे, निरोगता देंगे और अनिष्ट से भी रक्षा करेंगे।
ॐ आदित्याय विदमहे भास्कराय धीमहि । तन्नो भानु: प्रचोदयात् ।
इस सुर्यगायत्री के द्वारा सूर्यनारायण को अर्घ्य देना विशेष लाभकारी माना गया है।
सूर्यगायत्री का जप करके ताँबे के लोटे से जल चढाते है और चढ़ा हुआ जल जिस धरती पर गिरा, वहा की मिटटी का तिलक लगाते हैं तथा लोटे में ६ घूँट बचाकर रखा हुआ जल महामृत्युंजय मंत्र का जप करके पीते हैं तो आरोग्य की खूब रक्षा होती है । आचमन लेने से पहले उच्चारण करना होता है –
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम् ।
सूर्यपादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्।।
अकालमृत्यु को हरनेवाले सूर्यनारायण के चरणों का जल मैं अपने जठर में धारण करता हूँ । जठर भीतर के सभी रोगों को और सूर्य की कृपा बाहर के शत्रुओं, विघ्नों, अकाल-मृत्यु आदि को हरे।
इस दिन जो ६ प्रकार से तिलों का उपयोग करता है वह इस लोक और परलोक में वांछित फल को पाता है :
१] पानी में तिल डाल के स्नान करना।
२] तिलों का उबटन लगाना ।
३] तिल डालकर पितरों का तर्पण करना, जल देना ।
४] अग्नि में तिल डालकर यज्ञादि करना ।
५] तिलों का दान करना ।
६] तिल खाना ।
तिलों की महिमा तो है लेकिन तिल की महिमा सुनकर तिल अति भी न खायें और रात्रि को तिल और तिलमिश्रित वस्तु खाना वर्जित है ।
प्रार्थना, संकल्प करें कि ‘प्रभो ! जैसे सूर्यनारायण उत्तर की ओर गति करते हैं और सूर्यप्रकाश बढ़ता जाता है ऐसे ही हमसे पहले जो कुछ हो गया अंधकार, अज्ञान के प्रभाव में आ के वह आप माफ कर दो, अब हम प्रकाश की ओर चलेंगे, समझदारी से चलेंगे ।’
इस पर्व पर सूर्यनारायण को वंदन- प्रणाम करें । इस तपस्या के दिन कोई रुपया- पैसा तो कोई आरोग्य माँगता है लेकिन हम अगर माँगें तो ऐसा माँगें कि माँगने की कोई वासना ही न रहे, हम भगवत्पद माँगें, भगवान को ही माँगें, भगवान की दृढ़ भक्ति मागे फायदा होगा।
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