पुलिस ने नाबालिक बालिका का विवाह होने से रोका, वर-वधु पक्ष के लोग 18 वर्ष आयु पूर्ण होने पश्चात विवाह हेतु सहमत

छतरपुर। बाल विवाह एक अभिशाप है, यह बच्चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है जिससे उनपर हिंसा, शोषण तथा यौन शोषण का खतरा बना रहता है। बाल विवाह लड़कियों और लड़कों दोनों पर असर डालता है, लेकिन इसका प्रभाव लड़कियों पर अधिक पड़ता है।
किसी लड़की या लड़के की शादी 18 साल की उम्र से पहले होना बाल विवाह कहलाता है। बाल विवाह, बचपन खत्म कर देता है। बाल विवाह बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर, बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता हैं।
थाना बाजना क्षेत्र में थाना बाजना पुलिस को नाबालिक बालिका के विवाह संबंधी सूचना प्राप्त हुई। पुलिस टीम मौके पर पहुंची, वर-वधु पक्ष के लोगों से वार्ता की।
विवाह कार्यक्रम में दुल्हन जो उम्र 16 वर्ष की थी, बालिका थाना बाजना क्षेत्र व दूल्हा उम्र 21 साल जो थाना क्षेत्र बक्सवाहा का निवासी था, जानकारी स्पष्ट हुई। विधिवत कार्यवाही करते हुए उक्त नाबालिग बालिका का विवाह होने से रोका गया एवं परिजनों को समझाइस दी गई की कि नाबालिक लडकी के बालिक होने के उपरान्त ही विवाह कराया जाये। परिजन सहमत हुए, 18 वर्ष की उम्र पूर्ण होने के पश्चात ही बालिका के विवाह हेतु निर्णय लिया गया।
उक्त कार्यवाही में एसडीओपी बड़ामलहरा श्री रोहित अलावा के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी बाजना निरीक्षक राजेश सिंह सिकरवार, महिला पुलिस अधिकारी महिला आरक्षक पूनम मिश्रा, सहायक उप निरीक्षक मनमोहन सिंह मार्को, प्रधान आरक्षक राम जी, आरक्षक संजय लोधी, भरत लाल, सुनील अहिरवार की भूमिका रही।