मानवता की शान मानव जीवन के रक्षक, समाज के हितैसी प्रधान सेवक संजय को जन जन से मिल रहा आशिर्वाद

कटनी। विजयराघवगढ़ विधायक संजय सत्येंद्र पाठक आज के दौर मे ऎसे महान पुरुष बन चुके हैं जिनकी तारिफ ही नही लोग पूजा करते हैं। ऎसी सकशियत कभी किसी के परिचय की मोहताज नही होती जिनके दुनिया तारिफ करे उनका चंच कुछ लोग बिगाड़ना भी चाहे तो बालबाका नही कर सकते।
विजयराघवगढ़ विधानसभा की राजनीति मे सर्व प्रथम अपनी सेवा भाव के लिए जगजाहिर हुए पंडित सत्येंद्र पाठक जी जिन्हे प्यार से लोग बाबू जी कह कर सम्बोधित करते रहे जिन्होंने अपनी पहचान राजनीति मे अलग ही स्थापित की जिन्हे आज कर्मयोगी कहा जाता है। कर्म योगी की उपाधि पंडित सत्येंद्र पाठक जी ने आसानी से प्राप्त नही की बल्कि कठोर परिश्रम अपनो की सेवा निस्वार्थ जनभावनाओं के लिए समर्पित होकर प्राप्त की। ऎसे कर्मयोगी के पुत्र साधारण कैसे हो सकते है यह बात जरूर लाखो लोगों मे देखी जाती है की पुत्र कितना काबिल है।
किन्तु यहा तो यह बात हर रिकार्ड को तोड कर प्रमाणित कर रही है की संजय सत्येंद्र पाठक ने पिता को भी मानव सेवा मे पिछे कर दिया इससे बडा उपहार एक पिता के लिए कुछ नही हो सकता। संजय सत्येंद्र पाठक मानव रक्षक के रुप इस कदर उबरे की उन्होंने इंशानीयत और मानवता की एक मिशाल कायम की। लाखो लाख लोगों के परिवारों के चिरागों को सुरक्षित ही नही बल्कि उनकी तमाम तकलीफों को भी दूर किया। संजय सत्येंद्र पाठक के कार्य और सेवा भाव आज जन जन स्विकार करते हुए तारिफ के पुल भी बाध रहा है।
भाजपा की डूबती नौका पार लगाई- संजय सत्येंद्र पाठक राजनीति के वह मजबूत खिलाड़ियों मे गिने जाते हैं। जिनकी पराकाष्ठा की कहानियां विपक्ष और विरोधी भी अपने अपने अंदाज मे करते हैं। कभी वह भी समय देखा गया जब भाजपा की नौका डगमगा चुकी थी मध्यप्रदेश की राजनीति मे काग्रेस ने अपने कदम जमा लिया था किन्तु काग्रेस ने कदम जमाते ही मानव सेवा और अपने कर्तव्यों को भूल विपक्षियों पर धावा बोल भाजपा पर भारी पडने लगी उस वक्त के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शिवराजसिंह चौहान ने अपने विधायकों मे संजय पाठक को चुना सायद शिवराज को पता था की ऎसे संकट के वक्त संजय सत्येंद्र पाठक ही भाजपा की डुवी नाव को बाहर निकाल पाएगें। आखिर कार शिवराज सिंह चौहान का विश्वास कायम रहा और चंद दिनो मे ही संजय ने काग्रेस को सिर्फ 18 माह राज के पश्चात धुल मे मिला दिया और भाजपा का परचम मध्यप्रदेश की शियाशत मे फहरा दिया। भाजपा इस बात को भूल भी सकती है किन्तु मध्यप्रदेश का इतिहास यह कभी नही भूला पाएगा।
परोपकार मे करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा देते हैं संजय- संजय सत्येंद्र पाठक ऎसी शक्शियत है जिन्हे पैसो से अधिक मनाव से प्रेम देखा जाता है। कहा जाता है की संजय को पैसो से मोह नही बल्कि इंशानीयत और मानवता के लिए समर्पित रहते हैं। यह कोई चुनावी दिखावा नही बल्कि दिली स्नेह प्रेम है। दिन और तारीख कोई भी हो संजय सत्येंद्र पाठक की उदारता की गंगा कभी नही रुकती निरंतर बहने वाली इस गंगा मे अनेको गरीबों की बेटियो का विवाह सम्पन्न कराया संजय सत्येंद्र पाठक ने करोड़ों लोगों का इलाज रोजाना होता है।
