मध्यप्रदेश

टेटनस और डिप्थीरिया से बचाव लिए स्कूलों में लगे टीके

ढाई हजार से ज्यादा बच्चों को लगाए गए टीके

भोपाल। टिटनेस और डिप्थीरिया बीमारी से बचाव के लिए शासकीय स्कूलों में टी.डी. के टीके लगाए जाने की शुरुआत 8 अगस्त से की गई। जिसमें भोपाल के 202 शासकीय स्कूलों में ढाई हजार से अधिक बच्चों को टीके लगे। जिसमें 10 साल की उम्र के 2168 और 16 साल आयु के 391 बच्चों को टी.डी. वैक्सीन लगाई गई। इन गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए लिए स्कूलों में प्रत्येक गुरुवार को शालेय टीकाकरण दिवस का आयोजन किया जाएगा । टीकों की प्रविष्टि एवं मॉनिटरिंग यूवीन पोर्टल के माध्यम से की जा रही है।

शासकीय स्कूलों में आयोजित किए जा रहे इस विशेष टीकाकरण कार्यक्रम हेतु जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा शासकीय स्कूलों को टीके लगवाने के विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही बच्चों की होमवर्क कॉपी में टीके लगाने के लाभ संबंधी संदेशों के साथ विधार्थी का आधार नंबर और अभिभावक का मोबाइल नंबर अंकित करने की सूचना दी गई है। आधार और मोबाइल नंबर द्वारा यूविन पोर्टल पर टीकाकरण की जानकारी प्रविष्ट की जाएगी।

बच्चों में टेटनस और डिप्थीरिया से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण के माध्यम से वैक्सीनेशन किया जाता है। परन्तु देखने में ये आया है कि 10 वर्ष एवं 16 वर्ष के बच्चों एवं किशोरों में इस टीके का टीकाकरण का प्रतिशत कम है। इसीलिय ये बीमारी किशोरों और वयस्कों में ज़्यादा देखी जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसा के अनुरूप भारत सरकार द्वारा डिप्थीरिया के आउटब्रेक को रोकने एवं बच्चों एवं किशोरों को निरंतर रूप से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में टी.टी. वैक्सीन की जगह टी.डी. वैक्सीन को टीकाकरण कार्यक्रम में सम्मिलित किया गया है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि टिटनेस एक लाइलाज व गंभीर बैक्टीरिया बीमारी है। जिससे बचाव के लिए टी.डी. का वैक्सीन लगाया जा रहा है। टिटनेस का संक्रमण घाव के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। टिटनेस से मांसपेशियों में दर्द और जकड़न रहती है, खासकर जबड़े और गर्दन में। डिप्थीरिया घातक संक्रामक रोग है जिसमें गले एवं टॉन्सिल्स में सफेद चमकीली झिल्ली बन जाती है। डिप्थीरिया से सांस लेने में कठिनाई, हृदय गति रुकना , लकवा और मृत्यु भी हो सकती है।

ये वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। विश्व के 133 देशों में यह वैक्सीन राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत लगाई जा रही है। टीडी का टीका किशोरों एवं वयस्कों को इस बीमारी से बचाव के लिए एक लंबी सुरक्षा चक्र प्रदान करने के लिए आवश्यक है।

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