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गुरुपूर्णिमा विशेष: भगवती मानव कल्याण संगठन में बसते हैं मेरे गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के प्राण- शिव बहादुर सिंह

डेस्क न्यूज@शिवबहादुर सिंह आध्यात्मिक संपादक। हम सभी लोगों ने गुरुदेव ज़ी का ये चिंतन जरूर सुना होगा कि भगवती मानव कल्याण संगठन में मेरे प्राण बसते हैँ। ये सौ प्रतिशत सत्य है ,परन्तु जहाँ पर गुरुवर के प्राण बसते हैँ, वहाँ पर क्या हम लोग गम्भीरता से कार्य कर रहे हैँ। अधिकाँश लोग कई वर्षों से दीक्षा प्राप्त करने के बाद भी नये लोगों को प्रेरित नही करते हैँ। आप स्वयं तो लाभ प्राप्त कर रहे हैँ परन्तु जो लोग अभी संगठन के क्रमों से अनभिज्ञ हैँ, उन लोगों को गुरुदेव ज़ी की विचारधारा से अवगत कराने का क्या हमारा आपका कर्तव्य नही बनता हैं।

गुरुदेव ज़ी अपने सभी चिन्तनों में संगठन में सुव्यवस्थित ढंग से कार्य करने के सभी कार्यकर्ता गण को निर्देशित करते हैँ पर कई लोग तो बहुत अधिक गम्भीर होकर दिन रात परिश्रम कर रहे हैँ और अपने अपने क्षेत्र में जन जागरण कर रहे हैँ ,परन्तु कई लोग आरती क्रमों और चालीसा पाठ के क्रमों जाने में आलस्य करते हैँ। कई लोग समय की कमी बताते हैँ। देखिये जब आप नौकरी में हैँ तो आप जाने में असमर्थ हैँ पर जब आपकी छुट्टी हो और शाम को जब आप फ्री हो जायें तो आस पास में चल रहे जन जागरण के क्रमों में उपस्थित होने का जरूर प्रयास करना चाहिये। गुरुदेव ज़ी ने इन क्रमों को समाज के कल्याण के लिये ही निर्मित किया है।

आप जब इन क्रमों में शामिल होते हैँ तो गुरुदेव ज़ी की चेतना तरंगों का लाभ प्राप्त करते हैँ और माँ का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैँ। हमें सर्वप्रथम अपनी प्राथमिकता तय करनी होगी। हमें अन्य कार्यों को आगे पीछे करना होगा। आप लोग एक बात पर गम्भीरता से विचार नही कर पा रहे हैँ कि जब आप इन कर्मों में शामिल होने लगते हैँ तो माँ एवम गुरुदेव ज़ी आपके प्रतिकूल परिस्थिति को धीरे धीरे आपके अनुकूल बनाने लगते हैँ। आप चाहें तो स्वयं इस बात का अनुभव प्राप्त कर सकते हैँ।

आपके जीवन के समस्याओं को समाप्त करने के लिये ही गुरुदेव ज़ी ने भगवती मानव कल्याण संगठन का निर्माण किया है। पाँच घंटे के चालीसा पाठ क्रमों में और चौबीस घंटे केश्री दुर्गा चालीसा पाठ के क्रमों में असीम ऊर्जा की प्राप्ति होती है। हम लोग अगर अभी न्यूनता दिखाएंगे तो हमारे बच्चे हमसे क्या सीखेंगे? हमें अपने बच्चों को संस्कारवान बनाना है तो उनको भी ऐसे क्रमों ले जाना चाहिये। कई लोग स्वयं महा आरती में आते हैँ पर परिवार के अन्य सदस्यों को अपने साथ नही लेकर आते हैँ। आगे चलकर जब यही बच्चे गलत कार्योँ में लिप्त हो जाएंगे तो हमें पश्चाताप के सिवा कुछ भी हासिल नही होगा।

