गौ को पशु ना कहा जाये मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की गोपालन और पशुपालन नाम किया जाये: पशुपालन राज्यमंत्री लखन पटैल

सरकार गौ सेवा के कार्य में लगी हुई है और अच्छे से काम कर रही है, 30 कामधेनु निवास चिन्हित जिसमें लगभग 2 लाख गौवंश रहेगा
भोपाल। बहुत सारे संत महात्मा जब भी मिलते हैं, उनका ऐसा मानना है हम भी इस बात से सहमत हैं और मानते हैं कि गौ को पशु न कहा जाए। मुझे धर्मसाम्राट युग चेतना पुरुष परमहंस योगिराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने भी वर्ष 2024 के पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम के 3 दिवसीय शारदीय नवरात्री शिविर में मुझसे कहा था की आपकी सरकार गौ सेवा के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही हैं लेकिन अगर आपके विभाग का नाम पशुपालन विभाग से बदलकर गौ सेवा विभाग कर दिया जाए तो यह गौ माता की सेवा में और अच्छा रहेगा। जिसके बाद मैंने मुख्यमंत्री जी से जब चर्चा की और श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के द्वारा सुझाये गए नाम कों मुख्यमंत्री जी के सामने रखा तो मुख्यमंत्री जी ने उसकी घोषणा की और अब इसका नाम गोपालन और पशुपालन किया जाए जिससे गौ एक अलग स्थिति में आ सके।

मैं मुख्यमंत्री का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूँ। उन्होंने इस बात को सरलता से माना और गत दिवस पूरे मध्य प्रदेश में गौ सेवकों का सम्मेलन था, जिसमें लगभग 6-7 हजार लोग एकत्रित हुए और उम्मीद से ज्यादा लोग आये सबने इस बात को माना कि सरकार गौ सेवा के कार्य में लगी हुई है और अच्छे से काम कर रही है। इस आशय के विचार प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्यमंत्री लखन पटेल ने मीडियाजनों से चर्चा करते हुये व्यक्त किये। पशुपालन राज्यमंत्री लखन पटैल ने कहा सिंगल क्लिक से गौशालाओं को राशि खातों में डाली गई।
उन्होंने कहा हमारा प्रयास है कि हर महीने किसी एक तारीख को या किसी अन्य तारीख को सिंगल क्लिक के माध्यम से हर महीने पैसा गौ-शालाओं के खाते में डाले जायेंगे। हमारी सबसे बड़ी समस्या है, अब बरसात आई तो सड़कों पर गौमाता दिखेगीं उसके लिए बहुत वृहद योजना बना करके समस्या का समाधान किया जायेगा। श्री पटैल ने कहा आत्मनिर्भर, स्वावलंबी गौशालाएं जिसका नाम दिया कामधेनु निवास, हम बना रहे हैं। 30 कामधेनु निवास चिन्हित हो गए हैं। जिसमें लगभग 2 लाख गौवंश वहाँ रहेगा। 2 लाख गौवंश जब कामधेनु निवास चला जायेगा तो आने वाले 1 साल के बाद सड़कों पर एक भी गौवंश नजर नहीं आयेगी।
उन्होंने कहा मैं विश्वास दिला सकता हूँ, क्योंकि योजना बनाने और क्रियान्वयन में भी समय लगता है, एक साल के अंदर सारी गौ-माताएं सब गौशाला के अंदर होंगी और व्यवस्थित होंगी और प्रयास होगा कि स्वस्थ रहे। योजना में बारीकी से ध्यान दिया गया है, कोई चीज़ को छोड़ा नहीं गया है, पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हम सब चीजों से मुक्त भी होंगे और गौ माता की और बेहतर सेवा कर सकेंगे।











