मेरे राम: संस्कृत में विशेष लोरी की धुन पर जागेंगे रामलला, काशी विद्वत परिषद ने किया है तैयार

अयोध्या। उत्तिष्ठ वत्स श्रीराम, स्वपनं न हि ते कर्म। विभूषं पश्म प्रत्यूषं गायति मंगलगीतम्… की धुन पर रामलला देश के कल्याण के लिए जागृत होंगे। काशी विद्वत परिषद ने संस्कृत में भगवान की इस लोरी को तैयार किया है। विद्वत परिषद का अष्टदल मंडल 19 जनवरी को इसे लेकर अयोध्या पहुंचेगा। बीएचयू की छात्राओं ने इसे स्वर दिया है।
श्री काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि भगवान रामलला को जगाने के लिए काशी विद्वत परिषद ने संस्कृत में लोरी तैयार कराई है। बीएचयू मंच कला संकाय की छात्राओं के स्वर में इसे रिकॉर्ड किया गया है। लोरी को श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपा जाएगा। भगवान के जागरण के इस गीत को काशी विद्वत परिषद के विद्वानों ने मंथन के बाद तैयार किया है।
प्रो. द्विवेदी ने यह भी बताया कि भगवान विश्वनाथ से रामजी का नाता पूज्य पूजक भाव का है। रामजी के आराध्य भगवान विश्वनाथ हैं। काशी विद्वत परिषद की ओर से रामजी को चांदी का बिल्व पत्र, वस्त्र, जानकीजी के लिए साड़ी, चुनरी और अन्नपूर्णा जी का कुमकुम, मोती की मालाएं भी जाएंगी।
यह सभी सामग्री रविवार को अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती के संयोजन में बाबा विश्वनाथ को समर्पित की गई और इसे विद्वत परिषद का अष्टमंडल इसे लेकर 19 को अयोध्या जाएगा। इसी लोरी से रामलला को जगाया जाएगा।
प्रो. द्विवेदी ने जानकारी में बताया कि राम धर्म के साक्षात विग्रह हैं, उनकी विग्रह की अर्चना भगवान विश्वनाथ ने भी स्वयं की है। भगवान शिव को समर्पित बिल्व पत्र समस्त विघ्नों का नाश करेगा। रामलला के बालस्वरूप के के पास यह रखा जाएगा।
अष्टमंडल में प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, अध्यक्ष, प्रो. रामचंद्र पांडेय, प्रो. गोपबंधु मिश्र, प्रो. विनय कुमार पांडेय, प्रो. रामनारायण द्विवेदी, प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय शामिल रहेंगे।











