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भगवान कृष्ण व सुदामा की मित्रता से सीख ले समाज: भागवताचार्य पं. सौरभ तिवारी

छतरपुर। जिले के बर्रोही ग्राम में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ का समापन सुदामा चरित्र व परीक्षित मोक्ष के साथ हुआ तत्पश्चात हवन शांति, पूर्णाहुति व भंडारे का आयोजन किया गया।

कथा व्यास भागवताचार्य पं. सौरभ तिवारी ने कथा के विश्राम दिवस पर सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई । उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता से हम सभी को सीख लेनी चाहिए कि हम कितने भी श्रेष्ठ क्यों न बन जाएं लेकिन मित्र को नहीं भूलना चाहिए । सच्ची मित्रता वही है जिसमें ऊंच-नीच, भेद-भाव, धनवान निर्धनता आदि का भेद न हो, मन में कपट छलछिद्र, ईर्ष्या द्वेष न होते हुए निश्छल मन से एक दूसरे के लिए मित्र समर्पण होना चाहिए ‌। सुदामा जी ने कृष्ण जी को दरिद्रता से बचाने के लिए दुर्वासा ऋषि के श्रापित अन्न को खा लिया वहीं जब सुदामा जी भगवान कृष्ण के पास मिलने पहुंचे तो द्वारिकाधीश कृष्ण ने बिन मांगे व बिन बताए सुदामा को सब कुछ दे दिया, यही श्रेष्ठतम मित्र व्यवहार की निशानी है, जो कि अनुकरणीय है ।

भागवताचार्य पं. सौरभ तिवारी ने “धीरज, धर्म मित्र और नारी । आपत्तिकाल परखिए चारी ।।” चौपाई की व्याख्या करते हुए कहा कि जब हम विपत्ति में पड़ते हैं तब हमारी धैर्यता, धर्म, मित्रता व हमारी स्त्री की परीक्षा होती है । तत्पश्चात उन्होंने भस्मासुर की कथा, दत्तात्रेय के 24 गुरुओं का वर्णन व परीक्षित मोक्ष की भावपूर्ण कथा विस्तार पूर्वक श्रवण कराई जिसे सुनकर उपस्थित श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।कथा यजमान गौरव मिश्रा ने बताया कि कथा के समापन के उपरांत यज्ञाचार्य पं. राहुल मिश्रा ने वैदिक मंत्रोच्चारण से पीठ पूजन, हवन शांति व पूर्णाहुति विधान सम्पन्न कराया तदोपरांत भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया ।

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