आध्यात्मिकआलेख एवं विचार

हममें से अधिकाँश लोग इस बात से बेहद परेशान हैं कि हम लोग दिन रात परिश्रम करके लोगों को समझाते हैं और लोग हैं कि अपनी धुन में मस्त हैं: शिव बहादुर सिंह आध्यात्मिक संपादक

इसके पीछे का रहस्य हमें समझना होगा। लोगों का प्रारब्ध ऐसा है कि चाहकर भी कई लोग सक्रीयता से जुड़ नहीं पाते हैं। अतः लोगों को बार-बार गुरुदेव जी क़ी विचारधारा से अवगत कराते रहना होगा और उन्हें साधनात्मक क्रमों में आमंत्रित करते रहना होगा

डेस्क न्यूज। घनघोर कलयुग चल रहा है ,लोगों को धर्म और अध्यात्म में रुचि कम है जबकि नशे-माँस और चरित्र हीनता में लोग अत्यधिक रुचि लेते हैं। जबकि उन्हें ज्ञात होना चाहिये कि नशा नाश का कारण है। माँस, मछली, अंडा हमारे आपके के लिये बना ही नहीं है। चारों तरफ जिधर भी निगाह डालिये उधर ही चरित्र हीनता व्याप्त है। लोगों को सत्य और असत्य का भेद मालूम ही नहीं है। ऐसी परिस्थिति में गुरुदेव जी द्वारा निर्देशित साधनात्मक क्रमों का विशेष महत्व है। लोगों को कितना भी समझाओ पर लोग अपनी मनमानी करते हैं।

ऐसे में हमें सबसे पहले लोगों के घरों में माँ दुर्गा जी क़ी आरती करनी होगी और श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करना होगा। जब लोगों को माँ दुर्गा जी क़ी कृपा रूपी ऊर्जा का लाभ मिलने लगेगा तो उन लोगों को महा आरती में आमंत्रित करना चाहिये। बार-बार महा आरती क़ी ऊर्जा का लाभ प्राप्त करेंगे तो शिविर में भी जाने का सौभाग्य प्राप्त कर लेंगे। जो लोग शिविर में जायेंगे।

उन्हें दिव्य आरती का लाभ अवश्य प्राप्त होगा। दो तीन शिविर में जाने के उपरान्त उन्हें सत्य का भान हो जाएगा और उनके जीवन में परिवर्तन होना प्रारम्भ हो जाएगा। बहुत सारे लोग एक दो बार समझाते हैं जब लोग प्रत्युत्तर नहीं देते तो निराश हो जाते हैं। हमें कभी भी निराश नहीं होना है। बार-बार प्रयास करते रहना होगा। जब लोग अपने घरों में आरती पाठ कराएंगे और श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने लगेंगे और गुरु मंत्र (ॐ शक्ति पुत्राय गुरुभ्यो नमः ) और चेतना मंत्र (ॐ जगदम्बिके दुर्गायै नमः )का जप करने लगेंगे तो स्वतः ही उनका कल्याण होना शुरू हो जाएगा। समाज में बहुत सारे लोगों को गलत और सही कार्योँ का भेद ही नहीं पता है। हमको आपको आगे बढ़कर उन्हें बताना होगा।

कई लोग सिर्फ अपने में ही सिमट कर रह जाते हैं ,उन्हें दूसरों के सुख दुःख से कोई भी वास्ता नहीं रहता है। ये गलत है। गुरुदेव जी ने हमें ऐसी पात्रता दी है कि हम लोगों के जीवन में गुरुदेव जी द्वारा निर्देशित क्रमों के माध्यम से परिवर्तन कर सकते हैं । अब हाँथ पर हाँथ रखकर बैठने का समय नहीं है। उपरोक्त कार्योँ को करने के लिये सर्व प्रथम हमें स्वयं अपनी पात्रता सिद्ध करनी होगी। लोगों को बताने से पहले हमें सभी क्रमों का पालन करना होगा अन्यथा जब हम खुद नहीं करेंगे तो दूसरों को बताने का हक हमें स्वयं नहीं मिलेगा। जब हम व्रत रखेंगे तभी लोगों को व्रत के बारे में में बता पाएँगे। समाज में फैली हुई भयावहता को समाप्त करने के लिये गुरुदेव जी द्वारा निर्देशित क्रमों को अपनाना ही होगा।

पूरी दुनियाँ में इससे ज्यादा लाभकारी मार्ग किसी के पास नहीं है। गुरुदेव जी ने बड़े ही सरल और सुगम मार्ग द्वारा हमारा आपका कल्याण किया है। नये-नये लोगों को हमें बताना होगा और उन्हें सत्य के मार्ग से अवगत कराना होगा। बहुत लोग अपनी समस्याओं से दुःखी हैं ,उन्हें इस मार्ग का ज्ञान कराना होगा। आगे बढ़ने का मूल सूत्र एक ही है कि जब आप दूसरों के कल्याण के बारे में कार्य करने लगेंगे तो माँ गुरुवर आपका कल्याण जरूर करेंगे। सिर्फ एक बार दृढ़ संकल्प कीजिये ,देखिये आपके जीवन में खुशहाली ही खुशहाली होगी।

जै माता क़ी जै गुरुवर क़ी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button