आध्यात्मिक

करोड़ों लोग भटकाव का जीवन जी रहे हैं, जिससे उनके जीवन में सुख और शांति का समावेश हो सके, इसके लिये हमें जी जान से प्रयत्न करना होगा: शिव बहादुर सिंह

डेस्क न्यूज। आज एक नये तरीके का प्रचलन शुरू हो चुका है कि “अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता”। मतलब अधिकाँश लोग सिर्फ स्वार्थ पूर्ति के लिये कार्यरत हैं। अपना काम हो जाय। अपने परिवार के लिये बस सब कुछ जुटा दें।लोग इसी को इति श्री मान लेते हैं। ऐसा कदापि नही होना चाहिये।

गुरुदेव ज़ी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि आत्म कल्याण के साथ-साथ जन कल्याण भी अत्यन्त आवश्यक है ,अर्थात आप अपना कल्याण जरूर कीजिये पर उसके साथ दूसरों के कल्याण के बारे सदैव प्रयत्नशील बने रहिये। हमें नये व्यक्तियों को भी बार-बार प्रेरित करते रहना है। कुछ लोग कहते हैं कि मैने कुछ लोगों को बताना चाहा पर लोग रुचि नही दिखाते हैं। आपको इस कार्य को जीवन पर्यन्त करते ही रहना है। जिन लोगों के संस्कार प्रबल होंगे ,वो लोग गुरुदेव ज़ी की विचारधारा से जरूर जुड़ेंगे। हमें प्रयास करते रहना होगा। सर्व प्रथम जब भी कोई नया व्यक्ति मिले ,उसे महा आरती में बुला लीजिये। किसी को संगठन के बारे में अवगत कराने का सबसे शशक्त माध्यम महाआरती ही है।

आपके आस पास जहाँ भी आरती और चालीसा पाठ हो रहा हो ,वहाँ आप नये लोगों को लेकर जाईये या वहाँ बुला लीजिये। दरअसल हमें इन क्रिया कलापों को जानना होगा। जब भी इन क्रमों में आप किसी को लेकर आयेंगे ,उस व्यक्ति को क्रमों की ऊर्जा का लाभ अवश्य मिलेगा। धीरे-धीरे वही व्यक्ति आपसे संगठन की और भी जानकारी प्राप्त करना शरू कर देगा। आप नये लोगों को शिविर में भी लेकर जाईये। आप देखेंगे कि ऐसा व्यक्ति गुरुदेव ज़ी की विचारधारा का मुरीद हो जाएगा। ऐसा आप करके देखिये ,आपको चमत्कारिक परिणाम प्राप्त होंगे। जब आपको कोई भी नया व्यक्ति मिले तो उन्हें दुर्गा चालीसा पाठ के बारे में जरूर बताइये और वीरवार के व्रत के बारे में जरूर बताइये। वीरवार के व्रत से उन्हें लाभ मिलना प्रारम्भ हो जाएगा।

दरअसल सबके अन्दर सब कुछ विद्यमान है, हमें उसे सिर्फ जागृत करने की आवश्यकता है। हमारी आत्मा के द्वारा ही सब कुछ संचालित होता है। हमें आत्मा के ऊपर पड़े हुये आवरण को गुरुदेव ज़ी के द्वारा निर्देशित क्रमों के माध्यम से हटाना होगा। जितने ज्यादा लोगों को हम संगठन से जोड़ेंगे ,उतना ही ज्यादा हमारा स्वयं का कल्याण होगा और हम शांति का जीवन जीने लगेंगे। खुद ही अच्छा खा लिया ,खुद ही अच्छा पहन लिया ,ये सही नही है। माँ गुरुवर ज़ी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये हमें दूसरों के कल्याण करने के बारे में निरन्तर सोचना होगा। बहुत सारे लोग सोचते हैं कि हम खुद ही परेशानी में हैं तो दूसरों की परेशानी के बारे में क्या सोच सकते हैं।

यहां पर हम गलत सोच रहे हैं। कुछ लोग साधना तो करते हैं पर आरती और चालीसा पाठ के क्रमों में जाने में कम रुचि लेते हैं ,ऐसा सही नही है।आरती और चालीसा पाठ के क्रम ऊर्जा के असीमित भण्डार हैं। आप इन क्रमों द्वारा अत्यधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जिस दिन हम अपनी परेशानी को भूलकर दूसरों के कल्याण के लिये गुरुदेव ज़ी द्वारा निर्देशित क्रमों की जानकारी दूसरों को देने लग जायेंगे आप देखियेगा आपकी समस्याएँ कम होने लगेंगी। इस रहस्य को बहुत कम लोग ही जानने का प्रयत्न करते हैं। गुरुदेव ज़ी ने सदैव अपने चिन्तनों में उल्लेख किया है कि दूसरों के कल्याण में ही हमारा कल्याण समाहित है। संगठन का उद्देश्य है कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को गुरुदेव ज़ी की विचारधारा से अवगत कराते रहें।

आप स्वयं सोचिये कि आज करोड़ों परिवार गुरुदेव ज़ी द्वारा बताए हुये मार्ग पर चलकर सुख और शांति का जीवन जी रहे हैं। लोगों को शक्ति ध्वज दीजिये ,कुमकुम का तिलक दीजिये ,साधना कार्ड दीजिये। शक्ति जल द्वारा जो लाभ मिलता है ,उन लाभों के बारे में उन्हें अवगत कराइये।जो लोग परेशान हैं या बीमारी से ग्रस्त हैं। उन लोगों को आरती या पाठ के क्रमों में बुलाइये। उन्हें लाभ मिलेगा। कई लोग सोचते हैं कि हमारा सही चल रहा है ,मुझे क्या आवश्यकता है। ये सोच सही नही है। आप अपने साथ-साथ दूसरों को भी बताते रहिये। गुरुदेव ज़ी ने बार-बार कहा है कि आप एक भी परिवार को नशा मुक्त और मांसाहार मुक्त करा पायें तो आपका जीवन सफल हो जाएगा। आप सदैव स्मरण रखिये कि इन कार्योँ में जब आप रुचि लेने लगेंगे तो आप खुद की नजरों में काफी अच्छा महसूस करने लग जायेंगे और आपको सदैव प्रसन्नता का अनुभव होने लगेगा।

जै माता की जै गुरुवर की

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button