भक्तों का चरित्र सुनने ठाकुर जी बनते हैं रसिक श्रोता: किशोरदास महाराज
संस्कार वाटिका में चल रही श्रीमद् भक्तमाल कथा

छतरपुर। शहर के संस्कार वाटिका प्रांगण में श्रीमद् भक्तमाल कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा क्रम में मंगलवार को कथाव्यास श्रीधाम वृंदावन के गोरीलाल कुंज से पधारे महंत पूज्य किशोरदास महाराज ने कहा कि ठाकुर जी अपने भक्तों की कथा सुनने के लिए रसिक श्रोता बन जाते हैं।
भक्तमाल की कथा सुनाते हुए कथाव्यास जी ने प्रियादास जी महाराज का प्रसंग सुनाया। रसमयी वाणी से कथा रसपान करा रहे महाराजश्री ने कहा कि प्रियादास जी भक्तमाल की कथा जयपुर में सुना रहे थे उसी समय चार चोर भी कथा सुनने पहुंच गए। चोरों का मन ठाकुर जी के विग्रह में पहनाए गए हीरे, जवहारात के हारों पर था। मौका पाकर चोरों ने ठाकुर जी को चुरा लिया। इधर प्रियादास महाराज ने ठाकुर जी के चोरी होने के विरह में अन्न, जल त्याग दिया तभी ठाकुर जी ने चारों चोरों को स्व्प्र में कहा कि यदि तुम लोग तुरंत मुझे प्रियादास महाराज तक नहीं ले गए तो तुम चारों का सत्यानाश हो जाएगा। स्व्प्र का विचार चारों चोरों ने आपस में बताया। ठाकुर जी की ऐसी कृपा हुई कि चारों चोर नाचते, गाते अपनी संपत्ति सहित प्रियादास महाराज के पास पहुंचे और उन्हें ठाकुर जी सौंपते हुए पूरी संपत्ति समर्पित कर दी।
एकादशी में कथाप्रेमियों को मिला ठण्डा शरबत
पूज्य किशोरदास महाराज के शिष्य मण्डल के सदस्य राजू मिश्रा की ओर से कथाप्रेमियों को ठण्डा शरबत पिलाया गया। कहा जाता है कि एकादशी के पावन अवसर पर ठण्डा शरबत पिलाने का बड़ा पुण्य फल प्राप्त होता है। भले ही कल मौसम मेहरबान रहा लेकिन भीमसेन एकादशी के पावन अवसर पर ठण्डा शरबत पिलाकर शिष्य मण्डल ने पुण्य लाभ कमाया।