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क्या महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला हैं?, महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल एनसीपी गुट में सबकुछ नहीं ठीक

नई दिल्‍ली। महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल एनसीपी गुट में सबकुछ ठीक नहीं है। राज्यसभा नहीं भेजे जाने से पार्टी के वरिष्ठ नेता और अजीत पावर के साथ मिलकर शरद पवार की पार्टी से बगावत करने वाले छगन भुजबल नाराज चल रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वह शिवसेना (यूबीटी) के संपर्ट में हैं।

सूत्रों ने बताया कि शिवसेना (यूबीटी) के एक वरिष्ठ नेता ने पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के मंत्री से मुलाकात की थी। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी नेतृत्व से भुजबल के नाराज होने की खबरों के बीच यह मुलाकात महत्वपूर्ण है।

पहले की खबरों में दावा किया गया था कि भुजबल इस बात से नाराज हैं कि अजीत पवार ने बारामती लोकसभा चुनाव में हार के बाद अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को राज्यसभा भेजा। राज्य की राजनीति में ओबीसी चेहरा भुजबल भी राज्यसभा सीट और केंद्रीय मंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहे थे।

अपने समर्थकों द्वारा दबाव डाले जाने के बाद छगन भुजबल अलग-अलग विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने सोमवार को मुंबई में ओबीसी मोर्चे ‘समता परिषद’ के नेताओं की एक बैठक भी बुलाई और शक्ति प्रदर्शन किया। हालांकि, भुजबल ने पार्टी में उनके नाखुश होने के दावों का खंडन किया।

सूत्रों के अनुसार, शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं और छगन भुजबल के बीच पार्टी में उनकी स्वीकृति और उनकी वरिष्ठता के अनुसार उन्हें समायोजित करने पर शुरुआती बातचीत चल रही है। भुजबल ने कथित तौर पर शिंदे सेना के मौजूदा विधायक सुहास कांडे के खिलाफ येओला और नांदगांव विधानसभा सीट के लिए अपने और अपने भतीजे समीर भुजबल के लिए दावा ठेका है। हालांकि, संजय राउत ने कहा कि ऐसी बातें खुले तौर पर चर्चा में नहीं आती हैं। यह चारदीवारी के अंदर ही रहती हैं।

मजे की बात यह है कि संजय राउत ने कहा कि शिवसेना छोड़ने वाला कोई भी व्यक्ति खुश या शांत नहीं है। अगर भुजबल शिवसेना में होते तो अब तक उनका मुख्यमंत्री बनने का तिलक हो चुका होता। अब नारायण राणे और एकनाथ शिंदे सहित वे सभी बेचैन आत्माओं की तरह घूम रहे हैं।

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