पूर्व मंत्री ने अपनी बहू को शासकीय सेवा का लाभ दिलाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मिलकर रचा अंतर राज्य षड्यंत्र

जबलपुर। शिवराज सरकार के पूर्वमंत्री गौरी शंकर बिसेन के सगे भाई पूर्व कुलपति पीके विषय के बेटे शरद बिसेन और पत्नी धरना रामकिशोर टैमरे बिसेन का फर्जीवाड़ा का एक और नमूना देखिए।
प्रस्तुत है अशासकीय धोतेबंधु साइंस कॉलेज से धारणा के रिलीविंग की चार तारीखों की कहानी-
रिलीविंग की पहली तारीख 31 जुलाई 2017, रिलीविंग की दूसरी तारीख गोंदिया से इस्तीफा स्वीकृत 13 अगस्त 2017, रिलीविंग की तीसरी तारीख 17 अगस्त 2017, रिलीविंग की चौथी तारीख 23 अगस्त 2017, यह चारों तारीख धोतेबंधु साइंस कॉलेज गोंदिया की रिलीविंग तारीख है।
रिलीवींग की पांचवी तारीख भी मिलनी चाहिए थी। जो रिकॉर्ड में नहीं है लेकिन उपलब्ध अभिलेख बताते हैं कि वह अवश्य ही होनी चाहिए। क्योंकि डॉक्टर धरना ने संत टुकड़ोबा नागपुर विद्यापीठ नागपुर के रजिस्ट्रार का नियुक्तिपत्र 7.11.2012 विश्वविद्यालय के समक्ष प्रस्तुत किया है। पिछले 11 अंक में मैंने आपको बताया था कि धरना के धोते बंधु साइंस कॉलेज में नियुक्ति की पांच तिथियां शासकीय अभिलेख में मौजूद है।
धारणा की प्रतिनियुक्ति और संविलियन की फाइल को बारीक नजर से देखने पर पता चला कि धरना की रिलीविंग की चार तिथियां फाइल में मौजूद है। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के वर्तमान कुलगुरु और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के ससुर डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा की मेहरबानी से यह सब हुआ है। प्रमोद कुमार मिश्रा की मेहरबानी की हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि उस कालखंड में जिस समय डॉक्टर धरना का अशासकीय सेवा से शासकीय सेवा में प्रतिनियुक्ति हुई है। प्रमोद कुमार मिश्रा ही डीन फैकेल्टी और संचालक विस्तार सेवा के पद पर पदस्थ थे।
सम्मविलियन की फाइल में डॉक्टर धरना बिसेन का अंतिम वेतन प्रमाण पत्र लगा है। झूठबंधु साइंस कॉलेज की प्राचार्य अंजना नायडू ने 24.8.2017 को अंतिम वेतन प्रमाण पत्र जारी किया है। ध्यान दीजिएगा 24.8.2017 को जारी अंतिम वेतन प्रमाण पत्र में 31.07.2017 तक धोतेबंधु साइंस कॉलेज से डॉक्टर धरना का वेतन आहरण और भुगतान का रिकॉर्ड बता रहा है। इस अंतिम वेतन प्रमाण पत्र की खासियत यह है कि डॉक्टर धारणा को 31 जुलाई 2017 तक का वेतन गोंदिया से मिला है । 31 जुलाई 2017 को अंतिम वेतन प्राप्त करने के 24 दिन बाद की तारीख में यह एलपीसी 24 8 2017 जारी हुआ है। अर्थात अंतिम वेतन 31 जुलाई 2017 को प्राप्त करने के 24 दिन बाद गोंदिया की प्राचार्य अनजान नायडू ने एलपीसी जारी किया है।
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक अजय खरे और कृषि कॉलेज बालाघाट के डीन ने इस बात पर कोई आपत्ति नहीं उठाई की जब अंतिम उपस्थिति की तारीख गोंदिया में 31 जुलाई है तो एलपीसी 24 अगस्त 2017 को क्यों जारी हुआ है। गोंदिया से 24 8 2017 को जारी एलपीसी के आधार पर कृषि कॉलेज बालाघाट पिछले 8 साल से धरना का वेतन बना रहा है।
