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मुसीबतों से जूझता रहा नाटक डायरेक्टर राजा मास्टर, हंसी से लोट-पोट हुए दर्शक, लजवाब रही दूसरे दिन की प्रस्तुति

डीआईजी की कला प्रदर्शनी का विधायक ललिता यादव ने किया शुभारंभ

छतरपुर। छतरपुर के किशोर सागर ​स्थित ऑडिटोरियम में चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव छतरपुर फे​स्टिवल के अंतर्गत दूसरे दिन छतरपुर के कलाकारों ने अपनी नाट्य प्रस्तुति दी। नाटक का नाम था द ग्रेट राजा मास्टर ड्रामा कंपनी। यह नाटक एक ऐसे टेलर मास्टर की कहानी पर आधारित था जो फेमस होने की गरज से अपने पुश्तैनी सिलाई से जुड़े काम को छोड़कर एक ड्रामा कंपनी का डायरेक्टर बन जाता है और फिर एक नाटक की तैयारी करते हुए उसकी जिंदगी में तमाम मुसीबतें टूट पड़ती हैं। कलाकारों की बेजोड़ अ​भिनय क्षमता, कथानक में रचे गए लोट-पोट कर देने वाले हास्य संवाद और नौटंकी शैली के बुंदेली संगीत के समन्वय से निर्मित हुए इस नाटक ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।

नाटक का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी और पत्रकार ​शिवेन्द्र शुक्ला ने किया था। कार्यक्रम में मुख्य अति​थि के रूप में छतरपुर विधायक ललिता यादव उप​स्थित रहीं, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता छतरपुर रेंज के डीआईजी ललित शाक्यवार ने की। इस मौके पर ललित शाक्यवार द्वारा निर्मित चित्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया। विधायक ललिता यादव ने चित्र प्रदर्शनी के उद्घाटन के बाद दर्शकों के साथ इस कला प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

यह रही नाटक की कहानी-
नाटक की कहानी 1990 के दशक की है, जब एक टेलर मास्टर अपने काम को छोड़कर ड्रामा कंपनी खोल लेता है। अपने मिलने जुलने वालों और आस-पड़ोस के लोगों को वह कंपनी में भर्ती कर उन्हें नाटक के लिए तैयार करता है। नाटक मुगलकाल पर आधारित होता है लेकिन कलाकारों की मूर्खता और उनके अड़ियल रवैए के कारण राजा मास्टर का यह नाटक बुरी तरह चौपट हो जाता है। इस नाटक में कलाकारों का अ​भिनय बेजोड़ रहा। तो वहीं नौटंकी शैली के बुंदेली संगीत ने नाटक की कहानी के साथ गजब का तारतम्य बैठाया। दर्शकों से खचाखच भरा ऑडिटोरियम इस नाटक को देखकर डेढ़ घंटे तक ठहाके लगाता रहा।

नाटक में लगभग 20 कलकारों ने हिस्सा लिया जिनमें जीतेन्द्र पाण्डेय विद्यार्थी, अंकित अग्रवाल, अभिदीप सुहाने, सर्वेश खरे, अंजली नामदेव, साक्षी द्विवेदी, उपासना तोमर, मानस गुप्ता, भूपेन्द्र वर्मा, विकास पटैरिया, अंश सम्यक जैन, मानस निगम, अनिल कुशवाहा, राजेश कुशवाहा, लखन अहिरवार, ब्रजभान अहिरवार, बादल अहिरवार और रवि अहिरवार शामिल रहे। नाटक के समापन पर डीआईजी ललित शाक्यवार को उनकी कला प्रदर्शनी के लिए आयोजन समिति की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।

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