बड़ी खबर: बैंक ऑफ बड़ौदा सिरोंजा में 82.44 लाख की धोखाधड़ी, बैंक मैनेजर सहित 15 पर ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया मामला

सागर@शशि कुमार। बैंक ऑफ बड़ौदा की सिरोंजा शाखा में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण स्वीकृति में 82.44 लाख रुपये की धोखाधड़ी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) सागर ने तत्कालीन शाखा प्रबंधक अर्चना बाघमारे, उनके सहयोगियों और अपात्र व्यक्तियों सहित 15 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने और धोखाधड़ी का आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। जांच में पाया गया कि बैंक मैनेजर ने निजी व्यक्तियों के साथ मिलकर खसरा दस्तावेजों में हेराफेरी कर अधिक रकबा और कमर्शियल फसलों का झूठा विवरण देकर ऋण स्वीकृत किए, जिससे बैंक को भारी आर्थिक नुकसान हुआ।

जांच में सामने आया घोटाला
ईओडब्ल्यू सागर को शिकायत मिली थी कि बैंक ऑफ बड़ौदा, सिरोंजा शाखा के अधिकारियों ने निजी व्यक्तियों के साथ मिलकर केसीसी ऋण स्वीकृति में नियमों की अनदेखी की। जांच में तत्कालीन शाखा प्रबंधक अर्चना बाघमारे, उनके सहयोगी गजेंद्र सिंह, कमलेश अहिरवार और अधिवक्ता व्ही.एस.जे.बी. राणा (उर्फ वीणू राणा) की मिलीभगत से कूटरचित दस्तावेज तैयार किए गए। खसरा बी-1 में कृषि भूमि के रकबे और फसलों के कॉलम में गलत जानकारी दर्ज कर अधिक रकबा और कमर्शियल फसलों का दावा किया गया। इसके आधार पर अपात्र व्यक्तियों दौलत सिंह, प्रेमलाल कुर्मी, बलवेद सिंह, कामता सिंह, राघवेंद्र सिंह, विजय सिंह, लीलाधर सिंह, पंचम सिंह, रामप्रसाद साहू, हरिबाई और रघुराज घोषी को 82.44 लाख रुपये के ऋण स्वीकृत किए गए।
सत्यापन में लापरवाही और भ्रष्टाचार-
जांच में पाया गया कि शाखा प्रबंधक अर्चना बाघमारे ने ऋण स्वीकृति से पहले निरीक्षण में सही सत्यापन नहीं किया। बैंक के अधिकृत पैनल अधिवक्ता से सत्यापन रिपोर्ट लेने के बजाय, व्ही.एस.जे.बी. राणा से कूटरचित दस्तावेजों को प्रमाणित करवाया गया। पूर्व बंधक भूमि और अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाकर नियमों का उल्लंघन किया गया। इस भ्रष्टाचार से बैंक को 82.44 लाख रुपये का नुकसान हुआ और आरोपियों ने अवैध लाभ कमाया।
कानूनी कार्रवाई और आगे की जांच
ईओडब्ल्यू ने अर्चना बाघमारे, गजेंद्र सिंह, कमलेश अहिरवार, व्ही.एस.जे.बी. राणा और 11 अपात्र व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 13(1) बी, 13(2) और भारतीय दंड विधान की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 467, 468, 471 (कूटरचना) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज किया है। प्रकरण की विवेचना शुरू हो गई है, और अन्य संदिग्ध व्यक्तियों की भूमिका सामने आने पर उनके खिलाफ भी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।