धारण की रिलीविग की दूसरी तारीख 13 अगस्त 2017 इसीलिए माना है, क्योंकि झूठ बंधु साइंस कॉलेज का संचालन करने वाला गोंदिया एजुकेशन सोसाइटी ने 13 13 अगस्त 2017 को इस्तीफा स्वीकृत किया है। वित्तीय नियमों से संबंध रखने वाले लोग यह समझ गए होंगे कि इस्तीफा स्वीकृत की तिथि यदि 13 अगस्त है तो वेतन भी तेरा अगस्त तक का बनना चाहिए। लेकिन वेतन 31 जुलाई 2017 तक का बनाना यह बताता है की पूरी की पूरी दाल काली है। धरना की रिलीविंग की तीसरी तारीख संभावित तौर पर 17 अगस्त 2017 आई है।
गोंदिया स्थित धोते बंधु साइंस कॉलेज में जब आरटीआई लगाई गई तो वहां के लोग सूचना अधिकारी ने 20 6 2023 को बड़ी चौंकाने वाली जानकारी भेजी है। झूठ बंधु साइंस कॉलेज के लोग सूचना अधिकारी की यह जानकारी 20 6 2023 यह बताती है कि गोंदिया में धारण की सेवा 14 सितंबर 2012 से शुरू हुई है। धारणा को 17 अगस्त 2017 तक का वेतन प्राप्त हुआ है। अर्थात 20 जून 2023 को लोकसूचना अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त जानकारी के अनुसार धरना ने 31 जुलाई 2017 तक का वेतन प्राप्त नहीं किया है, धरना ने 31 जुलाई के बाद 17 अगस्त 2017 तक का वेतन प्राप्त किया है।
ऐसी स्थिति में धोते बंधु साइंस कॉलेज की प्राचार्य अनजान नायडू का 24 अगस्त 2017 को जारी किया गया एलसी झूठ प्रमाणित हो रहा है। एलपीसी के साथ-साथ गोंदिया एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्षसे स्वीकृत कराया गया इस्तीफा 13 अगस्त 2017 भी झूठा प्रमाणित हुआ है। सुधी पाठक तय करें कि बालाघाट की राजनीति में पिछले 25 सालों से ज्यादा समय तक राज करने वाले गौरीशंकर बिसेन के परिजन कितने बड़े झूठे और धोखेबाज है। बालाघाट की जनता इन्हें भगवान के माफ़िक अपने दिल से लगा के रखी है।
यहां पर हमने सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत प्राप्त जानकारी 20 जून 2023 को प्रामाणिक माना है। इस प्रमाणिक शासकीय अभिलेख से यह सिद्ध होता है कि जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के साथ वित्त नियंत्रक अजय खरे, सहायक कुल सचिव विधि और बैठक प्रशांत श्रीवास्तव, सहायक कुल सचिव स्थापना एक और दो प्रशांत श्रीवास्तव, कुलसचिव अशोक कुमार इंगले, धोते बंधु साइंस कॉलेज गोंदिया की प्राचार्य अनजान नायडू और धोते बंधु साइंस कॉलेज का संचालन करने वाली गोंदिया एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष इस धोखाधड़ी चल कदाचरण पद का दुरुपयोग जानबूझकर साशय मिथ्या मिथ्या अभिलेख बनाकर प्रस्तुत करना और उन्हें सत्य मान लेना जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के तीन पूर्व कल गुरुओं सहित वर्तमान स्टाफ का यही दोष है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 312 से 318 और 332 से 336 का अपराध बन सकता है जिसमें आजन्म कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
पूर्व मंत्री ने अपनी बहू को शासकीय सेवा का लाभ दिलाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मिलकर अंतर राज्य षड्यंत्र रचा यह ऊपर लिखे विश्लेषण से प्रमाणित है।
(जबलपुर से पत्रकार दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट)











