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भविष्य की आहट/ देश में ‘डीप स्टेट’ के तख्तापलट अभियान की पुनः दस्तक- डा. रवीन्द्र अरजरिया

डेस्क न्यूज। समूची दुनिया की सरकारों को अपनी मनमर्जी से चलाने का अमेरिकी षडयंत्र लम्बे समय से चल रहा है। विभिन्न देशों की रिपोर्ट्स में इन सबके लिए ‘डीप स्टेट’ को उत्तरदायी माना गया है। भारत सहित सीमावर्ती देश अफगानस्तान, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के अलावा अब फ्रांस में भी राष्ट्रविरोधी गतिविधियां तेज हो गईं हैं।

भारत को छोडकर अन्य सीमावर्ती देशों में तख्तापलट हो चुका है। इतिहास गवाह है कि मानवीय संवेदनाओं, आधारभूत आवश्यकताओं और मौलिक अधिकारों की आड में मीरजाफरों को माध्यम बनाकर अमेरिका ने अपने सिपाहसालारों के हाथों में सत्ता सौंपने का हमेशा ही प्रयास किया है। आधुनिक तकनीक से जुडी पीढी की तेज गति को शक्तिपुंज बनाकर उसे नकारात्मक दिशा देने का काम अमेरिका सहित कुछ अन्य नकारात्मक देशों निरंतर कर रहे हैं। इनके संगठित प्रयासों ने अपने विश्व षडयंत्र को साइबर के माध्यम से तूफान बना दिया है। विगत दिनों ‘जेन जी’ शब्द को सत्ता के विरुद्ध प्रयास करने वालों के लिए सोशल मीडिया पर जमकर प्रयुक्त किया गया। इस शब्द का जनक भी अमेरिका ही रहा।

वहां के जन-सांख्यिकीय विशेषज्ञों ने सन् 1901 से 1927 के मध्य जन्म लेने वालों को ग्रेटेस्ट जेनरेशन, सन् 1928 से 1945 के मध्य जन्म लेने वालों को साइलेंट जेनरेशन, सन् 1946 से 1964 के मध्य जन्म लेने वालों को बेबी बूमर्स, सन् 1965 से 1980 के मध्य जन्म लेने वालों को जेन एक्स, सन् 1980 से 1996 के मध्य जन्म लेने वालों को जेन वाई, सन् 1997 से 2012 के मध्य जन्म लेने वालों को जेन जी, सन् 2013 से 2024 के मध्य जन्म लेने वालों को जेन अल्फा तथा सन् 2025 से 2039 के मध्य जन्म लेने वालों को जेन बीटा नाम दिया है। इसमें ‘जेन जी’ तकनीक, इंटरनेट और सोशल मीडिया से अत्यधिक जुड़ा हुआ है जो अब तक 30 प्रतिशत वर्कफोर्स के रूप में स्थापित हो चुका है। इतिहास गवाह है कि अमेरिका ने हमेशा ही दुनिया के अनेक देशों को अस्थिर करके वहां पर अपने खास सिपाहसालारों को सत्ता पर बैठाकर स्वयं के हित साधे है।

सन् 1994 अफगानस्तान के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित कंधार शहर में सन् 1994 में तालिबान नामक एक कट्टपंथी समूह अस्तित्व में आया। उसने वहां की सरकार पर हमले करना शुरू कर दिये। अमेरिका ने इन आतंकी हमलों के विरुद्ध अफगानस्तान की सरकार को सहयोग किया किन्तु बाद में अचानक सहयोग बंद करके देश को अस्थिर कर दिया। परिणामस्वरूप तालिबान ने अगस्त 2021 को अफगानस्तान पर नियंत्रण कर लिया है। इसी साल 2021 म्यांमार में आंग सान सू की सरकार का तख्तापलट करवा दिया गया। वहां के प्रधानमंत्री आंग सान सू को जेल में डाल दिया गया। म्यांमार की कमान सेना में बैठे अपनी अपनी कठपुतलियों के हाथ सौंप दी गई। गृहयुद्ध की स्थिति निर्मित हो गई। लाखों लोगों ने बांग्लादेश और भारत में घुसपैठ की। सन् 2022 में श्रीलंका के जेन जी को प्रेरित करके ईंधन और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कमी को मुद्दा बनाकर प्रदर्शन प्रारम्भ करवाने के बाद उसे हिंसक आक्रमण में परिवर्तित कर दिया। प्रायोजित भीड ने राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय पर हमला कर दिये और तख्तापलट की स्थिति निर्मित कर दी।

