शक्ति न्यूज की खबर का असर: छतरपुर तहसीलदार नें पट्टे की जमीन के नामांतरण के अपने ही आदेश को पलटा

छतरपुर। छतरपुर तहसीलदार को कलेक्टर के आदेश के बगैर पट्टे की भूमि का नामांतरण कर देने के अपने फैसले को आखिरकार निरस्त करना पड़ा है। छतरपुर तहसील के अमानगंज मौजे की भूमि खसरा नंबर 216/2 रकबा 1.104 हेक्टेयर ललौनी निवासी रामाधीन अहिरवार की पत्नी तीजा और पुत्र कैलाश अहिरवार वगैरह को पट्टे पर मिली थी। इस पट्टे की जमीन में से 0.653 हेक्टेयर भूमि ललौनी के देवीदीन कुशवाहा पुत्र कम्मोद कुशवाहा ने खरीद ली थी और तहसीलदार ने न्यायालय कलेक्टर छतरपुर के प्रकरण क्रमांक/ 30/ बी/121/23-24 आदेश दिनांक 8 जून 2023 का गलत तरीके से हवाला देकर 27 अक्टूबर को उसका नामांतरण भी कर दिया था। जबकि कलेक्टर ने भूमि विक्री की कोई इजाजत नहीं दी थी।
मामला संज्ञान में आने के बाद दिनांक 3/11/2023 को शक्ति न्यूज खबर को प्राथमिकता से प्रकाशित किया था जिसके बाद छतरपुर सदर तहसीलदार रंजना यादव ने फंस जाने के डर से नामांतरण के अपने ही आदेश को निरस्त कर दिया है। न्यायालय तहसीलदार नगर तहसील छतरपुर द्वारा प्रकरण क्रमांक / 4045 / अ-6 / 2023-24 में 31 अक्टूबर की तारीख में संशोधित आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार मप्र भूराजस्व संहिता 1959 की धारा 32 सहपठित धारा 15/सीपीसी, 1908 के तहत प्रत्येक न्यायालय में अन्तर्निहित शक्ति रहती है। न्यायालय अपने द्वारा दिये गये अनपेक्षित आदेश की भूल को ठीक कर न्याय प्रक्रिया का दुरूपयोग रोक सकता है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्याय दृष्टांत देते हुए कहा कि यदि गलती से कोई गैरकानूनी आदेश पारित किया गया है तो इसे रद्द करने के लिए अदालत हमेशा खुली है।
इसलिए धारा 32 के तहत प्रकरण स्वप्रेरणा में लेकर सुनवाई में लिया गया। मौजा अमानगंज स्थित भूमि खसरा नं. 216 बंटन में प्राप्त भूमि है। चूंकि उक्त भूमि वर्ष 1958-59 मे शासकीय है। उक्त भूमि विक्रय अनुमति प्राप्त होने पर ही बेची जा सकती है। इसलिए खसरे मे दर्ज पूर्व प्रविष्टि यथावत रखी जाये, चूंकि पटवारी रिपोर्ट में यह उल्लेख नही किया कि उक्त भूमि बंटन से प्राप्त भूमि है जिसका बिना विक्रय अनुमति के नामांतरण किया जाना न्यायोचित नही है।
चूकि भूमि शासकीय पटटे की है और विक्रय की अनुमति नहीं ली गई है। इसलिए इस न्यायालय द्वारा पारित 27 अक्टूबर का त्रुटिपूर्ण आदेश निरस्त किया जाता है। एवं हल्का पटवारी वगौता को निर्देशित किया जाता है इस न्यायालय द्वारा पारित 27 अक्टूबर के आदेश को राजस्व रिकार्ड में अमल न करे।