आज का पंचांग: आचार्य जगदीश महराज के साथ

डेस्क न्यूज। आज के पंचाग में जाने आचार्य जगदीश महराज के साथ आज क्या करें क्या ना करें साथ में ग्रह, व्रत, उपवास सहित आयुर्वेद के स्वास्थ सम्बंधित उपाय दिनांक – 10 जनवरी 2024
बिशेष भीमकुंड जो गंगा सागर है और मकर संक्रांति के पावन पर्व पर बुडकी स्नान गंगा सागर की है बनवास काल मे पांडवों को प्यास लगी तो भीम ने गदा के प्रहार से गंगा सागर का जल प्रवाह आने लगा वही स्थान भीमकुंड है इस पर्व पर भीमकुंड मे भगवान सूर्य देव का जाप और हवन यज्ञ करना है दिनांक 15जनवरी से 19 जनवरी तक चलेगा आप यजमान बनकर अक्षय पुण्य के भागीदार बनें शीघ्र जानकारी दे।
दिन – बुधवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – कृष्ण
तिथि – चतुर्दशी रात्रि 08:10 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र – मूल रात्रि 07:40 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
योग – ध्रुव रात्रि 09:18 तक तत्पश्चात व्याघात
राहु काल – दोपहर 12:00 से 01:30 तक
सूर्योदय – 07:23
सूर्यास्त – 06:12
दिशा शूल – उत्तर
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:37 से 06:30 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:21 से 01:13 तक
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
सबके लिए क्यों जरूरी है सूर्यस्नान ?-
सूर्य की किरणों में जो रोगप्रतिकारक शक्ति है, रोगनाशिनी शक्ति है वह दुनिया की सब औषधियों को मिलाकर भी नहीं मिलती है।
डॉक्टर सोले कहते हैं : “सूर्य में जितनी रोगनाशक शक्ति है उतनी संसार के अन्य किसी पदार्थ में नहीं है।
कैंसर, नासूर, भगंदर आदि दुःसाध्य रोग, जो बिजली या रेडियम के प्रयोग से भी ठीक नहीं किये जा सकते, वे सूर्य-रश्मियों के प्रयोग से ठीक होते हुए मैंने देखे हैं।”
जो माइयाँ सूर्यकिरणों से अपने को बचाये रखती हैं उनके जीवन में ज्यादा बीमारियाँ देखी जा सकती हैं । इसलिए रोज सुबह सिर को कपड़े से ढककर ८ मिनट सूर्य की ओर मुख व १० मिनट पीठ करके बैठना चाहिए । ऐसा सूर्यस्नान लेटकर करें तो और अच्छा।
डॉक्टर होनर्ग ने लिखा है: ‘रक्त का पीलापन, पतलापन, लोह (हीमोग्लोबिन) की कमी, नसों की दुर्बलता, कमजोरी, थकान, पेशियों की शिथिलता आदि बीमारियों का सूर्य किरण की मदद से इलाज करना लाजवाब है।
घर में बरकत व समृद्धि के अचूक उपाय-
घर की साफ-सफाई सुबह करनी चाहिए । रात को घर में झाडू लगाने से लक्ष्मी की बरकत क्षीण हो जाती है। इसलिए गृहस्थियों को रात्रि को झाड़ू नहीं लगानी चाहिए।
भोजन में से गाय, पक्षियों, जीव-जंतुओं का थोड़ा हिस्सा रखनेवाले के धन-धान्य में बरकत रहती है।
घर से निकलें खा के बाहर मिले पका के कभी यात्रा में जायें या किसीसे मिलने जायें तो भूखे या निराहार होकर नहीं मिलें । कुछ खा-पीकर जायें, तृप्त हो के जायें तो मिलने पर भाव में तृप्ति आयेग।
कहीं यात्रा में जाने में घर से विदाई के समय थोड़ा-सा दही या मट्ठा लेना गृहस्थियों के लिए शुभ माना जाता है।
अंत्येष्टि संस्कार क्यों ?-
(१) देहत्याग के समय क्या करें और क्यों ?
व्यक्ति अंतिम श्वास ले रहा होता है तो उस आतुर काल में भूमि को गाय के गोबर से लेपन करके शुद्ध करें और जल-रेखा से मंडल (घेरा) बनायें । फिर उस भूमि पर दक्षिणाग्र कुश (नुकीला अग्रभाग दक्षिण की ओर किये हुए कुश) तथा तिल को बिछा दें।
मरणासन्न व्यक्ति को उस पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर सिर करके सीधा लिटा दें।
सिर पर तुलसी का पत्ता रखें । उस व्यक्ति के मुँह में बीच-बीच में तुलसी दल डला हुआ गंगाजल डालते रहें । ऐसा करने से वह पापमुक्त हो जाता है।
घी का दीपक जला दें । मरणासन्न व्यक्ति के दोनों हाथों में कुशा रखें। ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें।
मरणासन्न व्यक्ति से उसकी सद्गति के लिए तिल, नमक, गाय आदि का दान करा दें। आतुर काल में लवण (नमक) दान करने से जीव की दुर्गति नहीं होती।
ll जय श्री राम ll