मध्यप्रदेश

फिक्स दुकानों से किताबें-ड्रेस की खरीद, निजी स्कूलों की मनमानी पर CM यादव ने दिया सख्त कार्रवाई का आदेश

सरकार लगाएगी 2 लाख का जुर्माना

मध्यप्रदेश। एमपी के स्कूलों में नया शिक्षण सत्र शुरू हो गया है। इसके साथ ही निजी स्कूलों की निर्धारित दुकानों से खरीदी करने दबाव बनाने के मामले सामने आए है। स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए मोहन सरकार ने एक आदेश जारी किया है. जारी आदेश में कहा गया है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल अभिभावकों पर किसी निर्धारित दुकान से ही किताबें, यूनिफॉर्म और बाकी शिक्षण सामग्री खरीदने का दबाव नहीं बना सकते हैं अगर कोई स्कूल ऐसा करता है तो उस स्कूल के खिलाफ 2 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

जिला कलेक्टरों को आदेश जारी वैसे प्रदेश में सरकार हर साल अभिभावकों को निर्धारित दुकानों से किताब यूनिफॉर्म एवं अन्य सामग्री खरीदने के लिए बाध्य न करने के लिए निर्देश जारी करती है पर यह आदेश केवल महज औपचारिकता बनकर रह जाता है. ऐसे में इस साल सरकार ने इस मामले में शिकायत मिलने पर स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ 2 लाख तक के जुर्माना लगाने के आदेश भी कलेक्टर को जारी किए हैं. मध्य प्रदेश शासन के उप सचिव ओएम मंडलोई ने इस संबंध में सोमवार देर शाम एक आदेश जारी किया हैं।

लग सकता है 2 लाख रुपए तक का जुर्माना
एमपी में हर साल सरकार यह तो दावा करती है कि स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाया जाएगा और मनमानी करने पर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी। लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट रहती है और हर बार की तरह इस बार भी कई निजी स्कूलों ने अभिभावकों को सूचित कर दिया है कि वे निर्धारित स्थानों से ही यूनिफॉर्म व कॉपी-किताबें खरीदें. इसी बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मामले में निर्देशित किया कि निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को कोर्स की किताबें, यूनिफार्म और अन्य शिक्षण सामग्री किसी निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए दबाव डाला तो स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं, शिक्षा विभाग ने जिला कलेक्टरों को पत्र भी भेज दिया है।

एमपी निजी विद्यालय फीस अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के आदेश भी दिए गए हैं, जिसके तहत स्कूल संचालक पर 2 लाख तक का जुर्माना भी ठोका जा सकता है. अगर कोई स्कूल संचालक ऐसी मनमानी करता है तो गुप्त रूप से इसकी शिकायत शासन-प्रशासन के समक्ष की जा सकती है. अब देखना ये होगा कि इस आदेश का जमीनी स्तर पर पालन होता है या नहीं और किस हद तक इन निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लग पाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button