भविष्य की आहट/ कट्टरता के सामने तकनीक का कमाल: डा. रवीन्द्र अरजरिया

डेस्क न्यूज। शक्ति की उपासना के पावन पर्व पर बंगला देश में इस्लामिक क्रान्ति का आह्वान करके कट्टरपंथियों ने एक बार फिर सनातन की शान्तिप्रियता को तार-तार कर दिया है। वहां पर होने वाली हिंसक घटनायें जहां आस्था के आयामों को सीधा प्रभावित करतीं है वहीं कट्टरपंथियों के मानवता विरोधी मंसूबों की मुसलमानों में आम सहमति के रूप में रेखांकित भी करती है।
अन्याय पर न्याय की विजय, असत्य पर सत्य की जीत और वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा वाले पर्व पर हिंसा, अन्याय और विभेद का बारूद फोडने वाली जमात पूरी तरह सुरक्षित हैं। उनके आकाओं के दिखाने वाले दांतों के मध्य से एकता की चासनी टपक रही है परन्तु असली दांतों से गजवा-ए-दुनिया के रास्ते में आने वालों को निरंतर चबाते भी जा रहा है। वहां के चटगांव स्थित जत्रामोहन सेन हाल में चल रही दुर्गा पूजा में कट्टरपंथियों ने मंच चढकर जबरजस्ती इस्लामिक क्रान्ति का आह्वान करते हुए गीत गाये गया तो ढाका के भालो बंगला के पूजा पंडाल में तोडफोड की गई। ढाकेश्वरी मंदिर में इस्लाम के नारे बुलंद करने की खबरें आती रहीं तो जोरान में आस्था स्थल को सरेआम नस्तनाबूत कर दिया गया।
वहां की अन्तरिम सरकार के नुमाइन्दों व्दारा सब कुछ नियंत्रण में होने के वक्तव्य जारी किये जाते रहे और धरातल पर लहू की धार से नहाने वालों की पीठ पर हाथ भी रखा जाता रहा। वहां के पुलिस महानिरीक्षक मोइनुल इस्लाम ने स्वयं ही 35 बडी घटनाओं को स्वीकारा है जिनमें से 11 मामले दर्ज हुए और 24 को सामान्य डायरी में लिखा गया है। बाकी सैकडों घटनाओं को पूरी तरह नजरंदाज कर दिया गया। ऐसा ही घटनाक्रम तख्तापलट के दौरान भी सामने आया था, जब वहां के अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सम्पत्तियों को तहसनहस किया गया था। बेखौफ होकर लूटपाट की गई थी। निर्मम हत्याओं का सिलसिला चल निकला था।
हिन्दुओं की महिलाओं को चुन-चुनकर हवस का शिकार बनाया गया था मगर उस सबको भीड की करामात, लोगों का आक्रोश और सामूहिक उत्तेजना कहकर हाशिये पर पहुंचा दिया गया था। तभी से वहां राष्ट्रीय तंत्र पर पूरी तरह से कट्टरपंथी हावी हैं जो आतंक को, जुल्म को, कत्लेआम को ही मजहब मानते हैं। वहीं दूसरी ओर भारत के महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने मदरसों के मौलानाओं के वेतन में तीन गुना की बढोत्तरी करने की घोषणा कर दी। इस घोषणा को सरकार के सभी घटक दलों ने धर्म निरपेक्षता की दिशा में एक महात्वपूर्ण कदम बताया है।
एक ओर कट्टरता की बाढ तले देश-दुनिया तबाह हो रही है वहीं मजहबी तालीम के नाम पर अधिकांश मदरसों में निकले वाली आतंकी जमात अपनी खुराफाती तामीलदारों की पढाई को ही हकीकत में खुदा का हुक्म मान बैठती है। ऐसे में जहां मदरसों को शासनाधीन करना बेहद आवश्यक है वहां मदरसों के वर्तमान स्वरूप को ही मजबूत करना घातक ही नहीं बल्कि आत्मघाती होगा। आन्दोलन के नाम पर शक्ति प्रदर्शन, जेहाद के नाम पर जुल्म और इस्लाम के नाम पर काफिरों के खात्मे का फतवा, अपना अमली जामा पहनता जा रहा है।
