सागर

माननीय न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय, आरोपी को 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं ₹25,000 का जुर्माना

गढ़ाकोटा@पीएल पटेल। अभियोजन कहानी इस प्रकार है कि पीड़िता के पिता ने दिनांक 13/08/2022 को थाना बंडा में आकर रिपोर्ट लिखाई कि उसकी 13 वर्ष की पुत्री लापता है, उसको खोजने पर जब नहीं मिली और गांव के ही रहने वाले आरोपी अरुण मिश्रा पर शक जताया गया कि यह मेरी बेटी को कहीं भगाकर ले गया है।

पुलिस ने मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया और आरोपी के घर जाकर खोजबीन की तो रात्रि घटना दिनांक को पीड़िता आरोपी के घर से दस्तयाब की गई पीड़िता के बयान पर आरोपी पर 363,366 और 376 पॉस्को एक्ट के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया इस प्रकरण में पीड़िता की उम्र 11 से 13 वर्ष थी और आरोपी अरुण मिश्रा की उम्र करीब 58 वर्ष थी, इस मामले में बच्ची के साथ इस तरह की घटना देखकर संपूर्ण बंडा सागर मध्य प्रदेश में एक आक्रोश की लहर फैल गई थी । जिसमें माननीय षष्ठम अपर सत्र न्यायाधीश बंडा श्रीमान रामलाल शाक्य की अदालत द्वारा दिनांक 30 अगस्त 2025 को निर्णय पारित किया गया।

(फोटो- रजनी कुशवाहा क्रांतिकारी युवा नेत्री)

प्रकरण में अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य, चिकित्सीय परीक्षण एवं डीएनए रिपोर्ट के आधार पर आरोपी अरुण मिश्रा को दोषसिद्ध पाया गया। अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता एवं प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोपी को – 20 वर्ष का कठोर सश्रम कारावास तथा ₹25,000/- (पच्चीस हजार रुपए) का अर्थदंड से दंडित किया।

पृष्ठभूमि:-
घटना के उपरांत जब आरोपी की गिरफ्तारी में और आरोपी का अवैध मकान गिराए जाने पर और पुलिस प्रशासन द्वारा विलंब एवं संरक्षण देखा गया, तब ओबीसी क्रांति सेना, लोधी क्रांति सेना तथा अन्य सहयोगी संगठनों के नेतृत्व में विशाल जन आंदोलन शांतिपूर्वक किया गया था लेकिन आंदोलन के दौरान पुलिस द्वारा अवैधानिक लाठीचार्ज किया गया जिसमें एडवोकेट देवेंद्र सिंह लोधी (राष्ट्रीय अध्यक्ष) एवं रजनी कुशवाहा (राष्ट्रीय सचिव) 10 दिन जिला अस्पताल में भर्ती रही, सहित अनेक कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हुए। और इसी लाठीचार्ज के विरोध में 4 सितम्बर 2022 में कजलीवन सागर में ओबीसी क्रांति सेना और समस्त संगठनों ने प्रदेश का ऐतिहासिक आंदोलन किया था जिसमें लाखों की भीड़ एकत्रित हुई थी।

न्यायालय का निर्णय समाज की जीत:-
माननीय न्यायालय का यह निर्णय न केवल पीड़िता एवं उसके परिवार के लिए न्याय है, बल्कि पूरे समाज के लिए न्यायिक विजय का प्रतीक है।
यह निर्णय यह भी प्रमाणित करता है कि यदि समाज संगठित होकर न्याय हेतु संघर्ष करे, तो अपराधी कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, दंडित होने से बच नहीं सकता।

संगठन का संकल्प-
ओबीसी क्रांति सेना यह स्पष्ट करती है कि – यह संघर्ष केवल एक मामले तक सीमित नहीं है। जब तक समाज की प्रत्येक बेटी सुरक्षित नहीं होगी, तब तक न्याय व समानता की लड़ाई जारी रहेगी।तहसील बंडा जिला सागर मप्र की 11 साल की नाबालिग बिटिया के जघन्य निर्भया जैसे दुष्कर्म केस की पैरवी हमारे बड़े भाई साहब क्रांतिवीर Lodhi Devendra Thakur मात्र ₹1 की फीस में कर रहे थे। प्रशासन और सत्ता ने जिसे दबाने का हर षडयंत्र किया। फलस्वरूप कजलीवन का विशाल आंदोलन हुआ था। बंडा सागर की निर्भया जो महज 11 वर्ष की थी को न्याय दिलवाने की शपथ ली थी।

अब दोषी “अरुण मिश्रा” को 20 साल की सजा और जुर्माना माननीय न्यायालय द्वारा हुई है। मुझे तो यहां तक मालूम है कि आदरणीय वकील साहब को 25/30 लाख का ऑफर तक दिया गया केस से हटने के लिए या मैनेज करने के लिए। लेकिन क्रांतिकारी कभी झुकते नहीं ईमान के आगे पैसे की औकात दो कौड़ी होती है। इसी मामले में इन्हें आंदोलन के वक्त पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था और लट्ठ तो इतने मारे थे कि गिनती भूल जाये। हालांकि वह थाना प्रभारी भी सस्पेंड हुआ था।

सोचिए 30 अगस्त के इस फैसले को अब तक दबाकर रखा गया। इस मामले में मीडिया को इतना मैनेज किया गया कि कहीं कोई खबर नहीं है। इसलिए कहता हूं सारा सिस्टम जातिवादी है। देश में ऐसे योद्धा हों तो हर बाजी जीती जा सकती है। आपके जज्बे को मेरा नमन। आप तो कर ही सकते हैं। बात एक बेटी को न्याय की है।

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