सन् 2023 में पाकिस्तान के तोशखान मामले में इमरान खान की गिरफ्तारी हेतु पृष्ठभूमि तैयार करने के बाद उनके समर्थकों से सरकारी इमारतें जलवाई गईं। देश को अस्थिरता की स्थिति में पहुंचा दिया गया फिर बैठा दिया गया अमेरिका का सहेता सत्ता के सिंहासन पर। सन् 2024 में बांग्लादेशी सरकार की नौकरी कोटा नीति के विरोध में छात्रों को पहले प्रदर्शनकारी बनाया और फिर उन्हें हिंसा के रास्ते पर बढाते हुए आक्रमणकारी बना दिया गया। नतीजा सामने है कि अमेरिका का चाटुकार मुहम्मद यूनुस सत्ता पर काबिज हो गया। सन् 2025 में नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर जेन जी के माध्यम से तख्तापलट कराया गया। यहां भी आक्रमणकारियों ने सरकारी इमारतों सहित निजी भवनों, वाहनों आदि को आग के हवाले किया गया।

इसी तरह फ्रांस में फ्रांस्वा बायरू सरकार के वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में 43.8 मिलियन फ्रैंक की कटौती, घाटे में कमी, दो राष्ट्रीय अवकाश हटाने, पेंशन फ्रीज़ करने और स्वास्थ्य सेवाओं में 5 बिलियन फ्रैंक की कटौती का प्रस्ताव था, इसी को मुद्दा बनाकर विरोध शुरू किया गया जिसे हिंसक रूप में परिवर्तित कर दिया गया। आगजनी, तोडफोड सहित व्यापक आक्रामकता सामने आई और हो गया तख्तापलट का लक्ष्य भेदन। भारत तो हमेशा से ही अमेरिका के निशाने पर रहा है। उसने पहले देश को आन्दोलनों के नाम पर अस्थिर करने की कोशिशें की गई। शाहीनबाग से लेकर किसान आन्दोलन तक के हथियार आजमाये गये। समय-समय पर जातिगत तनाव, सम्प्रदायगत संघर्ष, भाषागत विभाजन, आरक्षणगत मांगों जैसे अनेक प्रयोग किये गये।

इन सभी में अमेरिका से संचालित ‘डीप स्टेट’ की उपस्थित के प्रमाण मिलते रहे किन्तु सरकार विरोधी खेमों ने हमेशा ही सत्ता की असफलता बताकर वास्तविकता को छुपाने का काम किया। भारत में तख्तापलट की कोशिशें करने में जी-जान से जुटा ‘डीप स्टेट’ एक बार फिर अपने चांदी के जूते से देश के मीरजाफरों को सक्रिय कर उन्हें नये मुद्दे देने में जुटा है। इन राष्ट्रविरोधी खेमों ने देश को अस्थिर करने हेतु एक बार फिर यात्राओं, वक्तव्यों, हरकतों से नये विवादों को जन्म देना शुरू कर दिया है ताकि अस्थिरता का साम्राज्य स्थापित हो सके। इन स्थितियों को देश में ‘डीप स्टेट’ के तख्तापलट अभियान की पुनः दस्तक के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। ऐसे में आम नागरिकों को स्वःविवेक से समीक्षात्मक तथ्यों पर राय स्थापित करना होगी तभी विश्व की महाशक्ति बनने की दिशा में बढ रहे भारत को अपना अभीष्ठ मिल सका अन्यथा विदेशी षडयंत्र के देशी गुलाम अपना मंसूबा पूरा करने में सफल हो जायेंगे। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नये मुद्दे के साथ फिर मुलाकात होगी।

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