खास बात तो यह है की संजय सत्येंद्र पाठक ने अपने ही निज निवास पर जन सेवा के लिए कार्यालय और निशुल्क रसोई भी खोल रखी है। निज निवास से संचालित अनेको विभागों की देख रेख के साथ साथ उनकी समस्याओं का निराकरण भी किया जाता है चाहे वह विधुत मंडल हो या स्वास्थ्य विभाग या फिर महिला बाल विकास इनके सबके साथ एक अहम विभाग भी संजय सत्येंद्र पाठक ने रखा है जो नगद राशि प्रदान कर्ता है। मरीजों खिलाड़ियों व बुजुर्गों के इलाज के लिए बेटी के विवाह के लिए कोई भी समस्या हो यह विभाग नगर राशि प्रदान कर्ता है। संजय सत्येंद्र पाठक का कहना है कि कटनी बगले तक आने वाला कोई भी हो किसी जाती किसी पार्टी यहा तक विरोधी भी आए उसे निरास नही जाना चाहिए आवभगत के साथ संतुष्ट कर उसे वापस भेजा जाए।
विरोध के पिछे की सच्चाई- आज के युग मे अगर राम जी होते तो राजनीति खेलने वाले उन पर भी आरोपी बिजली गिरा देते संजय सत्येंद्र पाठक की अच्छाईयो का आकलन विरोधी कभी नही करते वह सिर्फ व्यक्तिगत बुराईयों और खुद को हिरो बनाने के चक्कर मे झुठ फरेब के संयंत्रो के बाड हवा मे चलाते दिखते हैं। कारण सिर्फ इतना है की संजय सत्येंद्र पाठक सबसे कम उम्र के कामयाब उद्योगपति के साथ साथ एक अमीर राजनेता बने जहा लोगो की उम्र निकल गयी वही श्रीपाठक को कम उम्र मे ही सब कुछ मिल गया और यही बजह है की आज संजय एक ब्रांड बन चुके हैं जब एक इंशान ब्रांड बन जाता है तब उस के पेछे खडे लोग ब्रांड को खुश करने के लिए दिखावा करते है या फिर बुराईया कर हिरो बनने का प्रयास करते हैं किन्तु हिरो बनने वाले झुठ फरेब की दिवार से इस कदर गिरते हैं की इलाज भी संजय सत्येंद्र पाठक को ही कराना पडता है। जादातर देखा गया है संजय की उदारता से बच जाने वाला व्यक्ति ही विरोधी बनता है।
संजय सत्येंद्र पाठक क्यो पूजे जाते है- कहा जाता है की इंशान अपने कर्मो से अपनी पहचान बनाता है वर्ना कुछ तो कुत्तो की तरह रोड पर पडे दिखते हैं। विजयराघवगढ़ विधानसभा के उद्धार के लिए जीवन कल्याण के लिए सबसे पहले सत्येंद्र पाठक जी का नाम आता है बाद मे उनके पुत्र संजय सत्येंद्र पाठक इस विरासत को सभाल कर इस परम्परा को आगे बढाए। समाज सेवा के साथ साथ मानव सेवा धर्म परायणता के इतने कार्य किए गये की संजय सत्येंद्र पाठक को लोग सम्मान ही नही बल्कि पूजने लगे आज अनेको दिलो की धड़कन बन चुके हैं श्रीपाठक।
युवा पीढ़ी माता पिता की तरह बडे बुजुर्ग पुत्र की तरह माताएं बहने अपने भाई और बेटे की तरह अपना आषिश देते हैं। विजयराघवगढ़ विधानसभा मे कुछ लोग तो संजय सत्येंद्र पाठक को भोलेनाथ की भाती कहते हैं जो मानव रक्षा के लिए जगह से भरा हला हल भी पी जाते हैं जिन्हें नेकी का प्रतिफल विरोध और बुराई से मिलता है फिर भी वह अपने कर्तव्यों से पिछे नही हटते। निरंतर अपनी तिजोरी मे मानवता का प्रसाद सभी का आशीर्वाद सजोए रखते हैं। संजय सत्येंद्र पाठक वह इंशान है जो हर इंशान से हट कर माने जाते हैं जिनकी सोच और काबिलेतारीफ कार्यो का परचम देश विदेश मे फहरा रहा है। जिनकी किर्ति मध्यप्रदेश मे ही नही सम्पूर्ण भारत मे भी नही बल्कि अनेको देशो मे अपनी पहचान बनाए हुए है जिसका लाभ उन सब को मिलता है जो उस देश व उस जगह तक पहुचा है। अगर विरोध और विरोधियों की बात की जाए तो सिर्फ इतना ही काफी होगा की जिसने कभी मानवता जानी ही न हो जो इंशानीयत के साथ साथ अपने घर परिवार का दुख दर्द महसूस न कर पाया हो वह संजय सत्येंद्र पाठक के कार्यो की कल्पना क्या करेगा वह बुराई से पैदा हुआ बुलाई मे जीवन यापन किया और अंत भी बुराई मे समाप्त होगा।
(शेरा मिश्रा पत्रकार विजयराघवगढ़ कटनी)











