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आज का पंचांग: आचार्य जगदीश महराज के साथ

डेस्क न्यूज। आज का पंचांग में जाने आचार्य जगदीश महराज से राशिफल, राहुकाल, सहित आज का ब्रत एवं त्यौहार सहित स्वास्थ सहित आयुर्वेदिक उपाय।

दिनांक – 14 जनवरी 2024
मकरसंक्रांति को दान पुण्य का बहुत महत्व है इसलिए पंच दिवसीय अनुष्ठान भगवान सूर्य देव का जाप और हवन यज्ञ होना है आप सभी इस मकरसंक्रांति के महापर्व मे सुख शांति के लिए इस अनुष्ठान में समलित हो जाये जानकारी दे।
दिन – रविवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – तृतीया सुबह 07:59 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – धनिष्ठा सुबह 10:22 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग – व्यतीपात सुबह 06:23 से मध्यरात्रि 02:40 तक
राहु काल – शाम 04:30 से 06:00 तक
सूर्योदय – 07:23
सूर्यास्त – 06:14
दिशा शूल – पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:38 से 06:30 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:22 से 01:15 तक
व्रत पर्व विवरण – विनायक चतुर्थी, लोहड़ी पर्व पंचक, व्यतीपात योग [सुबह ६-२३ से रात्रि २-४० (१५ जनवरी २-४० AM) तक)], चतुर्थी क्षय तिथि
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

व्यतीपात योग – 14 जनवरी 2024
समय अवधि : 14 जनवरी सुबह 06:23 से मध्यरात्रि 02:40 तक ।
व्यतीपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । – वराह पुराण

क्या करे मकर संक्रांति को..??-
मकर संक्रांति – 15 जनवरी 2020
पुण्यकालः सूर्योदय से सूर्यास्त तक
मकर संक्रांति या उत्तरायण दान-पुण्य का पर्व है । इस दिन किया गया दान-पुण्य, जप-तप अनंतगुना फल देता है।

इस दिन गरीब को अन्नदान, जैसे तिल व गुड़ का दान देना चाहिए। इसमें तिल या तिल के लड्डू या तिल से बने खाद्य पदार्थों को दान देना चाहिए । कई लोग रुपया-पैसा भी दान करते हैं ।

जो मकर संक्रांति में इन छह प्रकारों से तिलों का उपयोग करता है वह इहलोक और परलोक में वांछित फल पाता है- तिल का उबटन, तिलमिश्रित जल से स्‍नान, तिल-जल से अर्घ्य, तिल का होम, तिल का दान और तिलयुक्‍त भोजन । किंतु ध्‍यान रखें – रात्रि को तिल व उसके तेल से बनी वस्‍तुएं खाना वर्जित है ।‘’
उत्तरायण के दिन भगवान सूर्यनारायण के इन नामों का जप विशेष हितकारी है ।
ॐ मित्राय नमः । ॐ रवये नमः ।
ॐ सूर्याय नमः । ॐ भानवे नमः ।
ॐ खगाय नमः । ॐ पूष्णे नमः ।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः । ॐ मरीचये नमः।
ॐ आदित्याय नमः । ॐ सवित्रे नमः।
ॐ अर्काय नमः । ॐ भास्कराय नमः ।
ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः। ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नम:।

इस मंत्र से सूर्यनारायण की वंदना कर लेना, उनका चिंतन करके प्रणाम कर लेना । इससे सूर्यनारायण प्रसन्न होंगे, निरोगता देंगे और अनिष्ट से भी रक्षा करेंगे ।

यदि नदी तट पर जाना संभव नही है, तो अपने घर के स्नान घर में पूर्वाभिमुख होकर जल पात्र में तिल मिश्रित जल से स्नान करें । साथ ही समस्त पवित्र नदियों व तीर्थ का स्मरण करते हुए ब्रम्हा, विष्णु, रूद्र और भगवान भास्कर का ध्यान करें । साथ ही इस जन्म के पूर्व जन्म के ज्ञात अज्ञात मन, वचन, शब्द, काया आदि से उत्पन्न दोषों की निवृत्ति हेतु क्षमा याचना करते हुए सत्य धर्म के लिए निष्ठावान होकर सकारात्मक कर्म करने का संकल्प लें ।

जो संक्रांति के दिन स्नान नही करता वह 7 जन्मों तक निर्धन और रोगी रहता है ।- पूज्य बापूजी

रविवार विशेष-
रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन आँवला, मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देकर सूर्य मंत्र का जाप करने कराने से धन, बुद्धि और धर्म की ब्रद्धि होती है ।
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना एवं पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।

🚩🚩 ll जय श्री राम ll 🚩🚩

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