देश के बद से बद्तर होते हालातों के साथ-साथ दुनिया के भर में आतंक का दावानल खतरनाक ढंग से बढता जा रहा है। सन् 1946 में इस्लामिक देशों की संख्या केवल 6 थी, जबकि वर्तमान में 57 हो गई है। इस्लाम के नाम पर संगठित होने का आह्वान कर चुके इरान के मुखिया अयातुल्ला अली खामेनेई तो यहूदी बाहुल्य देश इजराइल को नस्तनाबूत करने में कोई कसर नहीं छोड रहे हैं। उन्होंने अपनी रणनीति के तहत यहूदी राष्ट्र को एक साथ आठ मोर्चों पर घेर लिया है ताकि उसके बचने की संभावनायें पूरी तरह समाप्त हो जायें।
गाजा की ओर से हमास, लेबनान की ओर से हिजबुल्लाह, यमन की ओर से हूती, ईराक की ओर से मिलिशिया के अलावा सीरिया, तेल अवीव, हदेरा तथा बीर्शेबा की ओर से निरंतर हमले हो रहे हैं। रूस और चीन जैसे देश पर्दे के पीछे से आतंकियों को हथियारों के जखीरे भेज रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी छद्म वेश में आतंकियों के पक्ष में खडे दिख रहे हैं। उसने षडयंत्र करके शान्ति सेना में भारतीय सैनिकों को ब्लू लाइन पर तैनात कर दिया है ताकि इजराइली मिसाइलों से उनका वध हो सके।
गुटेरेस की चाल समझकर इजाराइल ने अपनी युध्द शैली में अद्भुत परिवर्तन कर लिया। उसने साइबर हमले में एक बार फिर ईरान को धूल चटा दी। पहले उसने हिजबुल्लाह को पेजर ब्लास्ट, वाकी-टाकी ब्लास्ट, इलैक्ट्रानिक ब्लास्ट आदि से अपनी क्षमताओं की बानगी दी थी और अब उसने आतंकियों के संरक्षक बनकर उभरने की तैयारी में लगे ईरान की न्यायापालिका, विधायिका और कार्यकारी शाखाओं सहित परमाणु विंग तक की नेटवर्किंग पर अपने साइबर शस्त्र से प्रहार शुरू कर दिये हैं। बंदरगाह नेटवर्क, ईंधन वितरण नेटवर्क, परिवहन नेटवर्क, सिटी नेटवर्क सहित अधिकांश तंत्र विकलांग हो गये हैं।
ईरान के सुप्रीम काउंसिल आफ साइपरस्पेस के पूर्व सचिव फिरोजाबादी ने इन साइबर हमलों की पुष्टि करते हुए कहा है कि हमारे परमाणु संयंत्रों को भी इजराइल ने साइबर हमलों से निशाना बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि विगत दिनों ईरान ने इजराइल को बैलिस्टिक मिसाइल निशाना बनाया था। इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने स्पष्ट किया था कि ईरान को अपने मिसाइल कार्यक्रमों तथा आतंकियों की मदद पर रोक लगाना चाहिए ताकि दुनिया में शान्ति कायम रह सके।
मगर ईरान ने इजराइल को आठों ओर से घेरकर एक तरह से अमेरिका के सामने भी अप्रत्यक्ष चुनौती पेश कर दी है। इस युध्द में केवल ईरान, लेबनान, यमन, गाजा, फिलिस्तीन, ईराक, सीरिया जैसे कट्टरपंथी देशों के सामने इजराइल ही नहीं है बल्कि वास्तव में रूस और चीन के सामने अमेरिका भी है। चुनौतियों पर चुनौतियां पेश हो रहीं हैं। विश्वयुध्द के मुहाने पर पहुंच चुके हालातों में इजराइल जैसा छोटा सा देश अपनी अस्मिता बचाने के लिए कट्टरता के सामने तकनीक का कमाल करने में जुटा है। ऐसे में अमन पसन्द लोगों को खुलकर आतंकवाद के विरोध में खडा हो जाना चाहिए तभी जेहाद के नाम पर होने वाले जुल्म रुक सकेंगे। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।