जब हम अपने बच्चों को श्री दुर्गा चालीसा का पाठ और शक्ति चेतना मंत्र का नियमित जप कराते हैँ तो उनके जीवन में भी अनुकूलता आने लगती हैँ। महा आरती और शिविर में पूरा प्रयास कीजिये कि परिवार के सभी सदस्य उपस्थित हों। किसी को कोई आवश्यक कार्य है तो उस सदस्य को आप छोड़ कर भी जा सकते हैँ। अगर कोई समस्या है तो अलग बात है पर बिना समस्या के आपकी अनुपस्थिति सही नही है। गुरुदेव ज़ी द्वारा निर्देशित सभी क्रमों में अपार ऊर्जा समाहित है। इन क्रमों को परिवार के सभी सदस्यों को प्रतिदिन करना चाहिये। हम गुरुदेव के पास जाते हैँ तो अनगिनत समस्याओं को लेकर जाते हैँ परन्तु हम ये नही बताते हैँ कि संगठन में हम कितने सक्रीय हैँ।

जब आप नियमित माँ गुरुवर क़ी दोनों समय साधना करेंगे तो आप स्वतः ही जन जागरण के क्रमों में शामिल होने लगेंगे। माँ गुरुवर क़ी कृपा पाना चाहते हैँ तो संगठन में चल रहे सभी कार्योँ में आपकी सहभागिता होनी चाहिये। नये लोगों को अपने साथ महाआरती और शिविरों में ले जाना चाहिये। ये सारे क्रम अत्यन्त लाभ दायक हैँ।अपने आप से हमेशा प्रश्न पूछना चाहिये क्या संगठन में हम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य कर रहे हैँ ?संगठन और पार्टी के कार्योँ में हमारी भूमिका अग्रणी होनी चाहिये। अधिकाँश लोग अन्य पार्टियों में ज्यादा रुचि रखते हैँ। ये सरासर गलत है।

गुरुदेव ज़ी ने पार्टी का गठन समाज में फैली हुई तमाम कुरीतियां और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये ही किया है। हम लोगों को पार्टी के लिये पूर्ण रूप से संकल्पित होना चाहिये। अन्य लोग क्या कर रहे हैँ ,हमें उनकी परवाह नही करनी चाहिये। हमें सोचना चाहिये क़ी जब हमें समस्या आती हैँ तो हमारे गुरुवर ही तो उन समस्याओं का निदान करते हैँ तो हम गुरुदेव ज़ी क़ी आज्ञा का उल्लंघन क्यूँ करें। किसी भी कीमत पर दूसरों के बहकावे में नही आना है। अपनी पार्टी के जो भी सदस्य चुनाव लड़ रहे हों उनका तन ,मन और धन से समर्थन कीजिये। गुरुदेव ज़ी के प्रत्येक आदेशों के प्रति जो भी गम्भीर होगा ,उन सभी लोगों का कल्याण सुनिश्चित है। बहुत लोग सोचते हैँ कि अमुक कार्य दूसरे लोग कर लेंगे ऐसा मत सोचिये आप आगे बढ़ कर स्वयं जिम्मेदारी लेकर उस कार्य को संपन्न कीजिये। धीरे धीरे आपके अन्दर परिवर्तन होना प्रारम्भ हों जाएगा।

जब भी आलस्य आये तो बार बार अपने आपसे बोलिये कि “गुरु काज किन्हें बिना मोहि कहाँ विश्राम “।आप तुरन्त उठ खड़े होंगे। गुरुदेव ज़ी पिछले कई वर्षों से त्याग और तपस्या का जीवन जीवन जी रहे हैँ ,उससे समाज का कल्याण हो रहा है। गुरुदेव ज़ी के चिन्तनों को बार बार सुना कीजिये और एक-एक लाइन को आत्मसात कीजिये। अपने आपको पूरी तरह से बदलने का प्रयास करते रहिये ,आप इस कार्य में सफल जरूर होंगे। आपको बहुत लोग भटकाने का भी प्रयास करेंगे ,आप उनकी बातों को अनसुना कर दीजिये। आप अपने लक्ष्य के प्रति गम्भीर रहेंगे तो आपका विकास जरूर होगा ,आपके साथ-साथ नये लोगों का भी विकास होगा। गुरुदेव ज़ी क़ी विचारधारा बताने में संकोच मत किया कीजिये। खुलकर लोगों को बताइये ,जो व्यक्ति भाग्यशाली होगा ,वो आपकी बातों में रुचि लेगा।जीवन में इस प्रकार के अवसर बार-बार नही प्राप्त होंगे। अर्जुन क़ी तरह प्रति पल ,प्रति क्षण अपने लक्ष्य के प्रति सजग रहिये आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी।

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