कोतवाली पत्थर कांड के मुख्य आरोपी 10 हजार के इनामी हाजी शहजाद अली गिरफ्तारी के बाद संरक्षणदाताओ की उड़ी नींद?

मध्यप्रदेश। छतरपुर शहर के कोतवाली में पत्थरकांड के फरार 10 हजार के इनामी आरोपी हाजी शहजाद अली को छतरपुर पुलिस ने अंततः ट्रैफिक थाने के सामने से मुंह छुपाकर ई रिक्शा से भागते गिरफ्तार करने का दावा किया है। पुलिस ने उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस के साथ ही 10 हजार का ईनाम घोषित किया था। वहीं हाजी शहजाद अली गिरफ्तारी के बाद उसके संरक्षणदाताओ की नींद उड़ी हुई हैं?
आपको विदित हो कि महाराष्ट्र में रत्नगिरी महाराज की टिप्पणी के बाद छतरपुर में मुश्लिम समुदाय के लोग 21/08/2024 को कोतवाली में ज्ञापन सौंपने गये थे। तभी ज्ञापन के दौरान उपद्रव के हालात निर्मित हो गये थे। भीड़ में शामिल उपद्रवियों ने कोतवाली पर हमला कर पत्थर फेंके जिसमे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, कोतवाली थाना प्रभारी अरविंद कुजूर सहित कई पुलिस कर्मी घायल हो गये थे। इस पुरे मामले में पुलिस ने 46 के खिलाफ नामदर्ज एफआईआर व 150 से अधिक अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी जिसमे से 37 लोगो को गिरफ्तार कर जेल जा चुका है। घटना के दूसरे दिन दिनांक 22/08/2024 को जिला प्रशासन ने घटना के मुख्य आरोपी हाजी शहजाद अली की आलीशान करोड़ों की कोठी को चंद घंटो में ही जमीदोज कर दिया था।
कौन और क्या है हाजी शहजाद अली-
छतरपुर जिला मुख्यालय पर छोटे से कारोबार से जीवन की शुरुआत करने वाले हाजी शहजाद अली पर 30 अप्रेल 1988 को हत्या का पहला आरोप पंजीबद्ध हुआ था। जिसमें छतरपुर शहर के बड़कुल चौक पर नगर के प्रसिद्ध व्यवसायी राजेंद्र जैन (बुल्ले) की दो मोटर सायकिल सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में पुलिस ने हाजी शहजाद और चुन्ना के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज किया था। करीब 24 महीने जेल में रहने के बाद इस मामले में अदालत ने हाजी शहजाद को तो बरी कर दिया वहीं चुन्ना को सजा सुनाई थी। प्रदेश में तब कांग्रेस का शासन था।
हाजी शहजाद अली पर यह कुल 7 मामले हैं दर्ज- वहीं हाजी शहजाद परकोतवाली के अपराध क्रमांक 73/82, कोतवाली के अपराध क्रमांक 121/1988, सिविल लाईन थाना के अपराध क्रमांक 76/1983, कोतवाली के अपराध क्रमांक 24/1997, कोतवाली के अपराध क्रमांक 4/2007, कोतवाली के अपराध क्रमांक 268/2016, कोतवाली के अपराध क्रमांक 409/2024 कुल 7 अपराध दर्ज हैं।
राजनैतिक संरक्षण की दम पर हाजी शहजाद ने अपना कारोबार बढ़ाना शुरू किया। तेंदुपत्ता सहित अन्य कारोबार से आर्थिक मजबूती मिली। तभी 2003 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और बीजेपी का शासन आया तो हाजी शहजाद ने जमीनों के कारोबार में घुसपैठ की और हाजी शहजाद के यहां बेशुमार दौलत बरसने लगी। कहा तो यहां तक जा रहा है कि बीजेपी के कुछ नेताओं का प्रशय प्राप्त था जिन्होंने अपने जमीन के कारोबार में शहजाद को शामिल कर रखा था।
वहीं बताया जा रहा हैं कि हाजी शहजाद के जिस भव्य महलनुमा कोठी को अवैध बताकर बुलडोज़र से ढहा दिया गया उसका निर्माण पिछले 5 वर्षों से सालो से चल रहा था। जिसकी कीमत प्रशासन ने 10 से 15 करोड़ आँकी हैं।
वहीं बात गौर करने वाली यहां हैं कि अगर यह विशाल 20 हजार वर्गफुट में निर्मित महलनुमा कोठी अवैध थी तो इसका निर्माण कार्य हुआ और कैसे चल रहा था। इस अवैध निर्माण को प्रसासन द्वारा रोका क्यों नहीं गया। राजस्व अमला, नगरपालिका अमला तब कहाँ सो रहें थे? प्रशासन का यह रवैया दर्शाता है कि दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली थी।
हाजी शहजाद अली के गलत कार्यों को संरक्षण देने वालो के खिलाफ कब होंगी कार्यवाही-
अब आगे देखना होगा की हाजी शहजाद अली के गलत कार्यों को संरक्षण देने वाले राजनेताओं और प्रशासनिक लोगों के खिलाफ क्या कार्यवाही होंगी, अगर हाजी शहजाद अली विलेन घोषित हो चुका है तो उसके संरक्षण दाता प्रशासनिक अमला और राजनैतिक संरक्षण दाता आखिर विलेन क्यों नहीं है?।
अमन चैन की जिंदगी जीने वाले छतरपुर में सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की गई। सामाजिक तानेबाने को छिन्न बिन्न करने का प्रयास किया गया। कुछ प्रशासनिक गलतियां भीं हुईं जिन परिस्थितियों को शायद जिम्मेदार अधिकारी सम्हाल सकते थे। पूर्व की घटना से सबक लिया जा सकता है जिससे भविष्य में इस तरह का माहौल समाज को विखंडित ना कर सके। हाजी शहजाद अली की गिरफ्तारी का दावा है। जिस पर जिले में कुल 7 अपराध पंजीबद्ध हो चुके है। और 3 दिन की पुलिस रिमांड में हाजी शहजाद आगे क्या-क्या राज खोलेगा यह तो आगे आने वाला समय बताएगा।